• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

उत्तराखंड के राजमा की महक सबसे अलग

20/03/20
in उत्तराखंड, हेल्थ
Reading Time: 1min read
654
SHARES
817
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखण्ड में पाई जाने वाली ढेरों वनस्पतियों में से ज्यादातर औषधीय गुणों से युक्त हैं। बीते समय में इनमें से कई का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए या उनसे बचने के लिए भी होता हैं। पुरातन काल से ही ऋषि मुनियों एवं पूर्वजों द्वारा पौष्टिक तथा रोगों के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार के जंगली पौधों का उपयोग किया जाता रहा है। राजमा, किडनी बीन्स, उष्ण कटिबंधीय अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका के भागों में यह एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। इसे उष्ण कटिबंधीय भारत तथा एशिया के अन्य देशों में भी उगाया जाता है। भारत में इसे उत्तराखण्ड के पर्वतीय भागों, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक के कुछ भाग तथा तमिलनाडु व आन्ध्रप्रदेश में उगाया जाता है। इसके सूखे दानों को दाल के रूप में तथा तल कर खाया जाता है। हरी फलियों को सब्जी के रूप में खाया जाता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 21 प्रतिशत होती है।
राजमा का कुल नाम लैगुमिनोसी तथा उपकुल पेपिलियोनेसी है। इसके पौधे सहारे से चढ़ने वाले बेल तथा झाड़ीनुमा होते है। जिसमें अच्छी तरह विकसित मूसला जड़ होती है। पुष्पक्रम एक कक्षीय.असीमाक्ष होता है, जिसमें अनेक पुष्प होते है। बीज का आकार अधिकतर आयताकार या गुर्दे के आकार का होता है। अंकुरण ऊपरिभूमिक होता है। वैज्ञानिक नाम फैजियोलस बल्गेरिस प्रचलित नाम फ्रेन्चबीन हिन्दी भाषा का नाम राजमा उगाने के मौसम रबी मैदानी क्षेत्र तथा खरीफ पहाड़ी क्षेत्र।
उत्पत्ति राजमा की उत्पति अमेरिका में हुई है। उत्तराखंड राजमा की सौ से अधिक किस्मों का घर है, जो सीमांत किसानों द्वारा नकदी फसल के रूप में राज्य भर में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। किसी भी रासायनिक या कीटनाशक से मुक्त, मुनस्यारी राजमा का नाम मुनस्यारी से लिया गया है। जोहार घाटी के प्रवेश द्वार पर स्थित 7,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। विटामिन और अन्य खनिजों से भरपूर, मुनस्यारी राजमा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत है। अपने अद्वितीय और सूक्ष्म स्वाद, उच्च फाइबर सामग्री और रंग के कारण, यह राजमा सभी उम्र में पसंदीदा है। देशभर में प्रसिद्ध जौनसार बावर के राजमा भी खत्म होने की कगार पर है। मौसम में आए बदलाव और इसके रोगों की चपेट में आने से इसका उत्पादन घट रहा है। पहाड़ में किसान फसलों के उत्पादन के लिए बारिश पर निर्भर है। समय पर बारिश न होने और इसमें फूल आते ही रोग लगने से कुछ किसानों ने फसल से मुंह फेर लिया है।
उत्तराखंड में देहरादून जिले के चकराता, उत्तरकाशी के हर्षिल और पिथौरागढ़ के मुनस्यारी की राजमा देश भर में प्रसिद्ध है। इसकी कुकिंग क्वालिटी और टेस्ट इतना बढ़िया है कि देश के कई राज्यों में इसकी मांग है। जौनसार बावर के लाखामंडल, चकराता, त्यूनी, कथियान, दारागाड़, सावड़ा, लोखंडी और कोटी कनासर की राजमा की खुशबू और स्वाद तो कुछ अलग ही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यहां होने वाली राजमा में कृषि रसायनों का प्रयोग नहीं होता। जो पूरी तरह से जैविक है। जौनसार के किसानों ने बताया कि राजमा को बनाने के लिए रात भर भिगाने की भी जरूरत नहीं होती, लेकिन वर्तमान में देखने में आ रहा है कि राजमा की फसल में फूल आते ही इसमें रोग लग रहा है। जिससे पूरा पौधा सूख जाता है।
गाता चकराता के पूर्व प्रधान मातवर सिंह ने बताया कि जौनसार बावर क्षेत्र में राजमा की फसल में रोग लगने से इसका उत्पादन घटता जा रहा है। गोठाड चकराता के बाबूराम डोभाल बताते हैं कि समय पर बारिश न होने से किसानों को इसके उत्पादन में दिक्कत आ रही है। राजमा की खेती उत्तराखण्ड में बहुतायात से नकदी फसल के रूप में की जाती है। उत्तराखण्ड में लगभग 4000 हैक्टेयर में 6.73 कुन्तल प्रति हैक्टेयर की दर से राजमा का उत्पादन किया जाता है। जैविक बाजार में पहाड़ी राजमा की बहुत अधिक मांग है। मध्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सहवर्ती फसल जैसे मंडुवा, कुल्थी गहथ, चौलाई के साथ बोया जाता है। लेकिन अघिक ऊॅंचाईवाले क्षेत्रों में इसे अलग फसल के रूप में उगाया जाता हैं। कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर के देश चिंतित हैं। चीन में इस वायरस की चपेट में आकर मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। चीन में कोरोना वायरस की वजह से मृतकों का आंकड़ा 1 हजार के पार चला गया है। दुनिया के कई देशों में इस वायरस का संक्रमण फैल रहा है। चिंता सिर्फ बीमारी की वजह से नहीं है। कोरोना वायरस का असर कई तरह से पड़ा है। चीन से होने वाले कारोबार पर भी इसका असर पड़ा है। दुनियाभर के देश चीन के साथ कारोबार करते हैं। भारत भी उनमें से एक है। हम कई चीजों का चीन से आयात करते हैं और कई वस्तुएं उन्हें बेचते भी हैं। कोरोना वायरस की वजह से उन कारोबार पर असर पड़ा है। आयात और निर्यात पर पड़े असर की वजह से भारत में उसकी कीमतें प्रभावित हुई हैं। पिछले दिनों में महंगा हुआ राजमा चीन में फैले कोरोना वायरस की वजह से पिछले 10 दिनों में राजमा की कीमतें बढ़ी हैं। भारत में पिछले 10 दिनों में राजमा की कीमतों में 8 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि इसका अभी ज्यादा असर नहीं पड़ा है। लेकिन अगर कोरोना वायरस की वजह चीन में लॉक डाउन की स्थिति लंबी खिंचती है और उसकी वजह से वहां से होने वाला आयात प्रभावित होता है तो इसका असर अभी और बढ़ेगा।
भारत अपनी जरूरत का 50 फीसदी राजमा का आयात चीन से करता है। राजमा चीन से आयात होने वाले मुख्य खाद्य पदार्थों में से एक है। पिछले 10 दिनों में ग्लोबल मार्केट में राजमा की कीमतें 1100 डॉलर प्रति टन तक पहुंच चुकी है। ये करीब 8 फीसदी की वृद्धि है। चीन के डालियान पोर्ट पर आयात.निर्यात का काम रुका पड़ा है। शटडाउन की वजह से बंदरगाह पर भारत आने वाले राजमा के 300 कंटेनर रखे हुए हैं। लेकिन इनका आयात अभी संभव नहीं है। इन कंटेनर्स में करीब 24 टन राजमा है। जानकार बता रहे हैं कि इस शिपमेंट को भारत पहुंचने में अभी भी करीब एक महीने का वक्त लगेगा। तब तक राजमा की कीमतें और महंगी हो जाएंगी। हफ्ते के बाद ही नुकसान के आंकड़े सामने आ पाएंगे। चीन के बंदरगाह पर फरवरी.मार्च का शिपमेंट अटका पड़ा है। अगर कोरोना वायरस की वजह से इस शिपमेंट के आने में देरी होती है तो नुकसान ज्यादा होगाराजमा की खेती उत्तराखण्ड में बहुतायात से नकदी फसल के रूप में की जाती है।
उत्तराखण्ड में लगभग 4000 हैक्टेयर में 6.73 कुन्तल प्रति हैक्टेयर की दर से राजमा का उत्पादन किया जाता है। जैविक बाजार में पहाड़ी राजमा की बहुत अधिक मांग थी। मुनस्यारी को 2016 में जैविक विकास खंड बनाया गया। इसके साथ ही जिले के अन्य सभी विकास खंडों में भी जैविक कृषि को बढ़ावा देने के कार्य किये जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक जिले में कुल 32 जैविक कृषि कलस्टर बनाए गए हैं। एक कलस्टर 20 हेक्टेयर भू.भाग में चिन्हित किया गया है और प्रत्येक कलस्टर में 50 किसानों के माध्यम से जैविक खेती की जा रही है। मुनिस्यारी ब्लॉक में जैविक खेती के बारे में बताते हैं, पहाड़ों पर अभी भी किसान जैविक खेती ही करता है, लेकिन मुनिस्यारी ब्लॉक में किसान पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं, यहां पर आलू और राजमा की मुख्य रूप से खेती करते हैं। दूसरे राज्यों में जब आलू खेतों से खुद चुका होता है, यहां पर आलू तब लगना शुरू होता है, इसलिए ये आलू बीज के लिए दूसरे राज्यों तक जाता है, एसएचजी के माध्यम से जिला प्रशासन किसानों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा दे रहा है, इससे किसानों को सही बाजार भी मिल रहा। कोरोना वायरस से जुड़ी आपात स्थिति के उत्पन्न होने से करोड़ों लोगों पर सीधा असर पड़ा है। एक लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं और साढ़े चार हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन इन गिनतियों के परे करोड़ों लोग हैं जिनकी जिंदगियों और जीविका पर इस बीमारी का अदृश्य असर पड़ रहा है कि इस वायरस का असर किसानों पर पड़ रहा है।

Share262SendTweet164
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

कोरोना के खतरे को देखते हुए गैरसैंण में बनाया आइशोलेशन वार्ड

Next Post

कोरोनाः बुजुर्ग और बच्चे 31 मार्च तक घर पर ही रहें

Related Posts

उत्तराखंड

डोईवाला: सिंचाई नहर बंद होने से गन्ने की कई बीघा फसल सुखी, किसानों ने दी आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी

November 17, 2025
8
उत्तराखंड

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत को इंडियन केमिकल सोसाइटी वर्ष 2025 का “आचार्य पी. सी. राय मेमोरियल लेक्चर अवॉर्ड”

November 17, 2025
5
उत्तराखंड

जियो थर्मल पॉलिसी बनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य: डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम

November 17, 2025
8
उत्तराखंड

उत्तराखंड पहाड़ों के लिए अब आर्थिक और राजनीतिक संकट

November 17, 2025
6
उत्तराखंड

प्रख्यात चिकित्सक डाँ सुदर्शन सिंह भण्डारी के आकस्मिक निधन से पैनखंडा जोशीमठ एवं दसोली क्षेत्र शोक की लहर

November 17, 2025
15
उत्तराखंड

उत्तराखण्ड राज्य की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रवासी उत्तराखण्डी अधिवक्ताओं के साथ संवाद किया

November 16, 2025
13

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67506 shares
    Share 27002 Tweet 16877
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45757 shares
    Share 18303 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38034 shares
    Share 15214 Tweet 9509
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37426 shares
    Share 14970 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37305 shares
    Share 14922 Tweet 9326

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

डोईवाला: सिंचाई नहर बंद होने से गन्ने की कई बीघा फसल सुखी, किसानों ने दी आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी

November 17, 2025

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत को इंडियन केमिकल सोसाइटी वर्ष 2025 का “आचार्य पी. सी. राय मेमोरियल लेक्चर अवॉर्ड”

November 17, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.