डोईवाला (प्रियांशु सक्सेना)। अठूरवाला सांस्कृतिक मंच के तत्वावधान में क्षेत्र में पहली बार भव्य रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी सभी तैयारियाँ पूरे उत्साह, श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ चल रही हैं। रामलीला का मंचन 24 अक्टूबर से प्रतिदिन रात्रि आठ बजे से मोलधार ग्राउंड, अठूरवाला में होगा। जबकि तीन नवंबर को श्रीराम राजतिलक समारोह के साथ इसका भव्य समापन किया जाएगा।
समिति के अध्यक्ष पुरुषोत्तम डोभाल ने बताया कि यह अठूरवाला के इतिहास का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आरंभ है। वर्षों बाद क्षेत्रवासी एक ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव के साक्षी बनेंगे, जो मर्यादा, आदर्श और सत्य के संदेश को पुनर्जीवित करेगा। उन्होंने कहा कि उद्देश्य केवल रामकथा का मंचन नहीं, बल्कि समाज में धर्म, नीति और संस्कारों की पुनर्स्थापना करना है।
महासचिव करतार सिंह नेगी ने बताया कि रामलीला के सभी प्रबंध स्थानीय स्तर पर किए जा रहे हैं ताकि यह आयोजन लोक परंपरा और आस्था का संगम बन सके। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और आने वाली पीढ़ियों में भारतीय मूल्यों के प्रति सम्मान जागृत करने का माध्यम है।
रामलीला की निर्देशक डॉ. ममता कुंवर ने बताया कि धार्मिक शुचिता को ध्यान में रखते हुए विशेष नियम बनाए गए हैं। 23 अक्टूबर को पडाल पूजन के उपरांत सभी कलाकारों एवं समिति सदस्यों द्वारा आगामी 11 दिनों तक तामसिक भोजन से परहेज किया जाएगा। किसी भी व्यक्ति को शराब सेवन की स्थिति में रामलीला परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि यह केवल एक सांस्कृतिक मंचन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जिसमें मर्यादा और अनुशासन सर्वोपरि हैं। इस मौके पर सचिव यशवंत सिंह गुसाई, उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष रणजीत गुसाई, सहसचिव सुमेर सिंह नेगी, सुरेंद्र सिंह नेगी, वीरेंद्र रावत, नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र सिंह नेगी, विमल गोसाई, संजय डोभाल आदि रहे।
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11 दिवसीय रामलीला का दिवसवार कार्यक्रम
प्रथम दिन: श्रवण लीला, कैलाश लीला, श्रीरामजन्म
दूसरे दिन: ताड़का वध, मारीज-सुबाहू, सीता जन्म
तीसरे दिन: सीता स्वयंवर, परशुराम-लक्ष्मण संवाद
चौथे दिन: कैकई कोपभवन, राम वनवास, भरत-कैकई संवाद
पांचवें दिन: केवट लीला, राम-भरत मिलन
छठवें दिन: शूर्पणखा माया, खरदूषण वध, सीता हरण, जटायू वध
सातवें दिन: शबरी-मिलन, श्रीराम हनुमान मिलन, बाली वध
आठवें दिन: अशोक वाटिका, लंका दहन, राम सेतु निर्माण
नौवें दिन: अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति, संजीवनी बूटी
दसवें दिन: मेघनाथ वध, कुम्भकरण वध, रावण वध
ग्यारहवें दिन: श्री राम राजतिलक, पुरस्कार वितरण
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*टिहरी विस्थापन के 40 वर्ष बाद अठूरवाला में गूंजेगी रामकथा*
अठूरवाला क्षेत्र में टिहरी विस्थापन के बाद पहली बार भव्य रामलीला आयोजित की जा रही है। समिति सदस्यों ने बताया कि वर्ष 1980 के टिहरी विस्थापन के बाद यह पहला अवसर है जब टिहरी की पारंपरिक रामलीला की तर्ज पर आयोजन हो रहा है। लगभग 40 वर्षों बाद क्षेत्र में पुनः वही सांस्कृतिक जीवंतता लौटने जा रही है। इस मंचन में स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ आस-पास के क्षेत्रों के कलाकार भी भाग ले रहे हैं। युवाओं, महिलाओं और बच्चों में इस आयोजन को लेकर अपार उत्साह है। समिति के सदस्यों ने कहा कि आज जब आधुनिकता के दौर में परंपराएँ मद्धम पड़ रही हैं, यह रामलीला आने वाली पीढ़ियों को संस्कार और सत्य के मार्ग पर प्रेरित करेगी। हमारा उद्देश्य रामकथा के मूल स्वरूप को पुनः जीवंत करना है, जिसे आधुनिक प्रस्तुति ने कहीं न कहीं विकृत कर दिया था। आयोजन समिति ने बताया कि मंच सज्जा, वेशभूषा, संगीत और प्रकाश व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा गया है ताकि दर्शक भक्ति और आस्था के वातावरण का सजीव अनुभव कर सकें। मंचन में स्थानीय कलाकारों के साथ अन्य क्षेत्रों से भी कलाकार भाग लेंगे।