फोटो-कपाट बंद होने से पूर्व श्री बदरीनाथ मंदिर को सजाते भक्तगण।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। माता लक्ष्मी की विशेष पूजा के बाद मुख्य पुजारी श्री रावल ने माॅ लक्ष्मी को भगवान बदरीविशाल के संग शीतकाल में प्रवास के लिए न्यौता दिया। भगवान श्री हरिनारायण के कपाट बृहस्पतिवार को शीतकाल के लिए बंद होंगे। मंदिर सिंहद्वार को 12कुंतल फूलों से सजाया जा रहा है।
भगवान बदरीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने से पूर्व की धार्मिक पंरपराओं के अनुसार पंच पूजाओं के आखिरी दिवस मंदिर परिसर मे स्थित माता लक्ष्मी मंदिर मे विशेष पूजन/अर्चन किया गया। बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी श्री रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के सानिध्य मे माता लक्ष्मी का श्रृंगार व भोग पूजाएं संपादित हुई। और इसके उपंरात मुख्य पुजारी श्री रावल द्वारा माता लक्ष्मी को भगवान नारायण संग शीतकाल के दौरान गृभ गृह मे प्रवास का न्यौता दिया। माता लक्ष्मी की विशेष पूजा के दौरान बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन च्रद उनियाल, अपर धर्माधिकारी द्वय आचार्य सत्य प्रसाद चमोला व आचार्य राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविन्द्र भटट व देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, सहायक मंदिर अधिकारी राजेन्द्र चैहान, प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी, तथा दफेदार कृपाल सिंह सनवाल सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
भगवान नारायण के कपाट बंद होने से एक दिन पूर्व बदरीनाथ मे तीर्थयात्रियों का ऐसा हुजूम उमड पडा कि दर्शनो की ब्यवस्था मे ही देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारियों को पसीने छूट गए। अचानक हजारों की संख्या मे पंहुचे श्रद्धालुओं को देख ऐसा कदापि नही लग रहा था कि यह कपाट बंद होने का समय है ब्लकि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मई-जून महीने का पीक सीजन शुरू हो गया हो। अचानक तीर्थयात्रियों की संख्या मे इतनी बृद्धि का प्रमुख कारणों मे से एक दो दिन पूर्व बदरीनाथ मे हुई बर्फबारी व दूसरा उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ का बदरीनाथ दौरा । हाॅलाकि चारो धामों के कपाट खुलने व बंद किए जाने के समय श्रद्धालुओं की संख्या काफी होती है। लेकिन कपाट बंद होने से एक दिन पूर्व ही तीर्थयात्रियों का सैलाब देख सभी हतप्रद रह गए।
बदरीनाथ के धर्माधिकारी आचार्य भुवन च्रद उनियाल के अनुसार तीर्थयात्रियांे का रैला इतना बढ गया था कि दर्शनों की व्यवस्था बनाने में भी भारी मशक्कत करनी पडी। और अभी भी तीर्थयात्रियों का बडी संख्या में पहंुचने का क्रम जारी है। तीर्थयात्रियों के लिए भंडारो के आयोजन शुरू हो गए है। जो कपाट बंद होने तक जारी रहेंगे।
इधर भगवान नारायण के कपाट बंद किए जाने के अवसर को एतिहासिक बनाने के लिए भक्तों द्वारा मंदिर परिसर के साथ ही सिंहद्वार को भी सुंदर फूलो से सजाया जा रहा है। ऋषिकेश के भक्तों द्वारा 12 कुंतल फूलों द्वारा मंदिर को भब्य रूप दिया जा रहा है।