————- प्रकाश कपरुवाण।
ज्योतिर्मठ।
चारधाम यात्रा के लिए गुरुवार से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए, लेकिन चारधामों मे दो प्रमुख धाम श्री बद्रीनाथ एवं श्री केदारनाथ का संचालन करने वाली महत्वपूर्ण संस्था श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का अभी तक गठन नहीं हो सका, मार्च महीना बीतने को है, समिति का वार्षिक बजट भी पारित होना है, जो समिति की बोर्ड बैठक अथवा सरकार द्वारा नामित प्रशासक की मौजूदगी मे ही होता रहा है।
जनवरी 2025मे वर्तमान समिति का का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया था, तब से ही समिति गठन की अटकलें भी तेज हो गई थी परन्तु डबल इंजन की सरकार भी समिति गठन को लेकर न जाने क्यों व किन कारणों से पशोपेश मे है।
यूँ तो जनवरी महीने से ही समिति गठन की चर्चा जोरों पर है और समिति के अध्यक्ष पद के लिए कई नाम चर्चाओं मे भी तैर रहे हैं, लेकिन समिति गठन को लेकर सरकार की मंशा क्या है यह तो सरकार व सगठन का विषय है पर इतना तो तय है कि उत्तराखंड मे राजनैतिक उठापटक के बीच सनातन धर्म के दो सर्वोच्च धामों का संचालन करने वाली श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के गठन पर जल्दबाजी मे निर्णय लेने से बच रही है।
मंत्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल के इस्तीफे के बाद तो सरकार भी मंदिर समिति को लेकर ऐसा कोई निर्णय नहीं करेगी जिससे सरकार को असहज होना पड़े।
चारधाम यात्रा सिर पर है रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं लेकिन संभवतः सरकार की रूचि मंदिर समिति के गठन से ज्यादा आयोगों के सदस्य नामित करने मे है, बीती 18मार्च को ही राज्य सरकार ने चमोली जनपद के नन्दानगर निवासी सुरेन्द्र सिंह राणा एवं खटीमा यूएस नगर की लीलावती राणा को अनुसूचित जन जाति आयोग मे सदस्य नामित किया है, हालाँकि यह सरकार का विशेषाधिकार है कि वे कब किस कमेटी को अस्तित्व मे लाते हैं।
लेकिन चारधाम यात्रा के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू होते ही जिस प्रकार लाखों रजिस्ट्रेशन हुए हैं उससे लगता है इस वर्ष अन्य वर्षो की अपेक्षा यात्रा मे आशातीत बृद्धि होगी, ऐसे मे चारधामों मे दो महत्वपूर्ण धामों का संचालन करने वाली श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के गठन मे देरी किसी के गले नहीं उतर रही है।
करोड़ों हिन्दुओं के आस्था के केन्द्र श्री बद्रीनाथ एवं श्री केदारनाथ धामों की ब्यवस्था के लिए सरकार किस प्रकार के लोगों का चयन करती है इस पर उत्तराखंड सहित देश के सनातनियों की नजरें रहेंगी।