संजय ऑर्थोपीडिक स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर द्वारा वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें की गर्भावस्था के दौरान खून की कमी के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में 115 नर्सिग एवं पैरामेडिकल स्टाफ ने भाग लिया।
संजय मैटरनिटी सेंटर की डायरेक्टर और स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डाॅ. सुजाता संजय ने कहा कि शरीर में लौह तत्वों की कमी एनीमिया का मुख्य कारण है। इससे ज्यादातर महिलाएं व बच्चे पीड़ित होते हैं। इसके शिकार किसी भी मौसम में हो सकते हैं। इसकी अनदेखी खतरनाक हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान खून की कमी की वजह से गर्भवती को समय से पहले प्रसव दर्द होना आम बात है। खून की कमी की वजह से शिशु भी कम वजन वाला व कमजोर पैदा होता है और कई बार खून की कमी की वजह से प्रसव के दौरान जच्चा -बच्चा की मौत भी हो जाती है।
जच्चा-बच्चा स्वस्थ्य रहे इसके लिए गर्भावस्था में महिलाओं को आयरन, विटामिन, मिनरल की ज्यादा जरूरत होती है। भोजन में पोषक तत्वों की कमी महिलाओं को एनीमिक बना देती है। महिलाओं में हिमोग्लोबिन 12 ग्राम होना चाहिए। डाॅ0 सुजाता संजय के अनुसार महिलाओं को गर्भावस्था में सबसे बड़ा खतरा एनीमिया का होता है।
महिलाओं को खान पान में पोषक तत्वों का अभाव रहने की वजह से मातृ मृत्यु दर के अधिकतर मामलों में खून की कमी प्रमुख कारण बनती हैं। शरीर को हेल्दी और फिट रहने के लिए अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ आयरन की भी जरूरत होती है।
आयरन ही हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। ये कोशिकाएं ही शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने का काम करती हैं। हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर रक्त में आक्सीजन पहुंचाता है।
इसलिए आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर में आक्सीजन की कमी होने लगती है। इसकी वजह से कमजोरी और थकान महसूस होती है, इसी स्थिति को एनीमिया कहते हैं।