
फाटो-
01-भूस्खलन से पहले सुरक्षित स्थान पर खडा होटल।
02- भूस्खलन के बाद होटल का नामोनिशाॅ ही मिटा।
प्रकाश कपरूवाण ।
जोशीमठ।
जल,जंगल, जमीन के बाद अब रोजगार का आशियाना भी छिना, प्रकृति की मार भी परियोजना प्रभावितों के ऊपर ही पहाड बनकर टूट रही है। सुरंग के कारण रोजगार का एक मात्र साधन भी ध्वस्त होने से सदमे है प्रभावित परिवार। सेंलग गाॅव व बदरीनाथ हाईवे भी अब भूस्खलन की जद मे आ चुका है।
एनटीपीसी द्वारा निर्माणाधीन 520मेगावाट की विद्युत परियोजना से प्रभावित गाॅव सेलंग पर अब आफत के बादल मंडराने लगे है। सेलंग गाॅव के ठीक नीचे से बनाई गई एडिट टनल का असर अब दिखने लगा है, टनल के ऊपर बसे सेलंग गाॅव भी अब खतरे की जद मे आ गया है, यहाॅ गाॅव के नीचे बदरीनाथ हाईवे के साथ ही गाॅव की ओर भी दरारे दिखनी शुरू हो गई है। जिसके चलते पूरा गाॅव भयभीत है, और अब विस्थापन की मंाग करने लगा है।
इस परियोजना के लिए सेलंग गाॅव की करीब एक हजार नाली उपजाऊ भूमि व करीब तेरह सौ नाली वन पंचायंत की भूमि का अधिग्रहण किया गया था, कई विरोध के वावजूद हुए अधिग्रहण के बाद उस समय जो भी धनराशि मिली उस राशि से भूमि से बेदखल हो चुके लेागो ने पलायन के बजाय पर्यटन के माध्यम से रोजगार का रास्ता चुना, और गाॅव के नीचे बदरीनाथ हाइ्र्र वे पर होटल-ढाबो का निर्माण किया, लेकिन गाॅव के नीचे बने सुरंगो के कारण अब प्रभावित ग्रामीणों के एक मात्र रोजगार के साधन होटल आदि भी जमीदोज हो रहे है, ऐसा ही वाकया बीती 7अगस्त को सेलंग मे हुआ, टनल के ऊपरी ओर बना 25कमरो का होटल व 4कमरो का सामुदायिक भवन जमींदोज हो गए। इतना ही नही सेलंग गाॅव के नीचे की ओर बदरीनाथ हाइ्रवे तक बडी-बडी दरारें दिख रही है जो दिनप्रतिदिन चैडी होती जा रही है।
स्ुाुरक्षित समझे जाने वाली भूमि पर बनाए गए होटल व सामुदायिक भवन के ढह जाने व गाॅव के निचली ओर बढ रही दरारों को देखते हुए प्रभावित ग्रामीण भी भयभीत है,और विस्थापन की मांग कर रहे है। ऐसा नही कि सेलंग के प्रभावित ग्रामीणों ने पहले विस्थापन की मांग ना की हो, परियोजना निर्माण शुरू होते ही इसी आंशका को देखते हुए ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थान पर विस्थापन की मांग की थी, लेकिन किसी भी स्तर पर प्रभावित ग्रामीणों की सुनवाई नही हुई, और नतीजा जल, जंगल जमीन, चाल, खाल सब कुछ बर्दाद होने के बाद अब पर्यटन के माध्यम से स्वरोजगार के साधन जुटाकर परिवार की गुजर बसर करने वाले प्रभावित ग्रामीणो को परियोजना के कारण ही इससे भी बेदखल होना पडा रहा है।
परियोजना के कारण प्रभावित गाॅव सेलंग मे हुई घटना से चिन्तित ग्रामीणों की एक बेहद आवश्यक बैठक ग्राम प्रधान अन्जू देवी की अध्यक्षता मे हुई जिसमे एक स्वर से एनटीपीसी के माध्यम से गाॅव के विस्थापन की कार्यवाही कराने के साथ ही एडिट टनल के ऊपरी ओर ्रपभावित काश्तकार उदय ंिसह फरस्वांण के 25कमरो का होटल व चार कमरो का सामुदायिक भवन का मुवावजा भी एनटीपीसी से दिलाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।
दरसअल एनटीपीसी द्वारा निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड 520मंेगावाट की जल विद्युत परियोजना टनल आधरित परियोजना है, जिसमे तपोवन से लेकर अणीमठ-पैनी तक करीब 12किमी0सुरंग का निर्माण कार्य जारी है। इस सुरंग के ऊपर तपोवन, ढाक, बडागाॅव, मेरग, सेलंग व पैनी ग्राम पंचायतों के अलावा जोशीमठ नगर पालिका के पूरे क्षेत्र की वसावट है, और अब सेलंग मे सुरंग के ऊपरी ओर बने भवन जिस प्रकार से ध्वस्त होकर जमींदोज हो रहे है, इससे 12किमी0 सुरंग के ऊपर की बसावट पर क्या इसी प्रकार का खतरा मंडरा सकता है!
इस घटना ने अब नई बहस को जन्म दे दिया है। यहाॅ यह भी बताना आवश्यक है कि जेपी पावर बैचंर द्वारा इसी सीमान्त पैनखण्डा विकास खंड जोशीमठ मे 400मेगावाट की परियोजना का निर्माण किया है,यह परियोजना भी सुरंग आधारित परियोजना है, इस परियोजना के लिए संुरग का निमार्ण अधिकांश चटटानी भाग मे हुआ है, बसावट केवल चाॅई गाॅव ही सुरंग के ऊपर है,और वहाॅ भूस्खलन हुआ था, और चाॅई गाॅव के निचले हिस्से के ग्रामीणों को जोशीमठ के मारवाडी अािद सुरक्षित स्थानो पर विस्थापन किया गया था।
अब देखना होगा कि सेलंग गाॅव की घटना के बाद पर्यावरणविद, भूगर्भवेत्ता नए सिरे से इस परियोजना का अध्ययन कब तक शुरू कर पाते है, और उत्तराखंड सरकार प्रभावित गाॅव सेलंग की जानमाल की सुरक्षा के बेहतर उपाय किस प्रकार करती है, इस पर हल्की वारीश मे रतजगा कर रहे सेंलग गाॅव के प्रभवितो की नजरें रहेगी।