फोटो–गुरूद्वारा गोविंदघाट में अरदास के बाद पहले सैनिक दल के साथ ट्रस्ट के मुख्य प्रंबधक सरदार सेवा सिंह
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। हेमकुंड साहिब-लोकपाल मार्ग खोलने के लिए सेना का पहला दल रवाना। सैनिक दल मे 40सदस्य है।
हेमकुंड साहिब के कपाट इस वर्ष एक जून को खेाले जाने है। मार्ग से ग्लेशियर व बर्फ हटाने के लिए सेना का पहला दल सोमवार को गोविंदघाट से रवाना हुआ। इससे पूर्व गुरूद्वारा गोविदघाट मे अरदास हुई और हुक्मनामा के बाद हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधकर सरदार सेवा सिंह ने दल को रवाना किया।
इस वर्ष भारी बर्फबारी के कारण हेमकुंड साहिब-लोकपाल मे अभी भी दस से बारह फीट बर्फ जमी है। बेहताशा बर्फबारी के कारण ही इस वर्ष एक जून को हेमकुंड साहिब के कपाट खोले जाने हैं। बेहताशा बर्फ व ग्लेशियर को हटाने के लिए यूॅ तो प्रतिवर्ष सेना के जवान वहाॅ पंहुचते है। लेकिन इस वर्ष ज्यादा बर्फ व ग्लेशियर होने के कारण सेना के दल को समय से पूर्व बर्फ हटाने का टास्क दिया गया। नौ स्वतंत्र पर्वतीय ब्रिगेड ग्रुप की इंजीनियर कंपनी के 40जवान बर्फ हटाकर मार्ग बनाने के लिए गोविदघाट पंहुचे। यहाॅ से उन्है घंाधिरियाॅ के लिए रवाना किया गया।
हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सेवा सिंह के अनुसार हेमकुंड साहिब मे अभी भी दस से बारह फीट तक बर्फ की मोटी चादर बिछी है। इसके अलावा घाॅघरियाॅ से हेमकुंड साहिब तक बर्फ ही बर्फ हैं। सेना के जवान घंघरियाॅ से ही बर्फ काटकर रास्ता बनाने का कार्य मंगलवार से शुरू करेगे। उन्होने बताया कि घंाघरियाॅ व हेमकुंड साहिब के बीच अटलाकोटी नामक स्थान पर करीब तीन सौ मीटर ग्लेशियर है। जिसे काटकर मार्ग तैयार करना किसी चुनौती से कम नही हैं। लेकिन सेना के बहादुर जवान तय समय से पूर्व मार्ग आवाजाही के लिए तैयार कर लेगे।
श्री सेवा सिंह ने बताया कि जवानो के साथ ट्रस्ट ने दस सेवादार तथा 6लंगर कर्मी भी भेजे है। गुरूद्वारा गोविदघाट मे अरदार व हुक्मनामा के दौरान सरदार कुलदीप ंिसह व सरदार हरंबश ंिसह सहित अनेक लोग मौजूद थे।
बताते चले कि गत वर्ष नंवबर महीने से इस वर्ष अप्रैल माह तक भी उच्च हिमालयी क्षेत्रों मे बर्फबारी होती रही। और हेमकुंड साहिब-लोकपाल मे भी 15से 20फीट तक बर्फ की मोटी चादर बिछ चुकी थी। जो अब दस से बारह फीट रह गई है। इस वर्ष की बर्फबारी के कारण घाॅघरियाॅ मे वन विभाग के साथ होटल ब्यवसायियों के टिन शेड आदि भी क्षतिग्रस्त हुए है। अब सेना द्वारा मार्ग खोले जाने के बाद ही स्थानीय पुलना/भ्यूॅडार के ग्रामीण भी घांघरियाॅ पंहुचकर सीजन की तैयारियाॅ कर सकेगे।