• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

देवभूमि से अटल जी का गहरा नाता था, वाजपेयी सरकार में ही बना था उत्तराखंड

25/11/24
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
27
SHARES
34
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/11/Video-60-sec-UKRajat-jayanti.mp4

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीति में अजातशत्रु कहा जाता है। अटल जी 1996 (13 दिन), 1998 (13 महीने के लिए) और फिर 1999 में देश के प्रधानमंत्री बने। साल 1999 से 2004 तक उन्होंने प्रधानमंत्री रहते कार्यकाल पूरा किया था। 1996 में उनकी सरकार कुछ ही दिन रही जबकि 1998 में कुछ महीने। 1980 में भाजपा की स्थापनी हुई और अटल बिहारी वाजपेयी इसके अध्यक्ष बने। अटल बलरामपुर, ग्वालियर, नई दिल्ली, विदिशा, गांधीनगर और लखनऊ लोकसभा सीट से 9 बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके अलावा वे राज्यसभा के दो बार सदस्य भी रहे। वाजपेयी के पीएम रहते भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया। उनके कार्यकाल में पाकिस्तान से संबंधों में सुधार के लिए पहल भी की गई। भारत ने कारगिल के युद्ध में फतह भी की। इसके अलावा वाजपेयी सरकार के दौरान स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, टेलीकाम नीति भी लागू की गई। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त की और अनेक पुस्तकों की रचना की. उनको कविताओं से भी खासा लगाव रहा. वह अपने विचारों को कई बार कविताओं के माध्यम से भी सामने रखते थे. वे एक कुशल वक्ता हैं और उनके बोलने का ढंग भी बिलकुल अलग है. वे दो मासिक पत्रिकाओं “राष्ट्रधर्म” और “पांचजन्य” के संपादक रहे. साथ ही दो दैनिक समाचार पत्र “स्वदेश” और “वीर अर्जुन” के भी संपादक रहे. उनकी कविताओं की बेहतरीन रचना “मेरी इकियावन कविताएं” हैं. टल बिहारी वाजपेयी एक दिग्गज नेता थे और उन्होंने विरोधी दलों के बीच भी एक खास मुकाम हासिल किया था. यहाँ तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भविष्यवाणी करते हुए कह दिया था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री होंगे. जब वे विदेश मंत्री बने थे तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में भाषण दिया था और ऐसा करने  वाले वे देश के प्रथम नेता थे. वर्ष 1971 में जब बांग्लादेश का विभाजन हुआ, तो उसमें इंदिरा गांधी के प्रतिनिधित्व में भारत की जो भूमिका रही, उससे प्रभावित होकर अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हें “साक्षात दुर्गा” की उपाधि दी थी.  इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास दिलाने वाले भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ही थे. अनेक अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बाद भी उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण को करवाया और भारत को एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनाया. पूर्वराष्ट्रपति नरसिम्हा राव, अटल बिहारी बाजपेयी को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे. पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए, उन्होंने 19 फरवरी 1999 को दिल्ली से लाहौर तक सदा-ए-सरहद नाम की एक बस सर्विस शुरू की थी जिसमें उन्होंने भी एक बार यात्रा की थी.. अटल बिहारी वाजपेयी को कई बार सम्मनित किया जा चुका है.  उन्हें 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार व गोविंद वल्लभ पंत जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया. उनको दिसम्बर, 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया. इनके जीवन से हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बड़े प्रभावित रहे हैं और अटल जी खुद श्यामा प्रसाद मुखेर्जी के प्रशंसक रहे हैं.अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सड़क मार्गों के विस्तार हेतु स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना को प्रारंभ किया था. उनके कार्यकाल में भारत में इतनी सड़कों का निर्माण हुआ जितनी शेरशाह सूरी के शासनकाल में हुआ था. उन्होंने 100 साल पुराने कावेरी जल विवाद को भी सुलझाया था.अटल बिहारी वाजपेयी भारत के महान और दिग्गज नेता थे जिन्होंने देश को नई उचाईयों पर पहुंचाया और उनके काम को पूरी दुनिया सराहती है. इतना ही नहीं वे लोकप्रिय राजनेता, ओजस्वी कवि, सम्मानपूर्वक समाजसेवी और एक नरम हिंदूत्व के रूप में उनके व्यक्तित्व की कई छवियां हैं.अटल कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे। पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी,  विज्ञानवेत्ता, कुशल वक्ता एवं राजनीतिज्ञ थे। हम आपके लिए द हिंदू के अभिलेखागार पर आधारित एक समयरेखा लेकर आए हैं, जो उनके राजनीतिक जीवन का दस्तावेजीकरण करती है। द हिंदू के अनुसार, वाजपेई एक “उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ थे, जिनमें वक्तृत्व कला उनकी विशेषता थी। वह अपने दर्शकों पर जादू कर सकता है और उन्हें प्रसन्न कर सकता है, और अपने तीखे व्यंग्य से अपने विरोधियों के मामले को ध्वस्त कर सकता है। दूसरों की तुलना में, श्री वाजपेयी उदार, लचीले और दृढ़ विश्वास के प्रति खुले हैं।25 दिसंबर, 1924अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ। योग्यता के आधार पर मिली छात्रवृत्तियों के साथ वाजपेयी का स्कूल और विश्वविद्यालय दोनों में शानदार करियर रहा। वह अंग्रेजी के धाराप्रवाह वक्ता थे और उन्हें अपने पिता पंडित के.बी.वाजपेयी से गपशप का गुण विरासत में मिला था। पिता और पुत्र ने लखनऊ विश्वविद्यालय में इतिहास रचा जहां उन्होंने एक साथ कानून की पढ़ाई की। कुछ राजनीतिक घटनाएं इतिहास के पन्नों पर अपनी अमिट स्याही से लिख दी जाती हैं. ये कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जो बहुत-कुछ सिखा जाती हैं, सतर्क कर जाती हैं. वर्ष 1996 में भी यही हुआ. दरअसल, अप्रैल-मई 1996 में हुए ग्यारहवीं लोकसभा के चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. लोकसभा की कुल सीटों में से 161 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी. इस चुनाव में बीजेपी पहली बार कांग्रेस से ज्यादा सीटें लाने में कामयाब रही. अटल जी की कविताओं में हिमालय हमेशा रहा। वजह ये भी रही है कि अटल सरकार के वक्त ही देश को 27वें राज्य के रूप में उत्तराखंड मिला था। उसी वक्त अटल सरकार में ही उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। उसी वक्त उत्तराखंड को औद्योगिक पैकेज की सौगात भी दी गई थी। उत्तराखंड में अटल बिहारी वाजपेयी ने श्रीनगर, छाम, नैनीताल, मसूरी, देहरादून में जनसभाएं भी की थी। ये बात सच है कि अगर 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड देश के मानचित्र पर 27वें राज्य के रूप में वजूद में आया, तो इसमें सबसे निर्णायक भूमिका अटल की ही थी। उत्तराखंड राज्य के निर्माण को लेकर बड़ा भयंकर आंदोलन चला था। साल 1996 में उन्होंने देहरादून दौरे के दौरान उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों की मांग पर विचार करने का भरोसा दिया था। वाजपेयी ने इस भरोसे को कायम रखा और इस बात पर विचार करने का भरोसा दिलाया। इसके बाद नए उत्तराखंड राज्य की स्थापना वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान ही हुई। साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी नैनीताल पहुंचे थे। उस दौरान उन्होंने उत्तराखंड के लिए 10 साल के विशेष औद्योगिक पैकेज की घोषणा की थी। ये एक दूरदर्शी सोच थी। एक नवोदित राज्य को उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने का मौका दिया था। खास बात ये है कि अटल जी को मसूरी बेहद पसंद था। जब भी अटल को मौका मिलता, वो मसूरी आकर पहाड़ों के बीच अपना वक्त गुजारते थे। देहरादून की सड़कों पर 1975 के वक्त अटल अपने दोस्त नरेंद्र स्वरूप मित्तल के साथ स्कूटर पर सफर किया करते थे। बहरहाल उत्तराखंड तो अटल जी को अधिक प्रिय था ही। वे यहां जब भी आते, मसूरी पहुंच कर हमेशा ही शांति से वादियों में बैठ कर प्रकृति से बातें किया करते थे। अटल जी का देहरादून आने का मकसद घूमने के अलावा कुछ और बी हुआ करता था। वे यहां अपने पारिवारिक मित्र स्व. नरेंद्र स्वरूप मित्तल से मिलने आया करते थे। दून आने पर अटल जी का सारा वक्त अपने मित्र के साथ घूमने, बातें करने या उनके घर पर आराम करने में ही निकलता था। स्व. नरेंद्र स्वरूप मित्तल के पुत्र पुनीत मित्तल, जो कि अब एक नेता भी हैं, बताते हैं कि उनके घर में अटल जी की कई सारी यादें हैं और कई यादों की तस्वीरें भी मौजूद हैं। बताते हैं कि वह अपने सामान का छोटा-सा ब्रीफकेस भी खुद उठाते थे। ट्रेन से आते-जाते थे। उनके ब्रीफकेस में एक धोती-कुर्ता, अंतर्वस्त्र, रुमाल और टूथब्रश होता था।जमीन से जुड़े हुए अटल जी दून की सड़कों पर नरेंद्र स्वरूप मित्तल के साथ 1975 मॉडल के स्कूटर पर सैर करते थे। कई दफा अटल जी नरेंद्र मित्तल के साथ स्कूटर पर ही मसूरी की सैर पर निकल जाया करते थे। अटल जी जब कभी भी देहरादून आते थे तो नरेंद्र स्वरूप उनके लिए 15-16 अखबार रोजाना मंगाया करते थे। दून के बाद वह मसूरी जाया करते थे और हफ्ते-दो हफ्ते यहां रहकर वापस दिल्ली लौट जाते थे। बहरहाल अब अटल जी हमारे साथ नहीं हैं। मगर अब भी वे कदम कदम पर हमें अपने शक्तिशाली व्यक्तित्व, प्रेरणादायक छवि और मार्मिक कविताओं से बहुत कुछ सिखाते हैं। शायद यह सीखने सिखाने का सिलसिला कभी थमने भी नहीं वाला, क्योंकि अटल जी हमारे दिलों में बसते हैं। राजनीति में और राजनीति से हट कर भी अटल जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं दिखाई पड़ा। अलग राज्य गठन के वक्त उत्तर प्रदेश के इस क्षेत्र की नुमाइंदगी करने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के 23 सदस्यों और सात विधान परिषद सदस्यों को उत्तरांचल की पहली व अंतरिम विधानसभा का सदस्य बनाया गया। हालांकि तब भाजपा अलग राज्य निर्माण के श्रेय पर अकेले काबिज होने के बावजूद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में विरासत में मिली सत्ता को सहेज नहीं पाई और कांग्रेस के हाथों पराजित हो गई। इसके बावजूद तब से ही उत्तराखंड राजनैतिक रूप से भाजपा के मजबूत गढ़ के रूप में उभर कर आया। इसकी चरम परिणति वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर जीत और फिर वर्ष 2017 में संपन्न विधानसभा चुनाव में तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के रूप में सामने आई।राज्य के अस्तित्व में आने के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार के बाद वर्ष 2002 में जब राज्य में पहली निर्वाचित सरकार नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस की बनी थी। उस वक्त, यानी वर्ष 2003 में प्रधानमंत्री के रूप में नैनीताल पहुंचे वाजपेयी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री तिवारी के आग्रह पर उत्तराखंड के लिए दस साल के विशेष औद्योगिक पैकेज की घोषणा की। यह उत्तराखंड के प्रति उनकी दूरदर्शी सोच ही थी कि औद्योगिक पैकेज देकर उन्होंने नवोदित राज्य को खुद के पैरों पर खड़ा होने का मौका दिया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली में पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्‍न’ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्‍मान में एक स्‍मारक सिक्‍का जारी किया। इस अवसर पर श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि हमारा मन यह मानने को तैयार नहीं है कि श्री वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्‍होंने कहा कि श्री वाजपेयी एक ऐसी महान हस्‍ती थे, जिन्‍हें समाज के सभी वर्गों के लोग प्‍यार और आदर करते थे।प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कई दशकों से श्री वाजपेयी की आवाज, जनता की आवाज बनी रही। एक वक्‍ता के रूप में वे बेजोड़ थे। श्री मोदी ने कहा कि श्री वाजपेयी अपने देश के अब तक के सर्वश्रेष्‍ठ वक्‍ताओं में शामिल हैंश्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि श्री वाजपेयी लंबे अर्से तक विपक्ष में रहे, किन्‍तु उन्‍होंने हमेशा राष्‍ट्रीय हित की बातें ही कहीं। श्री मोदी ने कहा कि श्री वाजपेयी लोकतन्‍त्र को शीर्ष स्‍थान पर देखते थे। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि श्री वाजपेयी हम सभी को निरंतर प्रेरित करते रहेंगे। आज के नेताआें को अटल से शिक्षा लेनी चाहिए। वाकई सुशासन अटल जी की ही देन है।लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।

Share11SendTweet7
Previous Post

सैजी लग्गा मैकोट वेमरु स्यूंण डुमक प्रधानमंत्री ग्राम सडक निर्माण कार्य शुरू करने को लेकर महान संत महाकाल आज आमरण अनसन पर बैठे

Next Post

प्रो. चंद्रावती जोशी को मिला टीचर ऑफ द ईयर पुरस्कार

Related Posts

उत्तराखंड

बरिष्ठ शिक्षिका कुसुम उनियाल को सीआईएससीई द्वारा देश के प्रतिष्ठित सम्मान “डेरोजियो” से नवाजा गया

November 23, 2025
7
उत्तराखंड

मा0 मुख्यमंत्री के शिक्षित बेटियां सशक्त समाज के संकल्प को कर रहा जिला प्रशासन देहरादून चरितार्थ

November 23, 2025
4
उत्तराखंड

राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेरुड़ा की छात्रा खुशी जखमोला का हुआ विद्यालय में भव्य स्वागत

November 23, 2025
4
उत्तराखंड

कोटद्वार, उत्तराखंड में हल्दी पर प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ सम्पन्न

November 23, 2025
25
उत्तराखंड

उत्तराखंड में सबसे ज्यादा दिख रहा जलवायु परिवर्तन का असर

November 23, 2025
4
उत्तराखंड

पारंपरिक पहाड़ी फलों माल्टा और संतरे के पेड़ों पर संकट के बादल मंडराए

November 23, 2025
7

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67510 shares
    Share 27004 Tweet 16878
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45760 shares
    Share 18304 Tweet 11440
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38035 shares
    Share 15214 Tweet 9509
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37426 shares
    Share 14970 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37305 shares
    Share 14922 Tweet 9326

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

बरिष्ठ शिक्षिका कुसुम उनियाल को सीआईएससीई द्वारा देश के प्रतिष्ठित सम्मान “डेरोजियो” से नवाजा गया

November 23, 2025

मा0 मुख्यमंत्री के शिक्षित बेटियां सशक्त समाज के संकल्प को कर रहा जिला प्रशासन देहरादून चरितार्थ

November 23, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.