टिहरी। उत्तराखंड के दो युवक वियतनाम में फंस गए हैं। उन्होंने विदेश मंत्रालय से सहायता की गुहार लगाई है। वियतनाम में होटल में नौकरी करने गए टिहरी जिले के भिलंगना ब्लाक के धुत्तू मेडू सिंदवाल गांव निवासी दोनों युवक संकट में हैं। मालिक ने होटल बंद कर दिया है और उन्हें महीनों से वेतन नहीं मिला है। यहां तक कि उनके बीजा की समय सीमा भी समाप्त हो गई है। उन पर बीजा की अवधि समाप्त होने की वजह से एक तरफ अर्थदंड लग रहा है, दूसरी तरफ घर आने के लिए टिकट तक के पैसे उनके पास नहीं हैं।
भिलंगना ब्लाक के गढ़.सिंदवागांव निवासी सूरत सिंह पुत्र वैशाख सिंह और मानवेंद्र सिंह पुत्र पूर्ण सिंह वर्ष 2018 में हो ची मिन्ह सिटी वियतनाम में भारतीय रेस्टोरेंट में काम करने के लिए गए थे। आठ.नौ महीने काम करने के बावजूद होटल मालिक ने उन्हें वेतन नहीं दिया और अब होटल बंद कर गायब हो गया है।
बताया गया कि दोनों युवाओं के वीजा अवधि भी सितंबर और नवंबर 2018 में समाप्त हो गई है, इस कारण वे कहीं और भी काम नहीं कर पा रहे हैं। वियतनाम में वीजा रेग्युलराइजिंग के लिए पांच अमेरिकन डॉलर प्रति दिन की पेनॉल्टी पड़ती है। दोनों पर अब तक ढाई हजार डॉलर से अधिक की पेनाल्टी हो गई है।
घर वापसी के लिए हवाई जहाज का टिकट लेने के लिए उनके पास तीन हजार डॉलर नहीं है, पैसे के अभाव में दोनों युवा वहीं फंसे हुए हैं। परेशान युवाओं ने किसी तरह वियतनाम में भारतीय दूतावास से संपर्क कर अपनी व्यथा सुनाई। भारतीय दूतावास ने भारतीय विदेश मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी है।
मंत्रालय ने क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी से दोनों युवकों के परिजनों की आर्थिकी स्थिति और अन्य जानकारी मांगी है। टिहरी की डीएम सोनिका ने बताया कि 17 मई को पासपोर्ट कार्यालय से मिले पत्र के आधार पर जांच कराई गई। वियतनाम में फंसे सूरत सिंह के घर में वृद्ध माता.पिता, पत्नी और तीन नाबालिग बच्चे हैं। मानवेंद्र सिंह के घर में भी वृद्ध माता.पिता, पत्नी और दो नाबालिग बच्चे हैं। दोनों परिवारों में कमाने वाले कोई अन्य सदस्य नहीं हैं।
दोनों परिवारों की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक है। रिपोर्ट पासपोर्ट कार्यालय को भेज दी गई है। क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ऋषि अंगारा का कहना है कि वियतनाम में फंसे युवकों की वापसी के लिए वियतनाम ने विदेश मंत्रालय से युवाओं की आर्थिक रिपोर्ट मांगी गई है। डीएम टिहरी से मिली रिपोर्ट मंत्रालय को भेज दी है। अग्रिम कार्रवाई विदेश मंत्रालय से होनी है।