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फोटो-
01- रंग-विरंगे टेण्टों ने औली को रंगीन वादियों मे तब्दील किया।
02-औली के स्कीइंग स्लोप पर पर्यटको का जमावडा।
03 चियर लिफ्ट मे बैठने के लिए पर्यटको की लंबी कतार ।
प्रकाश कपरूवाण
औली-जोशीमठ। नए साल के जश्न के लिए औली मे पर्यटको का जमावडा। पाॅच जनवरी तक के लिए सभी होटल व गेस्ट हाउस फुल। रोप-वे व चियर लिफ्ट की सवारी के लिए लंबी कतारे लग रही है। जोशीमठ-औली रोड वाहनो से पटा हुआ है। कई बार घंटो जाम लग रहा है।
यॅू तो विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र औली शीतकालीन पर्यटको की पहली पंसद बन रहा था लेकिन इस वर्ष गुप्ता बंधुओ के बेटो की शाही शादी के बाद औली और भी तेजी से प्रचारित हुआ। जिसका लाभ पूरे उत्तराख्ंाड को मिलने लगा है।
औली विंटर डिस्टिनेशन के रूप मे अब पूरी तरह उभर गया है। वर्ष 1986 मे पर्यटन विभाग व गढवाल मंडल विकास निगम द्वारा स्कीइंग प्रशिक्षण केन्द्र के रूप मे शुरू किए गए औली अब अपने पूरे यौवन पर है। प्रकृति भी औली पर खूब मेहरबान हो रही है। इस वर्ष कई वर्षो के अंतराल के बाद दिसबंर माह के पहले पखवाडे मे औली सहित समूचे सींमांत क्षेत्र मे हुई जर्बदस्त बर्फबारी ने न केवल स्कीइंग व बर्फ की दीवाने पर्यटको को अपनी ओर खींचा है ब्लकि स्थानीय लोगो को भी रोजगार के बेहतर अवसर दिए है।
बर्फबारी के बाद औली रोप वे से टिकट पाने के पर्यटको को देर रात्रि तीन बजे से कंबल ओढ कर टिकट काउंटर पर कतार मे खडे देखा गया। और सुबह नौ बजे टिकट कांउटर खुलने के बाद आधे से एक घंटे के भीतर पूरे दिन की बुकिंग हो जाती हैं। कई पर्यटको को तो निराश भी होना पडा है। बर्फबारी के तुरंत बाद जोशीमठ पंहुचे पर्यटको मे मे कई तो औली भी नही पंहुच सके। जिसका प्रमुख कारण यह भी रहा कि बर्फबारी क आठ दिनो तक औली-जोशीमठ 13किमी सडक मार्ग को नही खोला जा सका। इसके कारण रोप वे पर भारी दबाब रहा। जब पर्यटको को रोप वे की टिकट नही मिली और औली तक संडक मार्ग नही खुला तो पर्यटको ने सुनील व टीवी टावर के आस-पास तक पंहुचकर ही बर्फ का आंनद लिया और वापस चल दिए। अब औली तक सडक मार्ग खुलने से पर्यटक आसानी से अपने वाहनो व टैक्सियों से औली पंहुच पा रहे है।
विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र औली का नजारा इन दिनो देखते ही बन रहा है। औली मुख्य सडक मार्ग से जीएमवीएन कैपस तक की खाली भूमि मे रंगविरंगे टेण्टों से बर्फ के बीच पूरा औली ही रंगीन वादियो की तरह दिख दिख रही है। औली मे असंख्य टैण्टो के साथ ही प्राइवेट व जीएमवीएन के गेस्टहाउस फुल चल रहे है। औली मे ठहरने की जगह न मिलने के कारण पर्यटक दिन भर औली की हसीन वादियो मे बर्फ मे खेलकर सांय काके जोशीमठ व आस-पास के क्षेत्रो मे रात्रि प्रवास के लिए पंहुच रहे है।
औली मे स्थानीय युवा भी रोजगार के अनेक साधन अपनाकर आमदनी कर रहे है। कोई हिमालयन याॅक की जोडी के साथ बर्फ मे पर्यटको की फोटो खिचंवाकर आमदनी कर रहा तो कई युवा टायर टयूब को फुलाकर उसमे पर्यटको को बर्फ मे फिसलाकर रोजगार का साधन जुटा रहा है। कई युवा स्कीइंग के गुरू सिखाकर रोजगार अपना रहे है। औली मे प्रतिदिन हजारो पर्यटक पंहुच रहे है। और स्थानीय लोगो को इसका भरपूर लाभ मिल रहा है। यही नही जोशीमठ से औली के बीच के 13किमी0 सडक मार्ग के दोनो ओर भी कई टेण्ट कालोनी व होटल/रेस्टोरेंट बने है। इनकी बुकिंग भी फुल चल रही है।
विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र औली पर प्रकृति तो खूब मेहरबान हुई है लेकिन एक दुखद पहलू भी है कि बर्फबारी के बाद शाासन व प्रशासन को जिस तत्परता से सडक खोलने व विद्युत पंहुचाने का काम करना चाहिए था उसकी कमी अवश्य दिखी। औली यॅू ही पर्यटको की पहली पंसद नही बना इसके लिए वर्ष 1986 से ही उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के जागरूक अधिकारियों की सकारात्मक सोच रही है। पूर्व वर्षो मे हिमपात से पूर्व ही गढवाल कमश्निर व पर्यटन सचिव स्तर पर औली मे ही बैठको का दौर शुरू हो जाता था और इसमे सेना, आईटीबीपी, बीआरओ, जेपी एशोसिएटस, एनटीपीसी, सहित अनेक अन्य विभागाध्यक्षो को भी बुलाकार बर्फबारी के बाद कैसे सडक खोलना है के अलावा पर्यटको की सुविधार्थ सभी जिम्मेदारियाॅ तय कर दी जाती थी।
इस वर्ष बर्फबारी से पूर्व और ना ही बाद मे यह सब देखने को मिला। जब औली रोड ही आठ दिनो के अंतराल मे खुल सका तो समझा जा सकता है कि औली के प्रति सवेदनशीलता कितनी रही होगी! । औली मे विघुत पंहुचने मे दस से बारह दिनो का समय लग गया। बर्फबारी के बाद हर वर्ष विद्युत की समस्या को देखते हुए जोशीमठ से औली तक भूमिगम विद्युत लाइन विछाने का प्रस्ताव वर्ष 2014 मे शासन को भेजा गया था जिसकी आज तक स्वीकृति नही मिल सकी।
बहरहाल देश-विदेश से पंहुचने वाले पर्यटक विभिन्न समस्याओ से जूझते हुए भी औली पंहुच रहे है, प्रकृति का जमकर आंनद उठा रहे है और औली मे प्रवास कर जीवन को यादगार बना रहे है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अभी फरवरी/मार्च महीने तक बर्फबारी की संभावनाएं बनी रहती है इसे देखते शासन और प्रशासन स्तर से किस प्रकार की एडवाॅस तैयारियाॅ की जाती है इस पर पर्यटन ब्यवसाय पर निर्भर सैकडो सीमंातवासियों की नजरे रहेगी ।