कोटद्वार की युवा महिला पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. माधुरी डबराल ने साबित कर दिया कि सच्ची लगन और कठोर परिश्रम ही सफलता की कूंजी है। सफलता की इबादत की कहानी कुछ लोग अपने मेहनत,अपने बल और अपने दम पर भी लिखते हैं। दिल्ली में 22 नवंबर को आयोजित ऑल इंडिया विजनेस डेवेलपमेंट एसोसिएशन के 47वें सम्मान समारोह में कोटद्वार के हल्दूखाता निवासी डा. माधुरी डबराल को राष्ट्रीय निर्माण रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया।
यह सम्मान उन्हें जैविक खेती में वर्मी कंपोस्टिंग और वर्मीवाश पर किए गए शोध एवं उद्यम विकास में किए उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है। डा. माधुरी डबराल ने हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय से पर्यावरण विज्ञान से स्नातकोत्तर एवं गुरुकुल कांगड़ी विवि से पीएचडी किया है।
उन्होंने हल्दूखाता स्थित जैविक वर्मी कंपोस्ट उत्पादन इकाई में वर्मी कंपोस्ट एवं तरल वर्मीवाश उत्पादन पर व्यावसायिक उत्पादन के साथ-साथ कई गांवों के किसानों के साथ उल्लेखनीय कार्य किया है।
इसके साथ ही उन्होंने केंचुए द्वारा बनने वाले तरल खाद वर्मीवाश को जैविक कीटनाशक, जैविक फफूंदीनाशक के रूप में विकसित किया। डा. माधुरी डबराल इससे पूर्व देशभर के छह सौ से अधिक किसानों के साथ वर्मीकल्चर का कार्य सफलता पूर्वक कर चुकी है।
वह ग्राफिक एरा डीम्ड विवि में पर्यावरण विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) में भी बतौर युवा महिला वैज्ञानिक के रूप में शोध प्रोजेक्ट कर चुकी है।