सरकार द्वारा 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए सरकार ने अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में टीबी मरीजों का आंकड़ा जारी किया गया है। आंकड़े के अनुसार उत्तराखंड में पब्लिक सेक्टर में 10,140 और प्राइवेट सेक्टर में 11,250 मरीज हैं।
कुल 21,390 मरीजों को चिह्नित कर उनका इलाज करना है। जबकि राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार पब्लिक सेक्टर में 11,896 और प्राइवेट सेक्टर में 3,066 ही मरीज हैं। ऐसे में 6,428 टीबी रोगियों का बड़ा अंतर सवाल पैदा करता है कि आखिर इतने टीबी मरीज आखिर गए कहां, अंतर प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा है इलसिए टीबी मरीजों को प्राइवेट सेक्टर में चिह्नित करने का प्रयास किया जा रहा है। देहरादून, नैनीताल और हरिद्वार की प्रगति रिपोर्ट ठीक है।
आपको बता दें कि टीबी मरीजों को चिह्नित करने और जागरूक करने के लिए केंद्र सरकार ने आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) से भी करार किया है। आईएमए को कार्यशाला आयोजित करनी होगी साथ ही शिविर भी आयोजित करने होंगे। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से बजट का प्रावधान किया गया है। इसके तहत निजी प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों को टीबी मरीजों की सूचना जिला क्षय रोग अधिकारी को देनी होगी। ताकि टीबी मरीज की इंट्री निक्षय पोर्टल पर हो सके।