फोटो–लामबगड स्लाइड जोन पर दोनों तरफ से लगी मशीनों ने सुबह मार्ग आवाजाही के लिए खोला गया।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। पाॅच दिनों के लंबे अंतराल के बाद लामबगड मार्ग खुला। लेकिन सायं होते-होते फिर अवरूद्ध हो गया था। सुबह मार्ग खुलने के बाद बीती 28अगस्त से बदरीनाथ की ओर फॅसे वाहनो को निकाला जा सका। स्लाइड जोन पर पत्थरो के गिरने का क्रम लगातार जारी है।
बीती 28अगस्त को लामबगड स्लाइड जोन का पूरा पहाड टूटने के बाद मार्ग पूरी तरह अवरूद्ध हो गया था। तब से ही इस मार्ग की देख रेख कर रही एनएच पीडब्लूडी द्वारा मार्ग खोलने का प्रयास किया जा रहा था। करीब पाॅच दिनो की मशक्कत के बाद सोमवार सुबह आठ बजे मार्ग खोला जा सका। मार्ग खुलते ही बीती 28अगस्त से बदरीनाथ की ओर फॅसे करीब पचार छोटे तथा करीब दस बडे वाहनो को ही निकाला जा सका था कि सांय-सायं होते-होते पुन पहाडी से मलबा गिरने के बाद स्लाइड जोन का एरिया एक बार फिर बंद हो गया है। बदरीनाथ की ओर अभी दर्जनो बडे वाहन फॅसे हुए है।
बीती 28अगस्त को मार्ग बंद होने के बाद हाॅलाकि निचले क्षेत्र से तीर्थयात्रियो का पैदल आवागमन जारी रहा । भारत-चीन सीमा के माणा दर्रे तथा विश्व के सर्वश्रेष्ठ धाम बदरीनाथ को जोडने वाली एकमात्र सडक का लामबगड मे पाॅच दिनो तक अवरूद्ध रहना बेहद चिंताजनक है। लेकिन उसके वावजूद कार्यदायी संस्था एनएच पीडब्लूडी द्वारा जान जोखिम मे डालकर कुछ देर के लिए ही सही मार्ग खोल दिया था।
बदरीनाथ यात्रा का नासूर बना लामबगड स्लाइड जोन के आठ सौ मीटर के हिस्से मे आपदा वर्ष 2013 के बाद से एनएच पीडब्लूडी द्वारा कार्य किया जा रहा है। लेकिन सात वर्षो के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है जिसका खामियाजा बदरीनाथ आने वाले तीर्थयात्रियो के साथ ही सरहद पर जाने वाले सैनिको को भी उठाना पड रहा है।