जोशीमठ (लक्ष्मण सिंह नेगी)। चमोलीविश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी धीरे-धीरे पर्यटकों के लिए गुलजार होती जा रही है हर वर्ष जून के माह में खुलने वाली फूलों की घाटी देश एवं विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर खींचकर लाती है ऐसी मान्यता है कि इस फूलों की घाटी को सबसे पहले पांडव ने खोज निकाला था जब द्रोपदी गोविंद घाट के पास लक्ष्मण गंगा में स्नान कर रही थी उस समय एक ब्रह्म कमल का पुष्प उसे अचानक पुष्पावती नदी में बहते हुए मिला बहुत समय स्नान कर रही थी वह जब अपने आवास पर आती है और भीम और अर्जुन को कहती है मुझे उस पुष्प वाटिका की जगह भ्रमण करना है और यह पुष्प लाकर दे तो भीम और अर्जुन के साथ द्रोपति ने फूलों की घाटी का दीदार किया था ऐसा पांडव पर्व में वर्णन किया गया है विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में जापान का राष्ट्रीय पुष्प ब्लू पॉपी इन दिनों खीलने लगा है जापान के लोग अपने देश की राष्ट्रीय पुष्प को देखने के लिए जापान से फूलों की घाटी की ओर आते हैं और इस पुष्प को देखकर भाव विभोर हो जाते हैं कई लोगों ने यह बताया कि जब पर्यटक लोग इस पुष्प को देखते हैं तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं क्योंकि जापान में अत्यधिक औद्योगिकीकरण के कारण वहां यह अब नहीं खिलता है जापान का राष्ट्री राष्ट्रीय पुष्प विलुप्त हो गया है और वह भारत में आकर के इस पुष्प को धरातल पर देखकर भाव विभोर हो जाते हैं। इन दिनों फूलों की घाटी के अलावा यह पुष्प लोकपाल हेमकुंड, बंसी नारायण मुकुंद गुफा भनाई बुग्याल, चेनाव बुग्याल फ्यूंलानारायण, भनाई के बुग्याल में यह पुष्प पाया जाता है अत्यधिक सुंदर और आकर्षक लगता है जो प्रकृति प्रेमियोंको अपनी और खींच कर लाता है वैसे तो गढ़वाल और कुमाऊं हिमालय का क्षेत्र जैव विविधता के लिए धनी माना जाता है किंतु वन तस्करों के कारण कई पुष्प विलुप्त प्रजाति के पुष्प है कई विदेशी लोग इन पुष्पों को इकट्ठा करवा कर तस्करी कराते हैं। और विदेशियों से मोटा पैसा लेकर के इस सांस्कृतिक विरासत को संकट में डालते हैं उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जहां इस प्रकार के संकटग्रस्त प्रजाति के पुष्प आज भी विद्यमान है वही इन को बचाने की आवश्यकता है। यदि आपको ब्लू पांपी के दर्शन करने हेतु इन दिनों वुगियालो में यह पुष्प खिलाना शुरू हो गया है मुख्य रूप से प्रकृति के यह फूल का क्रमशः मई माह से लेकर सितंबर तक खिलना और मिटने का क्रम चलता रहता है किंतु हर समय अलग-अलग प्रजाति के पुष्पों का खिलना और मिटना आम बात है। इस समय पहाड़ अत्यधिक मदमस्त है आप यात्रा करना चाहते हैं तो 15 अगस्त से 15 सितंबर के मध्य इन पुष्पों को देखने के लिए अवश्य आये।