फोटो- भगवान वंशीनारायण के कपाट बंद किए जाने के दौरान पूजा/अर्चना करते ग्रामीण ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। भगवान वंशी नारायण के कपाट भी हुए बंद।
उच्च हिमालयी बुग्याल मे करीब 12हजारी फीट की ऊॅचाई पर स्थित भगवान वंशीनारायण के कपाट भी तय मुहुर्त पर बंद कर दिए गए। वंशी नारायण के कपाट बंद होने की परंपरा का शुभांरभ करते हुए अब हर वर्ष कपाट खुलने व कपाट बंद होने का मुहुर्त भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने वंद होने का ही रहेगा।
जोशीमठ प्रख्ंाड के कलगोठ ग्राम पंचायत सीमांन्तर्गत कलगोठ से तीन किमी की दूरी पर घने बुग्यालो के बीच भगवान वंशीनारायण का मंदिर पौराणिक मंदिर है। यॅू तो यहाॅ हर वर्ष जन्माष्टमी व रक्षा बंधन पर्व पर उर्गम घाटी के दर्जनो गाॅवो के ग्रामीणो के साथ दूर-दूर से भी भक्त पंहुचते है। लेकिन अब कलगोठ ग्राम पंचायत ने तय किया है कि यहाॅ के मंदिर के कपाट अब प्रतिवर्ष भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने पर ही खुलेगे और कपाट बंद ही बदरीनाथ के मुहुर्त के अनुसार ही होगे।
भगवान वंशीनारायण के कपाट बंद होने से पूर्व कलगोठ के ग्रामीणो ंने मंदिर को भब्य रूप से सजाया। व कई दिन पूर्व से मंदिर की छत व अन्य स्थानो पर मरम्मत का कार्य किया। उर्गम से पंहुचे पंडित अतुल डिमरी व वंशीनारायण मंदिर के पुजारी वीरेन्द्र सिह व भगवती के पश्वा अब्बल सिंह रावत ने भगवान वंशीनारायण का पुष्पो से श्रंृगार किया। पूजन, अभिषेक, भोग व आरती के बाद तय मुहुर्त पर भगवान के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए।
इस मौके पर कलगोठ के पूर्व प्रधान दलीप सिंह चैहान, पूर्व क्षेपं सदस्य बलवंन्त सिह, लक्ष्मण सिंह रावत, राजेन्द्र सिह, भवान सिह, लाल सिंह, मंजू देवी, लक्ष्मी देवी, सुलोचना देवी व गीता देवी सहित कलगोठ व उच्छवाग्वाड के ग्रामीण मौजूद रहे ।