प्रकाश कपरूवाण । जोशीमठ।
पंजाब सहित अन्य प्रांतो की तपती गर्मी के बाद यहाॅ पंहुचकर बर्फ की पहाडो के बीच स्वंय को पाकर यात्री प्रफुल्लित हो रहे है। और उनके मुॅह से बरवस ही निकल पड रहा हैं ’’सारे जहाॅ से अच्छा , हिंन्दोस्ताॅ हमारा’’
मैदानी क्षेत्रों मे पड रही भीषण गर्मी से यहाॅ पंहुच रहे श्रद्धालुओ ने कल्पना भी नही की थी उन्है बर्फ के पहाडो के बीच 6फीट की बर्फ की गैलरी से गुजरने का सुनहरा अवसर मिलेगा। लेकिन कुदरत का करश्मिा ही हैं कि जहाॅ मैदानी क्षेत्रो मे पारा पचास डिग्री तक पंहुचने को बेताब है तो वही हिमालय के इस धाम कडाके की ठंड के साथ बर्फ के दीदार हो रहे है।
यहाॅ पंहुच रहे श्रद्धालु ने केवल हेमकुंड साहिब दरबार मे मत्था टेक कर ब्लकि बर्फ के पहाडो के बीच गजरने व हिमाच्छादित पर्वत श्रंृखलाआंे मे स्वयं को पाकर खुशनसीब महसूस कर रहे है।
उच्च हिमालयी क्षेत्र मे सात पर्वत श्रृंखलाओ के बीच लोकपाल ताल-सरोवर के पास सिखों के पवित्र तीर्थ हेमकुंड साहिब मे इस वर्ष अप्रैल व मई माह के प्रथम सप्ताह तक भी जर्बदस्त बर्फबारी हो रही थी। जिसके कारण वहाॅ अभी भी बर्फ की मोटी परत जमी है।
सेना के चालीस जवानों को भी बर्फ के पहाड काटकर मार्ग तैयार करने मे करीब 35दिनों का समय लग गया। सेना ने हेमकुंड साहिब से पहले करीब तीन किमी तक वर्फ को काटकर आवाजाही के लिए गैलरी नुमा मार्ग तैयार किया है। लेकिन बर्फ की गैलरी इतनी संकरी है कि इस तीन किमी0 क्षेत्र मे दो तरफा आवाजाही करना जोखिम भरा है। हाॅलाकि उक्त स्थल पर दोनो ओर से पुलिस व एसडीआरएफ की तैनाती की गई है।
गढवाल कमिश्नर के हेमकुंड साहिब भ्रमण की सूचना के बाद लोनिवि के पचास मजदूरों को बर्फ काटकर मार्ग चैडा करने के लिए तो भेजा गया, लेकिन यदि लोनिवि के मजदूर पंद्रह दिन पहले भी भेजे जाते तो बर्फ की गैलरी वाले स्थान पर भी दो तरफा आवाजाही हो सकती थी।
हेमकुंड साहिब-लोकपाल के कपाट तो खुल गए लेकिन इस वर्ष गत वर्षो की अपेक्षा ब्यवस्थांए दुरस्त नही हो सकी है। पुलना गाॅव से घाॅघरियाॅ व हेमकुंड तक के पैदल मार्ग पर बने शौचालयो मे पानी नही है तो मार्ग के कई स्टेण्ड पोस्ट भी विन पानी है।
पेयजल की खराब ब्यवस्था से गुस्साए आयुक्त गढवाल ने जल संस्थान की ईई को घाॅधरियाॅ तलब किया। भ्यॅूडार के पूर्व प्रधान विजेन्द्र सिंह चैहान कहते है कि इस वर्ष सरकारी महकमो द्वारा कपाट खुलने से पूर्व जिस प्रकार की तैयारी होनी चाहिए उस प्रकार की तैयारी नही की गई। हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट को भी सेना के साथ लोनिवि के मजदूरो की डिमांड शासन/प्रशासन से समय पर करनी चाहिए थी।
बहरहाल ब्यवस्थांए भी दुरस्त होगी, लेकिन हेमकुंड साहिब पंहुचने से पूर्व प्रकृति का अनमोल खजाना देख श्रद्धालुओ मे बेहद खुशी का माहौल है। मोहाली-पंजाब से पंहुचे सिख श्रद्धालु जखमेश सिह कहते है कि उन्होने सोचा भी नही था कि जून महीने मे उन्है दूर-दूर पहाडो पर भी बर्फ के दीदार होगे, लेकिन यहाॅ तो 6फीट बर्फ की गैलरी मे चलकर वाहिगुरू व प्रकृति के एक साथ दर्शन हो गए ।
हेमकुंड साहिब मैनेजमेट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह कहते है कि सेना ने भी पूरी ताकत से काम करते हुए मार्ग आवाजाही के लिए खोला। लेकिन संकरे मार्ग के कारण घांघरियाॅ से यात्रा को कंट्रोल करते हुए भेजा जा रहा है। और श्रद्धालुओ को सभी गुरूद्वारो से माइक के जरिये एनाउंस कर यात्रा ब्यवस्था मे प्रशासन व ट्रस्ट का सहयोग करने का आग्रह किया जा रहा है।