रुद्रप्रयाग। एएन एम या फार्मासिस्ट को गाँवों में भेजकर बुखार पर नियन्त्रण करवाने के बजाय गाँव में आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भेजा जा रहा है। जो दो गोली पैरा सिटामोल दे रही है। वह हाई रिस्क का काम भी कर रही हैं, लेकिन इस काम से कोई समाधान होने वाला भी नहीं है।
गांव में निकली आशाओं को वट्सएप पर दवा के बारे में बताया जा रहा है। आशा कोविड पाँजीटिव किट से लोगों को दवा दे रही हैं। वह खुद दवा नहीं पहचानती हैं। कक्षा 8 पास आशा या फिर आँगनबाड़ी नाँन मेडिकल शिक्षा प्राप्त से क्यों दवा बाँटकर गाँव के लोगों के जीवन को खतरा पैदा किया जा रहा है? क्यों आशा आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों को डाक्टर बनाया जा रहा है?
चलने फिरने से असमर्थ सुदूरवर्ती गांवों के दिब्याँग व बुजुर्ग आज भी टीका से बंचित हैं। गाँवों के निकटवर्ती स्वास्थ्य केन्द्र में कोई डाक्टर फार्मासिस्ट नहीं है। वार्ड ब्वाय या चपरासी बड़ी मुश्किल से वहां मिलेंगे।। दवा वितरण जैसे इस संवेदनशील कार्य में क्यों नहीं प्रशिक्षित लोगों को लगाया जा रहा है। कई मेडिकल पृष्ठभूमि के स्वयं सेवक निशुल्क सेवा देने को तैयार हैं, उनकी मदद इस महामारी में क्यों नहीं ली जानी चाहिए।