शंकर सिंह भाटिया
देहरादून। मतदान और मतगणना के बीच एक लंबे दौर में ये राज्य भाजपा में क्या हो रहा है? तीन सीटिंग विधायक जो चुनाव लड़ रहे हैं, मतदान के दिन से ही प्रदेश अध्यक्ष पर उन्हें हराने का षडयंत्र करने का आरोन लगा रहे हैं, खुद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के खिलाफ भितरघात के कई पुष्ट प्रमाण मिल रहे हैं। 60 पार का नारा देने वाली भाजपा हाई कमान को अंततः प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को दिल्ली तलब करना पड़ रहा है।
2017 के चुनाव में अभूतपूर्व 57 सीट जीतने वाली भाजपा इस बार 60 पार के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी। लेकिन चुनाव सिर्फ नारों से नहीं जीते जाते, किसी भी राजनीतिक दल को इस सच्चाई से मुंह नहीं चुराना चाहिए। भाजपा के चुनाव युद्ध में अब तक अमोघ अस्त्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे हैं। मतदान का दिन निकट आते-आते मोदी की तीन सभाएं उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित की गई। लेकिन राजनीतिक विष्लेषकों का मानना है कि इस बार मोदी का जादू 2017 की तरह नहीं चल पाया। भाजपा के चुनाव प्रचार में संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन भाजपा के किसी भी चुनाव को जीतने में भाजपा का सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत संघ होता है। बताया यह भी जा रहा है कि इस बार भाजपा को संघ का वह सानिन्ध्य नहीं मिल पाया, जिससे भाजपा उर्जित होती है।
पार्टी के अंदर चुनाव के दौरान कैसा तालमेल रहा होगा, इसका उदाहरण मतदान के तुरंत बाद लक्सर विधायक और प्रत्याशी संजय गुप्ता के प्रदेश अध्यक्ष पर लगाए गए कड़े आरोप में दिखता है। वह प्रदेश अध्यक्ष पर न केवल उन्हें हराने के लिए षडयंत्र करने का आरोप लगा रहे हैं, उससे भी आगे जाकर मदन कौशिक की संपत्ति की जांच तक करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही कई अन्य भाजपा प्रत्याशियों को हराने के लिए काम करने का आरोप उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पर लगाया है। इतना ही नहीं भाजपा के चंपावत के सीटिंग विधायक और प्रत्याशी कैलाश चंद्र गहतोड़ी और काशीपुर के सीटिंग विधायक हरभजन सिंह चीमा और उनके प्रत्याशी पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा ने भी इसी तरह के आरोप पार्टी और अध्यक्ष पर लगाए।
प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के खिलाफ भितरघात के तो प्रमाण भी दिखाई दे रहे हैं। उनके चुनाव प्रचार की सामग्री को हरिद्वार के एक पार्टी पार्षद के घर के आसपास अधजली स्थिति में कूड़े के ढेर में पड़ा पाया गया। अनुशासित पार्टी कही जाने वाली भाजपा के अंदर यह सब घटनाक्रम किसी बड़े षडयंत्र की गवाही देते हैं। ये तो कुछ दिखाई देने वाले प्रमाण हैं, जो सामने आए हैं, यदि ऐसा हुआ है तो बहुत सारे ऐसी दबी हुई फुसफुसाहट भी सुनाई दे रही हैं, जो षडयंत्रों की सृंखला और भी विस्तृत बना देती है। इसके क्या नतीजे होंगे इसके अनुमान तो लगाए ही जा सकते हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान जो साफ तौर पर खुली आंखों से दिखाई दे रहा था, वह यह था कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगभग सभी सीटों पर प्रचार को गति देने में जुटे रहे, कोई और मंत्री और पदाधिकारी उनके साथ खड़ा नहीं दिखाई दिया। मुख्यमंत्री की अपनी सीट फंसी होने के बावजूद वे सभी के बीच तालमेल बैठाने के प्रयासों में जुटे रहे, लेकिन उनके प्रयासों को दूसरे मंत्रियों और पदाधिकरियों की तरफ से उन्हें किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा था।
कोड़ में खाज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का वह ट्वीट आया जिसमें उनके हवाले से मतगणना से पहले हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की बात कही गई है। इस ट्वीट में प्रदेश अध्यक्ष को मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए ही दर्शाया गया है। इस ट्वीट को भाजपा ने फर्जी और कांग्रेस का षडयंत्र कहकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है। लेकिन यदि यह षडयंत्र है तो षडयंत्र अपना शुरूआती काम करने में सफल होता हुआ दिखाई देता है।
मोदी प्रभाव को लेकर जो बातें कही जा रही हैं, यदि वह सही है तो यह भाजपा के लिए चिंता करने वाली बात हो सकती है और विरोधियों के लिए खुश होने वाली बात है। सही बात क्या है, वह 10 मार्च को सामने आ पाएगी।
राज्य भाजपा में जो खलबली मची है उसका परिणाम यह हुआ कि अंततः हाई कमान को मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को दिल्ली तलब करना पड़ा। अभी मतगणना में बीस दिन बाकी हैं। चार दिन में इतनी उठापटक हो गई तो बीस दिन में और क्या-क्या होगा, इसकी कल्पना ही की जा सकती है।











