एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स उत्तराखंड इलेक्शन वॉच के अभियान दल का मतदाता जागरूकता अभियान जारी है। दल नैनीताल से चलकर रात्रि 8.00 बजे चम्पावत पहुँचा। एडीआर उत्तराखंड एलेक्शन वॉच के प्रदेश समन्वयक सैनिक शिरोमणि मनोज ध्यानी ने बताया कि नैनीताल पड़ाव के दौरान अभियान दल ने महाधिवक्ता संघ कार्यालय, हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं, बैंकिंग संस्थानों व नागरिकों के बीच जागरूकता अभियान चलाया।
अभियान दल ने वह आंकड़े आम जन से साझा किये, जिनमें 2012 एवं 2017 की विधानसभा के विधायकों पर आपराधिक, गंभीर आपराधिक एवं उनकी सम्पत्ति से संबंधित विवरण दिए गए हैं। एडीआर उत्तराखंड इलेक्शन वॉच के अभियान दल ने चुनाव के समय निर्वाचन पत्रावली में उजागर की जाने वाली जानकारी के विषयगत बारीकियों को समझाया व नागरिकों को जागरूक किया। साफ सुथरे लोकतंत्र के लिये कार्य करने हेतु मतदान में प्रतिभाग करें, साफ सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों को ही वोट दें। टीम ने छोटे-छोटे समूहों में जन संवाद के कार्यक्रम आयोजित किये। रास्ते में नागरिकों को पब्लिक एड्रेस सिस्टम द्वारा सम्बोधित भी करते रहे।
एडीआर द्वारा शोध व संकलन का डाटा नागरिकों को वितरित किया, इस अभियान दल की कोशिश है कि जनता जागरूक बने। उन्हें पता हो कि चुनाव में मनी पॉवर व मशल पॉवर का बोलबाला समाज के लिए कितना चिंताजनक है।
एडीआर के संकलित डाटा के आधार पर निष्कर्ष निकल रहा है कि 50 प्रतिशत से अधिक विधायकों पर पर्चा भरने के समय आपराधिक मुकदमे रहे थे। इसी प्रकार से पिछले निर्वाचन 2017 में पर्चे भरते वक्त 70 प्रतिशत से अधिक विधायक करोड़पति थे। यदि वर्ष 2017 में भरे निर्वाचन पत्रों के डाटा का वर्ष 2012 के समय भरे निर्वाचित विधायकों के डाटा के साथ तुलना की जाए तो पता चल रहा है कि जहाँ 2012 में 19 विधायकों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे, वहीं 2017 में यह संख्या बढ़कर 20 हो गई थी। विधायकों पर गंभीर मुकदमे जैसे कि हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती आदि की बात की जाए तो जहां 2012 में 05 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मुकदमे थे, वहीं 2017 में बढ़कर 14 हो गईं। 2017 में 2012 के मुकाबले करोड़पति विधायकों की संख्या भी 32 से बढ़कर 46 हो गई।
उत्तराखंड इलेक्शन वॉच विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा अर्जित की गई आय एव व्यय का व्यौरा भी अपने पर्चो के द्वारा कर रही है। उत्तराखंड इलेक्शन वॉच का अभियान मेरा वोट मेरा उत्तराखंड नाम से संचालित हो रहा है। जनता से अनुरोध किया जा रहा है साफ छवि वाले और ईमानदार उम्मीदवार को मतदान करने की शपथ लें, मतदाताओं से अनुरोध किया जा रहा है कि वह जाति, धर्म, पंथ, लिंग, धन व उपहार के आधार पर मतदान ना करें। यदि कोई भी उम्मीदवार साफ छवि का नहीं है तो वह नोटा को भी विकल्प के रूप में अपना सकते हैं।
आरटीआई क्लब के यज्ञभूषण शर्मा नागरिकों में यह अभिप्रासारित कर रहे हैं कि राजनीतिक दल देश के मुख्य सूचना आयोग के निर्णय अनुसार आरटीआई के दायरे में लाये जाएं, ताकि लोकतंत्र पूर्ण पारदर्शिता आ सके।












