डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 19 मार्च को रात आठ बजे कोरोना वायरस को लेकर देश को संबोधित किया। मोदी का भाषण कोरोना वायरस से बचने की स्वास्थ्य सलाह, जनता में इसके प्रति गंभीरता लाने की कोशिश और लोगों को अपने स्तर पर ही इसका संभावित समाधान करने की नाटकीय अपीलों से भरा हुआ था। प्रधानमंत्री के भाषण में वो बात निकलकर सामने नहीं आई, जिसकी लोग उम्मीद कर रहे थे। नरेंद्र मोदी ने इस वायरस से लड़ने और देश के लोगों को बचाने की कोई खास रूपरेखा नहीं पेश किया। यही वजह है कि लोग मोदी के संबोधन की तुलना केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के संबोधन से कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने राज्य के लोगों को इस बीमारी से तत्काल राहत देने के लिए भारी.भरकम बजट की घोषणा की है। प्रधानमंत्री अपने पूरे भाषण में आम जनता से सहयोग ही मांगते रहे, लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि आखिर कोरोना वायरस की टेस्टिंग, इलाज और पीड़ितों का पता लगाने की चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने क्या कार्ययोजना बनाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि पृथककरण आइसोलेशन के साथ.साथ ये सारी चीजें भी बेहद जरूरी हैं। इस महामारी के स्टेज-3 पर पहुंचने को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएमआर द्वारा तय की गई समय सीमा काफी नजदीक है, लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ये नहीं बताया कि इस समय सरकार की क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए और उन्हें किन चीजों पर नजर बनाए रखना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी की अपीलों में एक महत्वपूर्ण बात ये थी कि उन्होंने 22 मार्च को सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक लोगों से जनता.कर्फ्यू का पालन करने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से उत्पन्न हो रही आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री के नेतृत्व में सरकार ने एक कोविड-19 इकोनॉमिक रिस्पॉन्स टास्क फोर्स के गठन का फैसला लिया है। भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 300 के पार पहुंच गई है। हालांकि सरकार अब भी इस बात पर प्रतिबद्ध है कि भारत में इस वायरस का सामुदायिक प्रसार नहीं हो रहा है। आईसीएमआर के अनुसार, देश में जो भी मामले आए हैं, उसमें से लोग या तो विदेशों से आए हैं या फिर संक्रमित व्यक्ति के छूने से ये फैलता है। हालांकि कई विशेषज्ञों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने ये चिंता जताई है कि ऐसा हो सकता है कि भारत जान.बूझकर आंकड़ों को दबा रहा है और ज्यादा लोगों की जांच न करके इस महामारी को और फैलने की संभावनाओं को बढ़ा रहा है।
विज्ञान लेखिका प्रियंका पुल्ला ने इस संबंध में द वायर साइंस में विस्तार से लिखा है और बताया है कि आखिर किन आधार पर ये कहा जा सकता है कि भारत इस बीमारी का सामुदायिक प्रसार होने की काफी संभावना है। हैरानी की बात ये है कि प्रधानमंत्री के भाषण में इन पहलुओं पर जोर नहीं दिया गया था। भारत में इस समय तीन केंद्रीय स्वास्थ्य एजेंसियां. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएमआर और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र एनसीडीसी. कोरोना वायरस कोविड.19 के संबंध में कार्य कर रही हैं। हालांकि आम तौर पर इन तीनों के बीच गलतफहमी और सूचना देने में काफी अस्पष्टता देखी गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ काफी लंबे समय से ये कह रहे हैं कि अगर आप ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच नहीं करेंगे तो आपको पता नहीं चलेगा कि ये कितनी बड़ी समस्या है। आईसीएमआर पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह वाकई उचित स्तर पर कोविड.19 के मामलों को देख रहा है? अगर भारत ज्यादा लोगों की जांच करने लगेगा तो ज्यादा पॉजीटिव केस निकलेंगे और इन सभी को पृथक करना सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर देगा। इस तरह आईसीएमआर के दोनों कारण बिल्कुल अलग हैं और सरकार की कोशिशों पर बड़े सवाल खड़े करते है।
प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न खतरे को विश्वयुद्ध से भी खतरनाक बताया और प्रत्येक देशवासी के सजग रहने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व संकट के गंभीर दौर से गुजर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि आपने हमें कभी निराश नहीं किया पीएम मोदी ने कहा कि आज जब बड़े.बड़े और विकसित देशों में कोरोना की महामारी का व्यापक प्रभाव दिख रहा है, ऐसे में यह मानना गलत होगा कि भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने इससे लड़ने के लिए संकल्प और संयम को आवश्यक बताते हुए कहा कि देशवासियों को यह संकल्प और दृढ़ करना होगा कि महामारी को रोकने के लिए एक नागरिक के नाते अपने कर्तव्य और केंद्र, राज्य सरकार के दिशा.निर्देश का पालन करेंगे। यह संकल्प लेना होगा कि हम खुद के साथ दूसरे लोगों को भी संक्रमित होने से बचाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह की वैश्विक महामारी में एक ही मंत्र काम करता है, हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ, घर से बाहर निकलने से बचें, भीड़ से बचें, सोशल डिस्टैंसिंग जरूरी है। पीएम मोदी ने 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों से घर से बाहर न निकलने का आग्रह किया और जनता रविवार, 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का आह्वान करते हुए कहा कि सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू का पालन करें। उन्होंने कहा कि इसका अनुभव हमें आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करेगा। नरेंद्र मोदी ने आश्वस्त किया कि सरकार दूध.दवा और खाने.पीने के सामान की कमी नहीं होने देगी। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने व्यावसायियों और उच्च आय वर्ग के लोगों से जिनसे सेवाएं लेते हैं, उनके आर्थिक हितों का ध्यान रखने, वेतन में कटौती न करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे समय में कठिनाइयां भी आती हैं। आशंकाओं और अफवाहों का वातावरण भी उत्पन्न होता है। उन्होंने शक्ति की आराधना के पर्व नवरात्रि का जिक्र करते हुए कहा भारत पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़े, यही शुभकामना है।
अमेरिका समेत दुनियाभर में कोरोना के बढ़ते कहर के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन पर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया है कि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर प्रारंभिक सूचना छिपाई जिसकी सजा आज दुनिया भुगत रही है। डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब इटली में कोरोना से मरने वालों की संख्या चीन से भी ज्यादा हो गई है। यही नहीं अमेरिका में भी मरने वालों का आंकड़ा 200 को पार गया है। जानलेवा कोरोना वायरस से बचाव के लिए उत्तराखंड सरकार ने बुजुर्गों और बच्चों को घर से बाहर न निकलने की अपील की है। शुक्रवार को शासन ने एडवायजरी जारी कर 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों और 10 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को 31 मार्च तक घर पर ही रहने की सलाह दी है। कोरोना वायरस का प्रभाव सबसे ज्यादा बुजुर्गों व बच्चों में दिखाई दे रहा है। सचिव स्वास्थ्य की ओर से जारी एडवायजरी के अनुसार मेडिकल प्रोफेशनल और अन्य आवश्यक सेवाओं में कार्यरत व्यक्तियों के अलावा अन्य सभी 65 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक 31 मार्च तक घर पर ही रहेंगे। वहीं 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों को भी घर से बाहर न निकलने देने की सलाह दी गई है।
चीन में फैले कोरोना वायरस से निपटने के लिए उत्तराखंड में अलर्ट जारी कर दिया गया है। अब उत्तराखंड में 31 मार्च तक ब्लैक आउट किया गयाहै। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को वायरस की रोकथाम के लिए हेल्थ एडवायजरी जारी कर नेपाल सीमा से सटे चेक पोस्टों पर निगरानी के लिए डॉक्टरों की टीमें तैनात करने के निर्देश दिए हैं। आइंस्टीन के आदर्श श्वाइटज़र स्वयं महात्मा गांधी के बारे में क्या सोचते थे। श्वाइटज़र ने भारत पर केंद्रित अपनी पुस्तक इंडियन थॉट एंड इट्स डेवलपमेंट में लिखा. ष्गांधी का जीवन.दर्शन अपने आप में एक संसार हैष्ण् उन्होंने आगे लिखा. गांधी ने बुद्ध की शुरू की हुई यात्रा को ही जारी रखा है। बुद्ध के संदेश में प्रेम की भावना दुनिया में अलग तरह की आध्यात्मिक परिस्थितियां पैदा करने का लक्ष्य अपने सामने रखती हैण् लेकिन गांधी तक आते.आते यह प्रेम केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि समस्त सांसारिक परिस्थितियों को बदल डालने का कार्य अपने हाथ में ले लेता है। सफलता के स्थान पर सेवा को अपना आदर्श घोषित कर देने वाले आइंस्टीन के जीवन.दर्शन में यह बड़ा बदलाव दिखाता है कि मनुष्य में ज्ञान का विकास रुकता नहीं है। जीवन के अनुभव, सामाजिक वातावरण और वैश्विक परिस्थितियां मनुष्य के विचार को और व्यक्तित्व को बदलती रहती हैं। फिर चाहे वह आइंस्टीन हों या महात्मा गांधी। ऐतिहासिक शख्सियतों के अध्ययन में हमें इस बात का लगातार ध्यान रखना होता है और यह बात उन व्यक्तित्वों पर खासतौर पर लागू होता है, जिनका जीवन चिंतनशील और प्रयोगशील होता है। पदार्थ विज्ञान की गुत्थियों को सुलझाते हुए भी आइंस्टीन धर्म, अध्यात्म, प्रकृति और कल्पनाशीलता जैसे विषयों पर लगातार चिंतन करते रहे और जब.जब भी उन्हें लगा कि विज्ञान और एकांगी तर्कवाद अपने अहंकार पर सवार होकर समूची मानवजाति के लिए ही संकट बन सकता है, तब.तब उन्होंने अहिंसा, विनम्रता, सेवा और त्याग की बात भी की और ऐसे अवसरों पर उनके सामने बार.बार महात्मा गांधी का जीवन एक आदर्श उदाहरण के रूप में सामने आता रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्होंने अपने जीवन से इसका उदाहरण पेश किया आता लड़ने के लिए कोरोना वायरस से बचने की चुनौतियों को लड़ने के लिए संकल्प है।