आशा कार्यकर्ती संगठन रुद्रप्रयाग ने केदारनाथ विधायक को भेजे पत्र में कहा है कि उनका मूल कार्य गर्भवती व नवजात की सुरक्षा करना है। लेकिन इसके साथ उनसे कोविड कार्य कराकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों की जान को खतरा पैदा किया जा रहा है। यदि कोविड कार्य इतना आश्यक है तो हमें मूल कार्य से हटा दिया जाए, ताकि गर्भवती महिलाओं और शिशुओं का जीवन खतरे में न आए।
विधायक को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि वे सरकारी कर्मचारी तो दूर संविदा कर्मी की श्रेणी में भी नहीं आते है। वेतन तो दूर आशाओं को मानदेय भी नहीं मिलता है। वेतन लेने वाले कई डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मी आइसोलेट हैं परन्तु भूखे पेट जोखिम में कार्य करने वाली एक भी आशा आइसोलेट नहीं है।
ऐसी जोखिम भरी परिस्थिति में आशा स्वयं के साथ-साथ अपने परिवार व बच्चों को भी दाँव पर लगा रही है। आशा कार्यकत्री कम पढ़ी लिखी हैं, इसलिए वह अपनी अज्ञानता की वजह से लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकती हैं।
सोशल मीडिया से ज्ञात हुआ कि आपके द्वारा भी टेलीमेडिसिन सेवा के प्रशिक्षण में आशा को भी सम्मिलित किये जाने का वक्तब्य जारी किया गया है जो कि गरीब, लाचार, आशा ही नहीं, महिला का शोषण है। आशाओं को इससे अलग रखकर पुरजोर तरीके से सरकार के सामने हमारा पक्ष रखें।
पत्र लिखने वालों में लक्ष्मी देवी, शैला काला, सरिता, बबीता भट्ट, कुसुम बर्त्वाल समेत तमाम आशा संगठन विकास खंड जखोली के पदाधिकारी शामिल हैं।










