• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

सिद्धांतों और उसूलों की राजनीति के प्रतीक थे डॉ.भक्तदर्शन

01/11/20
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
96
SHARES
120
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखण्ड के भक्तदर्शन का जन्म 12 फरवरी 1912 को गोपाल सिंह रावत के घर हुआ था। उत्तराखंड में उनका मूल गाँव था, भौराड़, पट्टी साँबली, पौड़ी गढ़वाल। ब्रिटिश उपनिवेश के समय सम्राट जॉर्ज पंचम के राज्यारोहण वर्ष में पैदा होने के कारण उनके पिता ने उनका नाम राजदर्शन रखा था, परन्तु राजनीतिक चेतना विकसित होने के बाद जब उन्हें अपने नाम से गुलामी की बू आने लगी, तो उन्होंने अपना नाम राजदर्शन से बदलकर भक्तदर्शन कर लिया था। प्रारम्भिक शिक्षा के बाद भक्तदर्शन ने डीण्एण्वीण् कॉलेज देहरादून से इंटरमीडिएट किया और विश्व भारती शान्ति निकेतन से कला स्नातक व 1937 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर परीक्षाएँ पास कीं। शिक्षा प्राप्त करते हुए ही उनका सम्पर्क गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर, डॉण् हजारी प्रसाद द्विवेदी आदि से हुआ। वर्ष 1929 में ही डॉण् भक्तदर्शन लाहौर में हुए कॉन्ग्रेस के अधिवेशन में स्वयंसेवक बने। 1930 में नमक आंदोलन के दौरान उन्होंने प्रथम बार जेल यात्रा की। इसके बाद वे 1941, 1942 व 1944, 1947 तक कई बार जेल गए।
शिवरात्रि के दिन भक्तदर्शन का विवाह जब सावित्री जी से हुआ था, तब उनकी जिद के कारण सभी बारातियों ने खादी वस्त्र पहने थे। उन्होंने न वर के रूप में पारम्परिक मुकुट धारण किया और न ही शादी में कोई भेंट स्वीकार की। देशभक्ति का जुनून उन पर इतना था कि शादी के अगले दिवस ही वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए चल दिएए इसी दौरान संगलाकोटी में ओजस्वी भाषण देने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। यदि भक्तदर्शन आज के समय में ऐसा करते तो कॉन्ग्रेस द्वारा दिहाड़ी रोजगार पर रखे गए सस्ते कॉमेडियन और मीडिया गिरोह उन्हें ष्हायपर नेशनलिज़्म और देशभक्त कहकर चुटकुले जरूर बनाते।इसके बाद भक्तदर्शन ने गढ़देश के सम्पादकीय विभाग में कार्य किया। कर्मभूमि पत्रिका लैंसडौन में वो 1939 से 1949 तक सम्पादक रहे। प्रयाग से प्रकाशित ष्दैनिक भारतष् के लिए काम करने के कारण उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। वे कुशल लेखक थे। उनकी लेखन शैली व सुलझे विचारों का पाठकों पर बड़ा प्रभाव पड़ता था। भक्तदर्शन 1945 में गढ़वाल में कस्तूरबा गाँधी राष्ट्रीय स्मारक निधि और आजाद हिन्द फौज के सैनिकों हेतु निर्मित कोष के संयोजक रहे। उन्होंने प्रयत्न कर आजाद हिन्द फौज के सैनिकों को भी स्वतंत्रता सेनानियों की तरह पेंशन व अन्य सुविधाएँ दिलवाई थीं।
आजादी के बाद 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भक्तदर्शन गढ़वाल सीट से कॉन्ग्रेस के टिकट पर पहली बार सांसद चुने गएए जिसमें उन्होंने 68.81 प्रतिशत मत प्राप्त कर शानदार जीत दर्ज की। वर्ष 1951-52 में उन्होंने लोकसभा में गढ़वाल सीट का प्रतिनिधित्व किया। उस समय गढ़वाल सीट में मुरादाबाद तक का क्षेत्र शामिल था, इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और कुल 4 बार इस सीट पर जीत दर्ज की। 1957, 1962, 1967 के लोकसभा चुनाव में भक्तदर्शन बार.बार चुनाव जीतते गए। भक्तदर्शन के रूप में गढ़वाल लोकसभा सीट कॉन्ग्रेस की जीत का पर्याय बन चुकी थी। वह भक्तदर्शन की राजनीति का स्वर्णिम दौर था। देश की राजनीति में उनका तगड़ा दखल था। नेहरू कैबिनेट में वे केंद्रीय शिक्षा मंत्री तक रह चुके थे। केन्द्रीय शिक्षामंत्री के रूप में उन्होंने केन्द्रीय विद्यालयों की स्थापना करवाई और केन्द्रीय विद्यालय संगठन के पहले अध्यक्ष रहे।
अपने व्यक्तित्व के कारण वर्ष 1963 से 1971 तक वे जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री व इंदिरा गाँधी के मंत्रिमंडलों के सदस्य रहे। गाँधी जी के हिन्दी के प्रति प्रेम और उन्हीं के विचारों से प्रेरित होकर भक्तदर्शन ने केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की स्थापना कराई थी। दक्षिण भारत व पूर्वोत्तर में हिन्दी के प्रचार.प्रसार में उनका अद्वितीय योगदान रहा। वे ओजस्वी वक्ता थे और इतना सुन्दर बोलते थे कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते थे। संसद में वे हिन्दी में ही भाषण देते थे और प्रश्नों का उत्तर भी हिन्दी में ही देते थे प्रेरणाशील व्यक्ति अपने साधन और मार्ग तलाश लेता है। राजनीति से संन्यास लेने के पश्चात् उन्होंने अपना सारा जीवन शिक्षा व साहित्य की सेवा में लगा दिया। वे एक लोकप्रिय जनप्रतिनिधि थे। जिस किसी पद पर भी वे रहेए उन्होंने निष्ठा व ईमानदारी से कार्य किया। महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व का प्रभाव उनके जीवन के हर भाग में आयाए वे सादा जीवन और उच्च विचार के जीवन्त उदाहरण बने रहे। बड़े से बड़ा पद प्राप्त होने पर भी अभिमान और लोभ उन्हें छू न सका।
वे ईमानदारी से सोचते थे, ईमानदारी से काम करते थे। निधन के समय भी डॉण् दर्शन किराए के मकान में रह रहे थे। आजीवन किसी दबाव पर अपनी सत्यनिष्ठा छोड़ने को वे कभी तैयार नहीं हुए।1972 से 1977 तक भक्तदर्शन खादी बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे और 1972 से 1977 तक कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे। 1988-90 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष रहे और दक्षिण भारत के अनेक हिन्दी विद्वानों को उन्होंने सम्मानित करवाया। हिन्दी और भारतीय भाषाओं के लेखकों की पुस्तकों का अनुवाद करवाया और उनके प्रकाशन में सहायता की। डॉण् भक्तदर्शन ने अनेक उपयोगी ग्रंथ लिखे और सम्पादित किए। इनमें श्रीदेव सुमन स्मृति ग्रंथ श्रीदेव सुमन ने टिहरी में प्रजा मंडल आंदोलन द्वारा जनता को ब्रिटिश सरकार के एहसानों में दबी राजशाही के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी, गढ़वाल की दिवंगत विभूतियाँ दो भाग, कलाविद मुकुन्दी लाल बैरिस्टर, अमर सिंह रावत एवं उनके आविष्कार तथा स्वामी रामतीर्थ पर आलेख प्रमुख हैं। इसीलिए डॉण् भक्तदर्शन को मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया था। 79 वर्ष की उम्र में अप्रैल 30, 1991 को देहरादून में डॉण् भक्तदर्शन का निधन हो गया। जो ज्यादा उम्रदराज हैं, वे अपनी राजनीतिक विरासत अपने पुत्र, पुत्रियों व रिश्तेदारों के लिए छोड़ जाना चाहते हैं।
ऐसे दौर में भक्तदर्शन एक मिसाल हैं। यही वजह है कि जब-जब उसूलों की सियासत की बातें होती हैं, तो भक्तदर्शन का जिक्र करना कोई नहीं भूलता।वर्तमान समय में जरूरी है उन हस्तियों को याद किया जाना, जिन्होंने समाज में उदाहरण पेश किए कि यदि व्यक्ति अपने कार्य के प्रति समर्पित, लग्नशील और ईमानदार है तो वह निडर होकर परिस्थितियों का सामना कर समाज के लिए मिसाल बन जाता है।

Share38SendTweet24
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

देश के अंमित गांव माणा से साइकिल यात्रा का शुभारंभ

Next Post

उत्तराखंड में एक दिन में 222 कोरोना संक्रमित

Related Posts

उत्तराखंड

डोईवाला: सिंचाई नहर बंद होने से गन्ने की कई बीघा फसल सुखी, किसानों ने दी आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी

November 17, 2025
8
उत्तराखंड

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत को इंडियन केमिकल सोसाइटी वर्ष 2025 का “आचार्य पी. सी. राय मेमोरियल लेक्चर अवॉर्ड”

November 17, 2025
5
उत्तराखंड

जियो थर्मल पॉलिसी बनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य: डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम

November 17, 2025
8
उत्तराखंड

उत्तराखंड पहाड़ों के लिए अब आर्थिक और राजनीतिक संकट

November 17, 2025
6
उत्तराखंड

प्रख्यात चिकित्सक डाँ सुदर्शन सिंह भण्डारी के आकस्मिक निधन से पैनखंडा जोशीमठ एवं दसोली क्षेत्र शोक की लहर

November 17, 2025
14
उत्तराखंड

उत्तराखण्ड राज्य की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रवासी उत्तराखण्डी अधिवक्ताओं के साथ संवाद किया

November 16, 2025
13

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67506 shares
    Share 27002 Tweet 16877
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45757 shares
    Share 18303 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38034 shares
    Share 15214 Tweet 9509
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37426 shares
    Share 14970 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37305 shares
    Share 14922 Tweet 9326

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

डोईवाला: सिंचाई नहर बंद होने से गन्ने की कई बीघा फसल सुखी, किसानों ने दी आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी

November 17, 2025

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत को इंडियन केमिकल सोसाइटी वर्ष 2025 का “आचार्य पी. सी. राय मेमोरियल लेक्चर अवॉर्ड”

November 17, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.