लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट
हिमालय आदिकाल से ही ज्ञान, भक्ति, साधना का केंद्र रहा है। हिमालय के इसी केंद्र में पंचम केदार श्री कल्पेश्वर धाम जोशीमठ जनपद चमोली स्थित है, जो समुद्र तल से 2020 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जब हिमालय क्षेत्र में चारों केदार के कपाट बंद हो जाते हैं, तो सिर्फ कल्पेश्वर धाम ही ऐसा है, जहां वर्ष भर पूजा होती है। मान्यता है कि पांडव एवं आदि गुरु शंकराचार्य को श्री कल्पेश्वर में भगवान शंकर के दर्शन हुई थे और यहां जटा जूट के दर्शन की मान्यता है।
श्री कल्पेश्वर में शंकर की जटाओं की पूजा होती है। तीन गंगा की मध्य में विराजमान है कल्प गंगा, फ्यूँलनाराण गंगा, ललिता नाम की गंगा के मध्य भगवान का अमरनाथ की गुफा की भांति एक छोटा सा मंदिर है। मंदिर के ऊपर एक विशाल लिंग है, जो भगवान शंकर की जटा की तरह दिखता है। इसी स्थान में पंच बद्री का ध्यान बद्री स्थित है। यहां वर्ष भर मंदिर खुला रहता है। यह कस्तूरी शैली में दसवीं सदी में निर्मित माना जाता है। इस मंदिर में 6 से 10 फीट लंबी शिलायें विराजमान हैं। ऊंचा ताप वाला नागर शैली का मंदिर है।
यहां आदि गुरु शंकराचार्य को भगवान नारायण के ध्यान अवस्था में दर्शन हुए थे। कल्पेश्वर धाम पहुंचने के लिए हेलंग तक 229 किलोमीटर बस जीप कार से पहुंचा जा सकता है। हेंलग से 16 किलोमीटर कल्पेश्वर धाम जीप कार बस से पहुंचा जाता है। रुकने के लिए होमस्टे की व्यवस्था है।