पंच केदार कल्पेश्वर एवं पंच बद्री ध्यान बद्री कल्प क्षेत्र में नंदा अष्टमी की द्वितीय तिथि को हर वर्ष गौरी भगवती की छतोली कैलाश की ओर चलना शुरू हो जाती है। देवग्राम दयूंडा के गौरी मंदिर से प्रतिवर्ष यह छतोली फ्यूंलानारायण मंदिर के लिए जाती है। नंदा अष्टमी के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को देबग्राम में भल्ला लोगों की उपस्थिति में गौरा मंदिर प्रांगण से यात्रा प्रारंभ होती है। यहां पर मायके के लोग काकड़ी, मुगरी, लाल पीला वस्त्र, बारह धान के चावल, चुनरी, मुनडी, विनंदी, काजल, वुयुंला, चुड़ी, कगी, गगाड़ी समूण, मैत्यूं के वासी लावण, कलेवा, मावा की रसाद, किमपू, केवा, लड्डू लावण, दिल्ली की डायरी, ढाका की मलमल लेकर भगवती गौरा के मैती आज पहले गौरा मंदिर में इकट्ठा होंगे।
उसके बाद जागरण के माध्यम से छतोली कडडी लेकर के ऊंचे हिमालय के और प्रस्थान करेंगे मायके वाले के द्वारा यह कहा जाता है कि हमारी इष्ट देवी भगवती को गंगाडी समूण पहुंचा देना और बुलाकर की गांव लाना इस मार्ग दृश्य को देखते हुए मां बहन एक तरफ से रोने लगती है दूसरी तरफ से उन्हें खुशियां होती है कि हमारी कुल देवी अर्थात शिव को विवाई गयी गौरा को बुलाकर के मायके लाना हम यहां भगवती को 18 प्रकार के व्यंजन का भोग खिलाएंगे इसी के साथ जातरी शंख ध्वनि को बजाते हुई फ्यूंलानारायण मंदिर के लिए प्रस्थान करते हैं। दयूडा देवग्राम रांता के वाद कल्पेश्वर कल्पनाथ मंदिर में दर्शन करते हुए धीरे धीरे कल्पेश्वर से फ्यूंलानारायण मंदिर की ओर चलने लगता है।
हिमालय के दिव्य दर्शन के साथ.साथ लगभग 4 किलोमीटर की चढ़ाई का रास्ता और विनायकों के दर्शन करने के बाद आस्था अपनी ओर खींच लाती है जैसे.जैसे नंगे कदम के साथ जातरी आगे बढ़ता है वैसे वैसे उसके अंदर एक जोस जैसा दिखता है पीछे पीछे से लोग यात्रा के लिए चल पड़ते हैं ठीक साईं 6.00 बजे के फुलारी जतोऊ नारायण दरबार पहुंचता है। यहां पर भव्य ढंग से जातरी का स्वागत किया जाता है और कंडी छितौली के साथ भव्य दर्शन करने के बाद विशेष पूजा का आयोजन यहां होता है। प्रातः 30 अगस्त को छतोली रोखनी वुग्याल जाकर के यहां पर जात कार्यक्रम संपन्न कराया जाएगा और भगवती गौरा को मायके बुलाई जाएगा। उसके बाद वापस फ्यूंलानारायण मंदिर पहुंचे है यहा विशेष पूजा.अर्चना होगी। इसी दिन वापस कल्पेश्वर होते हुए गौरा मंदिर मैं जातरी वापस आएंगे उसके बाद फुल कोठे का आयोजन किया जाएगा गौरा भगवती के विग्रह को ब्रह्म कमल से सजाया जाएगा विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा। घाटी के नंदा जात के कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार रहेगा। 29 अगस्त भगवती गौरा की जात छतोली देवग्राम गौरा मंदिर से रात्रि विश्राम हेतु श्री फ्यूलानारायण मंदिर पहुंचेगी।