चमोली: सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ ब्लाक का गणाई गाँव विगत दो दशकों सें भूस्खलन की वजह से मौत के मुहाने पर खड़ा है। गाँव विस्थापन की श्रेणी में है लेकिन अभी तक गाँव का विस्थापन नहीं हुआ। जिस कारण गाँव के वाशिंदे बेहद मायूस है। भले ही आजादी के 70 साल बाद भी गाँव मे सड़क नहीं पहुँच पाई है। परंतु आज गाँव का बेटा राजेंद्र सिंह सेना में अफसर बन गया है। जिस वजह से गाँव और ननिहाल में खुशी की लहर दौड पड़ी है।
आज का दिन गणाई गाँव के लिए बेहद खुशीयों की सौगात लेकर आया हैं क्योंकि आज उनका बेटा देहरादून के आईएमए पांसिग आउट परेड में सेना का अफसर बन गया है। आज राजा के पिताजी और माँ नें अपने बेटे के कंधे पर सितारे लगाये। इस दौरान दोनों की आंखे भी छलछला गई। राजा के पिताजी बलवंत सिंह पंवार भी भारतीय सेना से सेवानिवृत्ति हुये हैं। उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। जबकि माँ मगुली देवी का कहना है कि उनके पति के बाद अब उनका बेटा भी देश के सरहदों की हिफाजत करेगा। इससे बड़ी खुशी मेरे लिए क्या हो सकती है।
तीन भाई और एक बहिन में सबसे छोटा राजेंद्र पंवार यानी राजा नें 12 वीं तक की पढ़ाई जोशीमठ से की। जिसके बाद अगस्त्यमुनि में आयोजित भारतीय सेना की भर्ती में चयनित हुआ और 9 वीं गढ़वाल में बतौर सैनिक तैनाती मिली। राजा का सपना बचपन से ही सेना में अफसर बनने का था। जिसके लिए उसने दिन रात एक किया और कडी मेहनत के बाद राजा 4 साल पहले एनडीए के थ्रो आईएमए के लिए चयनित हुआ और आज वो दिन भी आया जब राजा का अफसर बनने का ये सपना भी पूरा हो गया।
वहीं दूसरी ओर राजा के ननिहाल बंड पट्टी के (भीड़) किरूली गाँव में भी खुशी की लहर दौड पड़ी है। राजा के मामा अवतार सिंह बिष्ट आज बेहद खुश हैं कि उनका भांजा भारतीय सेना में अफसर बन गया है जबकि भाई देवेन्द्र बिष्ट और उपेंद्र बिष्ट का कहना है कि आज हमें गर्व है कि हमारा भाई सेना में अफसर बन गया है।
मौत के मुहाने पर है गणाई गाँव! दो दशक से विस्थापन की बाट जोह रहा है।
हर साल बरसात का सीजन शुरू होते ही गणाई गांव में निवासरत परिवारों की रातों की नींद उड़ जाती है। देश की आजादी के सात दशक बाद भी यहां के लोगों के लिए आजादी के कोई मायने नहीं हैं। यहां मूलभूत समस्याओं के साथ ही पूरा गांव भूस्खलन की जद में है। जिससे लोगों की जिंदगी खतरे में बनी हुई है। 1978 से इस गांव के चारों और से भूस्खलन शुरू हुआ है 1999 -20 में आए भूकंप व तेज बारिश से गांव को खतरा बढा। 2013 की आपदा से तो गांव मौत के मुहाने पर खड़ा हो गया है, परंतु गांव की सुध किसी नें नहीं ली। वो भी तब जब गाँव की महिला विजया देवी रावत जनपद की पहली जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है। गाँव के सुखबीर सिंह, कमलकांत, प्रदीप फरस्वाण सहित अन्य युवाओं का कहना हैं कि आज हम बेहद खुश हैं कि हमारे गाँव का बेटा भारतीय सेना में अफसर बन गया है। पूरा गाँव बेहद खुश है। वहीं विगत दो दशकों से गाँव मौत के मुहाने पर खड़ा है और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं…..
छोटे भाई राजेंद्र सिंह पंवार के भारतीय सेना में अफसर बनने पर ढेरों बधाईया। आशा और उम्मीद है कि आप देश के सरहदों की हिफाजत में कभी कोई कोर कसर नहीं छोडोगे..
जय हिन्द! हिन्द की सेना।(संजय चौहान)