डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
पहाड़ की खूबसूरत वादियों को निहारते हुए पहाड़ी व्यंजन खाने का लुत्फ उठाने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक पहाड़ का रुख करते हैं। अगर पहाड़ी व्यंजनों की बात करें तो ठंड के दिनों में सबसे अधिक खाई जाने वाली दालें भट्ट की चुड़कानी है। यह शरीर को गर्म रखती है, पहाड़ की गहत, भट, रैंस आदि दालों का सीजन आ गया है। ठंड के दिनों में इन दालों की मांग काफी बढ़ जाती है। इस बार गहत 130 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है। दिल्ली, मुंबई सहित महानगरों में रहने वाले पहाड़ के लोग भी इन दिनों गहत, भट, रैंस, राजमा आदि दालों को मंगवा रहे हैं। विदेशों में रहने वाले पहाड़ी लोगों के पास भी यह दालें भेजी जा रही हैं। यही कारण है कि हर साल गहत और भट के दामों में उछाल आ रहा है। इस परंपरागत रेसिपी को भट्ट की दाल से बनाया जाता है। भट्ट की दाल सोयाबीन की प्रजाति की ही दाल है अल्मोड़ा जनपद के धौलादेवी ब्लॉक के भनोली, पपोली, शहरफाटक और ताकुला सहित कई अन्य ब्लॉकों में गहत, भट आदि दाल की अच्छी पैदावार होती है। काश्तकार इन दालों को बाजार में बेच देते हैं। पिछले साल भट 120 रुपये किलो बिक रही थी, लेकिन इस बार 130 रुपये किलो पहुंच गई है। हालांकि अन्य दालों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है।
इन दिनों लोग भट के चुड़काणी, डुबके, भट का जौला आदि का स्वाद भी लेते हैं। भट की दाल पीलिया आदि रोगों में फायदेमंद होती है। भट में कई बीमारियों और इंफेक्शन का इलाज छिपा है। सोयाबीन प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत होता है। इसमें मिनरल्स के अलावा, विटमिन बी कॉम्प्लेक्स और विटमिन ए की भी भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसलिए आम लोगों से लेकर जिम करने वाले लोग भी प्रोटीन के सेवन के लिए भट-सोयाबीन को तरजीह देते हैं। इसे लोग तरह.तरह से खाते हैं। भट-सोयाबीन को सब्जी या परांठे के रूप में भी खाया जाता है तो इसके कटलेट या फिर दूध में मिक्स करके भी खाया जा सकता है। सोयाबीन-भट स्नैक्स के रूप में भी काफी हेल्दी होता है। इन खड़ी दालों से बनने वाला रस एक किस्म की दाल भी बहुत स्वादिष्ट होता है। पहाड़ी दाल के विक्रेता खीमानंद भट्ट ने बताया कि गहत और भट की दाल की मांग ज्यादा है। हर रोज उनकी दुकान से दस किलो गहत बिक जाती है। इन दिनों दिल्ली, मुंबई, बंगलूरू सहित देश के तमाम बड़े शहरों ही नहीं विदेशों में रहने वाले प्रवासी लोग भी गहत, भट, राजमा आदि मंगवा रहे हैं। गहत, भट्ट के अलावा सोयाबीन, राजमा, उड़द जैसी दालों के अलावा पहाड़ी बड़ी, मूंग दाल की मंगोड़ी की भी काफी मांग है।
पहाड़ी बड़ी चार सौ और मंगोड़ी तीन सौ रुपये किलो बिक रही है। इनमें पाये जाने वाले पोषक तत्व हमारे शरीर का विकास करते हैं तथा हमारे स्वास्थ्य को उत्तम बनाये रखते हैं। ग्राम्य विकास विभाग द्वारा केएमवीएन काप्लेक्स में संचालित किए जा रहे सरस बाजार में इन दिनों पहाड़ी दालों के खरीदार खूब आ रहे हैं। मौसम के मिजाज में आए बदलाव से तापमान में गिरावट आई है। ठंड बढ़ने के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले मोटे अनाज की बिक्री में भी इजाफा हुआ है। आमतौर पर ठंड में सेहत के लिए मुफीद समझी जाने वाली गहत और भट की दाल को ग्राहक हाथों हाथ ले रहे हैं। डिमांड बढ़ने के साथ ही गहत और भट्ट की कीमतों में भी इजाफा हुआ है मौसम चाहे कोई भी हो, फलों की आवश्यकता हमारे शरीर को हरदम होती है। बेर भी इन्हीं फलों में से एक है। प्रदेश में उच्च गुणवत्तायुक्त का उत्पादन कर देश.दुनिया में स्थान बनाने के साथ राज्य की आर्थिकी तथा पहाड़ी क्षेत्रों में पलायान को रोकने का अच्छा विकल्प बनाया जा सकता है। अगर ढांचागत अवस्थापना के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो यह पलायन रोकने में कारगर होगी उत्तराखण्ड हिमालय राज्य होने के कारण बहुत सारे बहुमूल्य उत्पाद जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग रहती है।
प्रदेश में उच्च गुणवत्तायुक्त का उत्पादन कर देश.दुनिया में स्थान बनाने के साथ राज्य की आर्थिकी तथा पहाड़ी क्षेत्रों में पलायान को रोकने का अच्छा विकल्प बनाया जा सकता है।