उरगम घाटी, जोशीमठ, चमोली। विश्व प्रसिद्ध लोकपाल हेमकुंड साहिब फूलों की घाटी में इस वर्ष समय से पहले ब्लू पॉपी एवं ब्रह्म कमल खिलने लगे हैं। धीरे.धीरे जलवायु परिवर्तन का असर प्रकृति के ऊपर भी दिखने लगा है। कई वर्षों से असमय वर्षा बादल फटने की घटना भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। उसी तरह प्रकृति में भी कई तरह के बदलाव दिखाई दे रहे हैं। कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से घटनाएं सामने आ रही हैं। विकास की दौड़ ने प्रकृति को भी असंतुलित कर दिया है।
भादो मास में खिलने वाला ब्रह्म कमल आषाढ़ के महीने में खिलने लगा है। पिछले दिनों हिमालय की एक पड़ताल की गई। जिसमें लोकपाल हेमकुंड साहिब सहित एक दर्जन से अधिक बुग्याल का भ्रमण किया गया। लोकपाल में माह जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही ब्रह्म कमल खिलने लगा है, जबकि ब्रह्मकमल अगस्त से सितंबर के बीच खिलता रहा है। ऐसी ही कई दर्जनों वनस्पतियां जलवायु परिवर्तन के कारण संकट के दौर से गुजर रही हैं। हिमालय की असंख्य जड़ी बूटियां अपना अस्तित्व खो रही है। अत्यधिक प्रकृति पर दबाव विकास के लिए वनों का विनाश वन अग्नि जैसी घटनाओं ने प्रकृति को असंतुलित कर दिया है।
जहां धार्मिक यात्रा एवं तीर्थाटन पर्यटन के नाम पर हजारों लोगों का हुजूम हिमालय की ओर जाता दिख रहा है। उससे प्रकृति पर कुप्रभाव देखे जा रहे हैं। चाहे अमरनाथ की बाढ़ की घटना हो केदारनाथ 2013 की त्रासदी यह भी जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे हैं। बैमौसमी वर्षा के कारण कई ऐसी घटनाएं प्रकृति में देखी जा रही है, जिससे कि प्रकृति का नुकसान हो रहा है। ब्रह्म कमल हिमालय का ताज है और हिमालय वासियों की आराध्य देवी नंदा का सबसे प्रिय पुष्प है। मान्यता है कि जब पार्वती कैलाश से अपने मायके की ओर आती है तो वह शिव स्वरूप ब्रह्म कमल को अपने साथ लेकर अपने मायके आती है। आज भी विश्व की सबसे बड़ी राजजात यात्रा के समय भी हिमालय से ब्रह्म कमल लाने की परंपरा रही है। उत्तराखंड के चमोली जिले में कई लोग जात यात्राएं हिमालय में ब्रह्म कमल लेने के लिए जाते हैं और नंदा को बुलाकर गांव की ओर लाते हैं। साथ में ब्रह्म कमल छतोलियो और कन्डियो में लाने की परंपरा रही है।
उत्तराखंड राज्य का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल समय से पहले खिलने के कारण कहीं ऐसा तो नहीं है, कुछ समय के बाद यह विलुप्त हो जाए। वैज्ञानिकों को इसके लिए शोध और विश्लेषण की आवश्यकता है। जिससे कि इस महत्वपूर्ण पुष्य को बचाया जा सके। लोकपाल हेमकुंड में एक एक पहल अच्छी हुई है कि यहां ईडीसी नाम की सोसाइटी के द्वारा जैविक व अजैविक कचरा को इकट्ठा किया जाता है। अजैविक कचरे को इकट्ठा कर वापस रीसाइक्लिंग के लिए उपयोग किया जाता है। सामाजिक संस्था जनदेश के द्वारा फूलों की घाटी कचरे को लेकर 26 वर्ष शोध पत्र तैयार किया गया था। जिसमें क्षेत्र में अजैविक और जैविक कूड़ा फैलने के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई थी। इसे जिला प्रशासन के माध्यम से शासन को भी प्रेषित किया गया था। इस प्रकरण में नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ के द्वारा इसमें एक पहल की गई। जिसमें ईडीसी गठित की गई और जैविक अजैविक कचरे के प्रबंधन के लिए लगातार प्रयास जारी। अब गोविंदघाट से लेकर हेमकुंड लोकपाल तक स्वच्छता के लिए जोरदार ढंग से कार्य किया जा रहे हैं। ईडीसी भ्यूँडार के द्वारा भी इसमें अहम भूमिका निभाई जाती हैं। इसी तरह ब्रह्म कमल को बचाने के लिए एक पहल की आवश्यकता है। इस प्रकरण पर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की डीएफओ नंदा वल्लभ शर्मा से जब दूरभाष से बात की गई, उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण वनस्पतियां समय से पहले फूल आने की प्रक्रिया जल्दी प्रारंभ हो रही है।
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