• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

संकट में हैं नौले-धारे

18/11/20
in उत्तराखंड, पिथौरागढ़
Reading Time: 1min read
0
SHARES
122
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
जल अत्यन्त महत्वपूर्ण और अपर्याप्त प्राकृतिक संसाधनों में से एक है, जो जीवन, जीवकोपार्जन, कृषि, चिरस्थायी सामाजिक विकास के साथ.साथ पारिस्थितिकीय एवं पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिये अति आवश्यक है।
पिथौरागढ़ का पुरातन नाम सोर था। सोर का अर्थ स्थानीय स्तर पर सरोवर से निकाला जाता है। आज भी पिथौरागढ़ नगर की ड्रेनेज व्यवस्था प्राकृतिक है। नगर के निचले हिस्से में तीन नाले बहते हैं। एतिहासिक तथ्यों के अनुसार उक्त प्राकृतिक ड्रैनेज सिस्टम सदियों पूर्व यहां मौजूद सरोवर के चलते है। शताब्दियों पूर्व सरोवर होने के कारण सोर वर्तमान पिथौरागढ़ में जल स्रोतों की संख्या काफी अधिक थी। जिला बनने से पूर्व यहां की जनता इन स्रोतों नौलों-धारों पर निर्भर थी। वर्तमान में भी बचे, खुचे नौलों-धारों पर नगर की 25 फीसद आबादी आश्रित है। पिथौरागढ़ के पर्वतीय क्षेत्र होने से यहां पर बड़े तालाब नहीं हैं। छोटे.छोटे नौले पोखर, धारे व गधेरे हैं। जिनका अस्तित्व वर्तमान में पूरी तरह खतरे में है। पिथौरागढ़ नगर व इसके आसपास में तीन दशक तक मौजूद अधिकांश नौले और धारे सूख चुके हैं। कुछ पोखरों का जल प्रदूषित हो चुका है। बामुश्किल बचे इन नौलों और धारों का भविष्य भी अब अधिक समय तक नहीं है।
पिथौरागढ़ नगर के फैलाव के साथ ही नौले धारे सिमटते गए। जिन स्थानों पर मौजूद नौलों.धारों का पानी लोग पीते थे। उन स्थानों पर अब कई मंजिला मकान बन चुके हैं। पानी वाले स्थानों पर सड़कें बनी हैं और अभी भी इस तरह का निर्माण जारी है।पहाड़ के गांवों में पलायन के कारण नौलों का अस्तित्व मिट रहा है। शहरों में जो नौले थे भी तो वह प्रदूषित हो गए हैं। दुल्हन जब पहली बार ससुराल में कदम रखती थी। उसके स्वागत के बाद उसे नौला बावड़ी में ले जाया था। एक टोकरी में गांव की महिलाएं फल, फूल, अक्षत, दुल्हन और दूल्हे के हाथ में बंधा कंकण लेकर जाते।
यह सब नौले के पास अर्पित कर दी जाती। वहां नाच गाना होता। दुल्हन को नौले का रास्ता दिखाना भी इस परंपरा का उद्देश्य रहता था। अब तो शादी किसी होटल, बारातघर में होती है। वहीं से दुल्हन को ससुराल की राह पकड़नी पड़ती है। लोग अब पेयजल के लिए नौलों पर निर्भर नहीं हैं। हर घर के पास या फिर घर के भीतर नलों के कनेक्शन हैं। ऐसे में न तो नौले की जरूरत रहती है और न विवाह के बाद इसकी कोई अनिवार्यता रह गई है। यहां तक कि गांवों में भी नौला सिवाने की प्रथा समाप्त होने लगी है। विवाह की बदलती परंपरा में जो चीजें लुप्त हो रही हैं। नौले हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा रहे हैं। यह जीवन का आधार थे और जीवन जीने की प्रेरणा भी देते थे। आने वाले समय में नई पीढ़ी न तो नौलों के बारे में जानकारी रख पाएगी और न उसे विवाह के बाद होने वाली नौल सिवाने की परंपरा का ही पता रहेगा। यदि आने वाले समय में शहर इस समस्या से बाहर निकलना चाहता है तो इसका हल जनसहभागिता से ही निकल सकता है। जनसहभागिता से ही हालात में बदलाव आ सकता है। सरकारी परियोजनाएं एक हजार करोड़ की भी आ जाएं तो इस समस्या से कुमाऊ बाहर नहीं आ सकता। समाधान के लिए पानी के प्रति समाज में जागृति का आना जरूरी है। पानी का मोल जब तक शहरों में रहने वाले नहीं समझेंगे और पानी की गुणवत्ता को लेकर वह जागरूक नहीं होगा, तब तक उसे इस बात की समझ नहीं होगी कि पानी से जुड़ी सभी बीमारियों के जड़ में प्रदूषित पानी है। और इससे बचाव के लिए परिवेश को साफ रखना होगा।
पानी की सफाई के संकल्प से पहले पूरे जनसहभागिता को मन की सफाई करनी होगी। मन का मैल साफ करना होगा। वहां मैल होगा तो असर नौलो और धारों की पानी में भी साफ दिखेगा। इस पूरी प्रक्रिया में सरकार की भूमिका नेतृत्व की नहीं बल्कि एक सहयोगी की होनी चाहिए। 2022 तक हर घर में नल और हर नल में जल की परिकल्पना को साकार करने का लक्ष्य रखा गया हैण् राष्ट्रीय जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर घर में नल और हर नल में जल है। उन्होंने कहा कि मिशन तभी सार्थक होगाए जब हर नल में पानी होगा। यदि हिमालयी क्षेत्रों में भी जल के प्रति श्रद्धा और पवित्रता की भावना को समाज में फिर से स्थापित करने की ईमानदार कोशिश की जाए तो जलग्रहण क्षेत्रों को बचाना आसान हो सकता है। मूल में पानी को महज एक संसाधन भर समझने की उपभोक्तावादी मानसिकता कहीं भी नहीं थी। जल के साथ जीवन की समृद्धि की, सम्पूर्णता और श्रद्धा की भावना जुड़ी थी। दरअसलए नौलों और गधेरों के जलस्रोतों के साथ हमारे उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति और लोक साहित्य के गहरे सांस्कृतिक स्रोत भी जुड़े हुए हैं। वर्त्तमान हालात में नौलों और जलधारों के सूखने का मतलब है एक जीवंत पर्वतीय जल संस्कृति का लुप्त हो जाना। इसलिए जल की समस्या महज एक उपभोक्तावादी समस्या नहीं बल्कि जल, जमीन और जंगलों के संरक्षण से जुड़ी एक पर्यावरणवादी समस्या भी है।
हम यदि अपनी देवभूमि को हरित क्रांति से जोड़ना चाहते हैं तो हमें अपने पुराने नौलों, धारों, खालों, तालों आदि जल संचयन के संसाधनों को पुनर्जीवित करना होगा। पारंपरिक जलण्स्रोत यथा नोले, धारे, चाल, खाल बचाने की मुहिम जलसंचेतना की दिशा में अच्छी पहल है। आज आवश्यकता है चीड़ के स्थान पर चौड़ी पत्तियों वाले बाँज, बुरांश, उतीस आदि वृक्षों को लगाए जाने की ताकि भूमिगत जल रिचार्ज हो सके। प्रदेश शासन को इस मुहिम में अपना भरपूर योगदान देना चाहिए।जल समस्या का सबसे बड़ा समाधान है।

ShareSendTweet
Previous Post

मां लक्ष्मी को शीतकालीन प्रवास के लिए पुजारी रावल ने दिया न्यौता

Next Post

बुधवार को चमोली जिले में कोरोना के 25 नए मामले

Related Posts

उत्तरकाशी

धराली-हर्षिल क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी

August 7, 2025
7
उत्तराखंड

पौड़ी के सैजी गांव के आपदा प्रभावितों के आंसू पोंछने पहुंचे मुख्यमंत्री

August 7, 2025
12
उत्तराखंड

महासंघ ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

August 7, 2025
12
उत्तराखंड

नवजात शिशु के लिए स्तनपान अत्यंत आवश्यक

August 7, 2025
101
उत्तराखंड

नैनीताल सांसद अजय भट्ट के बयान पर भड़के कांग्रेसी, फूंका पुतला

August 7, 2025
66
उत्तराखंड

अमर वीर शहीद राइफलमैन स्व० मनदीप सिंह रावत को दी श्रद्धांजलि

August 7, 2025
9

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

धराली-हर्षिल क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी

August 7, 2025

पौड़ी के सैजी गांव के आपदा प्रभावितों के आंसू पोंछने पहुंचे मुख्यमंत्री

August 7, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.