गैरसैंण। वर्तमान में सरकार द्वारा वैष्णो देवी की तर्ज पर उत्तराखंड के चारों धामों का श्राइन बोर्ड का गठन किये जाने की प्रक्रिया को ले कर पूर्व बद्री नाथ केदार नाथ मंदिर कमेटी के अध्यक्ष डाँ0 ए पी मैखुरी ने चारों धामों में वंशानुगत पुजारियों हक हकूकधारियों के पक्ष में खुलकर कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यहां की विषम भौगोलिक एवं धार्मिक परिस्थियां अनुकूल नहीं होने से श्राइन बोर्ड का गठन किया जाना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि श्री बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री की वर्षों वर्षों से पूजा व्यवस्थायें मंदिर समिति एवं स्थानीय हक हकूकधारी तीर्थ पुरोहितों एवं वंशानुगत पुजारियों द्वारा गठित समितियों के द्वारा निर्विवाद रूप से की जाती रही है। और उत्तराखंड के हजारों हजार परिवारों की आजीविका इन मंदिरों पर ही निर्भर करती है। और पूजाओं एवं यात्रा व्यवस्थाओं में यहां के स्थानीय लोगों का बहुत बड़ी भूमिका रहती है।
जहां एक ओर श्री बद्रीनाथ, केदारनाथ धामों की व्यवस्थायें मंदिर समिति एक्ट 1939 के तहत संचालित हैं, जिसमें बद्रीनाथ केदारनाथ की पूजायें त्रीस्तरीय पूजा पद्धति के तहत सम्पादित होती है। जिसमें मंदिर समिति द्वारा नियुक्त रावल एवं पुजारी पूजायें सम्पादित करते हैं। वहीं दूसरी ओर हक.हकूकधारी तीर्थपुरोहितों वंशानुगत पुजारियों द्वारा पूजायें सम्पादित की जाती हैं। इसी तरह गंगोत्री यमुनोत्री में स्थानीय तीर्थ पुरोहितों, हक हकूकधारियों द्वारा प्रगन्नाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा की जाती है। गंगोत्री में पूजा व्यवस्था स्थानीय हक हकूकधारियों एवं पुुजारियों द्वारा स्वतंत्र रूप से गठित समिति गंगा सभा द्वारा सम्पादित की जाती है।
जबकि श्राइन बोर्ड एक्ट 1988 के तहत कटरा से बैष्णो देवी तक तमाम परिसंपतियों एवं पूजा व्यवस्थाओं पर सीधे .सीधे सरकार का अधिकार है। उन्होंने कहा कि चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारी पुजारियों के हितों की रक्षा के लिए कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए उत्तराखंड में श्राइन बोर्ड गठन की सोच का पुरजोर विरोध करेंगे।
इस दौरान उनके साथ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र रावत, ब्लाक अध्यक्ष के एस बिष्ट, पूर्व राज्य मंत्री सुरेंद्र सिंह बिष्ट, ध्यान सिंह आदि कई कांग्रेसी मौजूद रहे।