बेटे ने देश के लिए जान कुर्बान कर अपना फर्ज निभाया तो परिवार ने लोकतंत्र के महापर्व में अपने कर्तव्य को निभाया। ऐसी मिसाल शायद ही कहीं देखने को मिले। लेकिन आज हम आपको ऐसे ही एक शहीद जवान के परिवार की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे जानकार आप भी गर्व महसूस करेंगे और शहीद के परिवार को सलाम करोगे।
हम बात कर रहे हैं देवभूमि के सपूत शहीद धर्मेंद्र कुमार और उनके परिवार की। 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान नैनीताल जिले के कालाढूंगी के रहने वाले जवान धर्मेंद्र शहीद हो गए थे। बेटे के शहीद होने की खबर से पूरी परिवार सदमे में था। पथराई आंखें बेटे के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन का इंतजार कर रही थी। इसके बाद भी शहीद धर्मेंद्र के पिता ने लोकतंत्र के महापर्व में अपना कर्तव्य निभाने का फैसला लिया।
दोपहर में पूरे परिवार ने बेटे की देह आने से पहले लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने का निर्णय लिया। फिर क्या था, परिवार के इस फैसले ने पूरे क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी। परिवार के साथ ही दर्जनों लोग भी राजकीय कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय, पतलिया में बने मतदान केंद्र की ओर रुख कर लिया। केंद्र पर पहुंचकर शहीद के पिता मोहन लाल साह, बड़ा भाई पवन कुमार व छोटा भाई दीपक कुमार, चाचा भजन लाल साह व चुन्नी लाल साह व चचेरे भाई कपिल साह, निकित साह और कन्हैया लाल साह ने मतदान किया। लोकतंत्र के लिए शहीद के परिवार के इस कदम के बारे में जिसे पता लगा, उसने फैसले की दिल से सराहना की गई।
आपको बता दें कि नैनीताल जिले के कोटा ब्लाक के ग्राम पतलिया निवासी धर्मेंद्र कुमार साह (26 वर्ष) पुत्र मोहन लाल साह 29 पैरा एसएफ (स्पेशल फोर्स) में कमांडो थे। जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले के पर्रे मोहल्ला, हाजिन में आतंकियों से लोहा लेते समय पैरा कमांडो धर्मेंद्र शहीद हो गए थे। सीने में गोलियां खाकर धर्मेंद्र ने एक आतंकी को मार गिराया था।
आपको बता दें कि सैन्य बहुल प्रदेश उत्तराखंड में कुल मतदाताओं के तकरीबन 12 फीसद मतदाता सैन्य परिवारों से हैं। ये वोटर उत्तराखंड में पांच में से तीन सीटों पर जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं। कर्तव्य की बात की जाय तो हर कोई इनसे सीख ले सकता है। इस बार अपना मत का प्रयोग जरूर करें। जरूरी कामों की वजह से इसे बिलकुल भी ना टालें..जय हिन्द.. जय उत्तराखंड