देहरादून। राज्य के वित्त विभाग की 55 टीमों ने 70 व्यापारिक स्थ्लों पर एक साथ छापे मारकर 8000 करोड़ की जीएसटी गड़बड़ी का खुलासा किया है। वित्त सचिव अमित नेगी के नेतृत्व में यह छापेमारी की गई। दिल्ली, हरियाणा समेत दूसरे राज्यों की फर्मों ने जीएसटी गड़बड़ी का यह कारनामा उत्तराखंड में किया है।
विगत कुछ माह से खबरें मिल रही थी कि उत्तराखंड में कुछ लोग जीएसटी के फर्जी तरीके से पंजीयन कर करोड़ों का करोबार ई-वे बिल के जरिये कर रहे हैं। इसकी गोपनीय जांच की गई। जिसमें 70 फर्मों द्वारा 8000 करोड़ के ई-वे बिल बनाने की बात सामने आई। गहन जांच करने के बाद पता चला कि 70 में से 34 ुफर्म दिल्ली से मशीनरी और कंपाउंड दाना की खरीद के वे बिल बना रहे थे। जिसका मूल्य 1200 करोड़ है। इन फर्मों द्वारा आपस में ही खरीद फरोख्त के साथ बाहरी फर्मों से भी खरीद फरोख्त की गई। वे बिल का मूल्य 1200 करोड़ रुपये है, जिसमें वे बिल के माध्यम से मूल्य वर्धन करते हुए यह धनाराशि 8000 करोड़ रुपये हो जाती है।
26 फर्मों के माध्यम से चप्पल की बिक्री अन्य राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट में दिखाई जा रही थी। मौके पर कोई फर्म नहीं पाई गई, न कोई पंजीकृत व्यक्ति। इस फर्जीवाड़े का दायरा दूसरे राज्यों तक फैला हुआ है। फर्जी तरीके से बनाये गए ई-वे बिल की फाइलों में प्राथमिक जांच में प्रयोग किए गए ज्यादातर वाहन पूर्वोत्तर में पंजीकृत किए गए हैं।
जांच में यह बात सामने आई है कि 80 लोगों ने 21 मोबाइल नंबर और ई-वे बिल का प्रयोग कर दो-दो की साझेदारी में 70 फर्म पंजीकृत की थी। पंजीयन लेने समय दिए गए विवरण के अनुसार सभी साझीदार दिल्ली और हरियाणा के हैं। उत्तराखंड में किराये पर व्यापार स्थल लिए गए दर्शाये गए हैं। एक व्यक्ति ने अलग-अलग नाम से साझेदारी दिखाई है। इस बड़े फर्जीवाड़े के लिए उत्तराखंड को चुना गया है। जिसके कई संदेश जाते हैं।