

महिपाल गुसाईं/हरेंद्र बिष्ट।
चमोली/थराली। तो क्या पर्दे के पीछे ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन के निर्माण में एवं वन रैंक वन पेंशन जैसे बड़े कामों में बिना श्रेय लिए ही राज्य में ही नही देश के बड़े नेताओं में सुमार भगत सिंह कोश्यारी भगद दा ने अहम किरदार निभाया है।
भले ही भगद दा ने अपने मुंह से दोनों ही कार्यों में अहम भूमिका निभाने का मंचों से श्रेय नही लिया हैं। किंतु वर्षों बाद ही सही देश के प्रतिष्ठित एवं देश के माने-जाने वाले पूर्व आईएएस में शुमार उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव, केंद्र सरकार में रक्षा, उद्योग एवं राज्यसभा के महासचिव का प्रतिष्ठित पदों में अपनी सेवाएं दे चुके डॉ योगेंद्र नारायण ने लेखक डॉ अमित जैन के द्वारा लिखित पुस्तक भारतीय संसद में भगत सिंह कोश्यारी नाम किताब के तीन पेजों के प्रस्ताव में डॉ नारायण ने जो खुलासे किए हैं उसमें भगत दा के दोनों परियोजनाओं एवं योजनाओं का बेहतरीन खुलासा किया है।
जिससे लंबे समय से ऋषिकेश -कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाने का दंभ भरने वाले गढ़वाल के कत्पय बड़े नेताओं को बगले झांकने को मजबूर होना पड़ सकता हैं। दरअसल इस प्रस्तावना में डॉ नारायण ने दोनों ही योजनाओं एवं परियोजना के अहम पड़ा पर जिस तरह से उच्च स्तर पर भगद दा ने पैरवी की उसका पूरा बखान किया है।












