डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
सितंबर 2025 का महीना उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं के लिए संघर्ष, उम्मीद और बदलाव का प्रतीक बन गया. राज्य में पेपर लीक मामले ने ऐसा तूफान खड़ा किया कि सड़कों से लेकर सचिवालय तक युवाओं की आवाज गूंज उठी. इस आंदोलन ने न केवल सरकार को झकझोर कर रख दिया, बल्कि राज्य की भर्ती व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए. दरअसल, 21 सितंबर को प्रदेश में स्नातक स्तरीय परीक्षा कराई गई थी. जिसमें करीब 105000 अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन परीक्षा केंद्र के भीतर से पेपर के तीन पेज व्हाट्सएप के माध्यम से बाहर भेजे जाने का मामला सामने आने के बाद यह परीक्षा विवादों में आ गई.इस मामले में बेरोजगार संघ में कई दिनों तक प्रदर्शन किया. इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की सीबीआई जांच करने की घोषणा की. इसके अलावा इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन भी किया. उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन भी किया गया.हाल ही में इस आयोग ने तमाम जांच से जुड़े बिंदुओं पर मंथन किया. साथ ही देहरादून और हल्द्वानी समेत कई शहरों में जन संवाद कर अभ्यर्थियों और शिक्षकों से भी रैली थी. इस दौरान परीक्षा को निरस्त किए जाने की मांग अभ्यर्थियों ने की थी.आज ही जांच आयोग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आयोग ने अल्प समय में अधिक से अधिक जनसुनवाई कर अभ्यर्थियों एवं संबंधित पक्षों से सुझाव प्राप्त करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जो सराहनीय है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार रिपोर्ट का परीक्षण कर अभ्यर्थियों के हित में निर्णय लेगी. उन्होंने बताया प्रकरण की सीबीआई जांच की संस्तुति की जा चुकी है. जिससे मामले की पूरी निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके.मुख्यमंत्री ने कहा सरकार परीक्षाओं की शुचिता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है. भविष्य में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी भर्ती परीक्षा में अनियमितता की कोई संभावना न रहे. अभ्यर्थियों तथा उनके अभिभावकों का विश्वास राज्य की परीक्षा प्रणाली पर बना रहे. उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं के आंदोलन का बड़ा असर अब साफ दिखाई देने लगा है. लंबे समय से उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले को लेकर सड़कों पर उतरे युवाओं की मांग मान ली गई है. राज्य सरकार ने 21 सितंबर को आयोजित हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा को निरस्त करने का फैसला लिया है. यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष के मुताबिक, परीक्षा रद्द हो चुकी है. 3 महीने के अंदर फिर से परीक्षा आयोजित की जाएगी.यह निर्णय ऐसे समय में आया, जब बेरोजगार संघ ने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि यदि परीक्षा को रद्द नहीं किया गया तो आंदोलन की अगली लहर पहले से भी अधिक व्यापक होगी. बेरोजगार संघ ने दो दिन पहले ही कहा था कि यदि सरकार युवाओं की बात नहीं सुनती तो फिर से राज्य भर में सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे. कई विधायकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर परीक्षा को निरस्त करने की मांग रखी थी. विधायकों ने मुख्यमंत्री धामी को ज्ञापन सौंपते हुए कहा था कि पेपर लीक की आशंकाओं और शिकायतों के बीच परीक्षा को रद्द कर युवाओं का भरोसा बनाए रखना आवश्यक है. सरकार ने इन सब परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षा को निरस्त कर दिया और अब पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की तैयारी तेज कर दी है. सरकार तब जागी, जब युवाओं का गुस्सा सड़कों पर उमड़ने लगा. अगर सरकार पहले ही निष्पक्ष जांच कराती तो युवाओं को बार-बार आंदोलन नहीं करना पड़ता. यह सरकार की विफलता है कि राज्य में भर्ती घोटाले एक के बाद एक सामने आ रहे हैं. बेरोजगार युवा महीनों से संघर्ष कर रहे हैं. सरकार ने अगर पारदर्शिता का भरोसा दिया है तो उसे अब निष्पक्ष परीक्षा आयोजित कर इस भरोसे को मजबूत करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षा केवल औपचारिकता न होकर युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखकर होनी चाहिए. हम चाहते हैं कि जो भी परीक्षा दोबारा हो उसमें तकनीकी सुरक्षा और गोपनीयता सर्वोच्च स्तर पर सुनिश्चित की जाए. एक स्पष्ट, न्यायसंगत ढांचे के बिना ऐसी विवेकाधीन शक्ति संदेह को जन्म देती है और पूरी चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता को समाप्त करती है । यह एक असमान अवसर पैदा करता है, जहां एक उम्मीदवार की सफलता की संभावना केवल उसकी योग्यता से नहीं, बल्कि उसके विषय के लिए निर्धारित मनमाने अनुपात से भी प्रभावित होती है। भविष्य में ये सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी भर्ती परीक्षा में अनियमितता की कोई संभावना न रहे.स्पष्ट की जाए कि सरकार का उद्देश्य है कि अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों का भरोसा राज्य की परीक्षा प्रणाली पर हर हाल में कायम रहे. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*












