डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
चारधाम यात्रा सबसे पवित्र यात्राओं में से एक है जिसे हर हिंदू अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार करने की
इच्छा रखता है। पवित्र यात्रा में गंगोत्री , यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ सहित चार पवित्र स्थलों की यात्रा
शामिल है । चारधाम की पारंपरिक यात्रा चुनौतियों से भरी है क्योंकि सभी चारधाम स्थल बहुत ऊंचाई पर स्थित हैं
और तीर्थयात्रियों को इन स्थलों तक पहुंचने के लिए पैदल चलना होगा। अप्रत्याशित मौसम और चुनौतीपूर्ण मार्ग
यात्रा को और भी कठिन बना सकते हैं। उत्तराखंड चारधाम यात्रा की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है.
उत्तराखंड सरकार की कोशिश है कि चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा सुरक्षित, सुगम
और सुव्यवस्थित हो. जिसके चलते मुख्यमंत्री ने सभी विभागीय अधिकारियों को चारधाम यात्रा शुरू होने
से एक हफ्ते पहले सभी व्यवस्थाएं मुकम्मल करने के निर्देश दिए हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री सचिवालय में
चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर यातायात प्रबंधन की बैठक की. बैठक के दौरान सीएम ने निर्देश दिए
कि यात्रा मार्गों पर पार्किंग की व्यवस्था ऐसे स्थानों पर की जाए जिनके आसपास, होटल, धर्मशाला,
होमस्टे समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों.सीएम ने कहा कि धामों के दर्शन के लिए स्लॉट मैनेजमेंट
सिस्टम और अधिक बेहतर किया जाए. यात्रा मार्गों में संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे की पर्याप्त
व्यवस्था करने के साथ ही अधिक ट्रैफिक वाले क्षेत्रों की रियल टाइम निगरानी की जाए. सीएम ने कहा कि
चारधाम यात्रा के दौरान यातायात प्रबंधन की चुनौतियों का सामना करने के लिए पुलिस की ओर से
बेहतर प्लान तैयार कर काम किया जाए. ताकि पिछले साल जो समस्याएं आई थी वो समस्याएं आगामी
चारधाम यात्रा के दौरान न हो. जाम की स्थिति वाले स्थानों की रियल टाइम जानकारी सोशल मीडिया
समेत अन्य माध्यमों के जरिए जनता से साझा की जाए. इसके साथ ही पुलिस और प्रशासन के सोशल
मीडिया प्रोफाइल पर यातायात और मौसम का अपडेट दिया जाए. यात्रा मार्गों पर पार्किंग स्थलों की
जानकारी श्रद्धालुओं को गूगल मैप से मिल जाए, इसकी व्यवस्था की जाए. सीएम ने श्रद्धालुओं से अपील
करते हुए कहा कि रजिस्ट्रेशन करने के बाद ही चारधाम यात्रा पर आएं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा
के लिए रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है. यात्रा के लिए 60 फीसदी ऑनलाइन और 40 फीसदी
ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई. इसके अलावा, बेहतर ढंग से यात्रा संचालन के लिए यात्रा मार्गों
से जुड़े सभी हितधारकों के साथ समन्वय बनकर काम किया जाए और उनके सुझावों को गंभीरता से लिया
जाए. सरकार की ओर से चारधाम यात्रा के लिए की गई तैयारियों की जानकारी भी हितधारकों के साथ
साझा किया जाए. चारधाम यात्रा के वैकल्पिक मार्गों को भी बेहतर किया जाए. यात्रा मार्गों पर अस्थाई
पार्किंग विकसित करने के लिए भुगतान के आधार पर स्थानीय लोगों से भी संपर्क किया जाए. श्रद्धालुओं
की सुविधा के मद्देनजर यात्रा मार्ग पर पुलिस सहायता डेस्क स्थापित किया जाए. यात्रा मार्गों पर आपदा
संभावित क्षेत्रों और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ड्रोन कैमरों की मदद से निगरानी और आपदा की दृष्टि से
संवेदनशील स्थानों पर आवश्यक उपकरणों की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाए. यात्रा मार्गों पर
आवश्यकतानुसार क्रैश बैरियर लगाए जाएं. पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा वाहनों के सघन चेकिंग
अभियान चलाया जाए और वाहनों की फिटनेस का विशेष ध्यान रखा जाए. यात्रा मार्गों पर तमाम
जानकारियों के लिए साइनेज की पर्याप्त व्यवस्था की जाए. पिछले साल लगभग 48 लाख श्रद्धालुओं ने
यात्रा की थी. इस साल की सुरक्षित और व्यवस्थित यात्रा के लिए 50 थाने, 79 रिपोर्टिंग पुलिस चौकी,
5850 पुलिस बल, 38 सीजनल (अस्थाई) चौकियां रहेंगी. ट्रैफिक के बेहतर प्रबंधन के लिए तीन प्लान
तैयार किए गए जिन्हें वाहनों के दबाव और जाम की स्थिति को देखते हुए लागू किया जाएगा. पुलिस
महानिरीक्षक, गढ़वाल रेंज के अधीन चारधाम कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है. जिसके प्रभारी एसपी
ट्रैफिक रहेंगे. पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था के अधीन पुलिस मुख्यालय स्तर पर
चारधाम सेल गठित होगा, जोकि लगातार नियंत्रण और मॉनिटरिंग की व्यवस्था करेगा. पूरे यात्रा मार्ग को
15 सुपर जोन, 41 जोन और 137 सेक्टर में बांटा गया है. चारधाम यात्रा के साथ ही लंबे वीकेंड के लिए
भी विस्तृत यातायात प्लान तैयार किया गया है. चारधाम यात्रा मार्ग के 54 बॉटलनेक्स, 198 दुर्घटना
संभावित स्थल, 49 ब्लैक स्पॉट और 66 लैंड स्लाइडिंग क्षेत्रों को पुलिस विभाग ने चिन्हित कर लिया है.
जिसमें संबंधित विभाग की ओर से यात्रा से पहले सभी उपाय कर लिए जाएंगे. पिछले साल 113 पार्किंग
स्थल चिन्हित थे. जिनमें 33295 छोटे और 3554 बड़े वाहनों की व्यवस्था थी. इस साल 17 पार्किंग स्थलों
को और चिन्हित किया गया है. कुल 130 चिन्हित पार्किंग स्थलों में 43416 छोटे और 7855 बड़े वाहनों के
पार्क की व्यवस्था रहेगी. इस साल भी आईआरसीटीसी को जिम्मेदारी मिली है. इस वेबसाइट पर कोई
मोबाइल नंबर नहीं दिया गया है, जबकि फर्जी वेबसाइट और सोशल मीडिया विज्ञापन में मोबाइल नंबर
दर्ज होता है, ताकि लोग इस पर फोन करें और साइबर ठग उन्हें अपनी बातों में फंसा सके.एसएसपी
एसटीएफ ने बताया कि साइबर थाने में सीओ के पर्यवेक्षण में चार अधिकारियों की एक टीम बनाई गई है.
यह टीम हर समय इंटरनेट पर फर्जी वेबसाइट और सोशल मीडिया पर विज्ञापन वाले पेज और पोस्ट आदि
की निगरानी करेगी, ताकि समय रहते हुए इन सभी वेबसाइट और पेज को बंद कराया जा सके.इसके
अलावा उन्होंने बताया कि ज्यादा से ज्यादा फर्जी वेबसाइट को बंद कराने के निर्देश दिए गए हैं और पुलिस
की ओर से भी जागरूकता के लिए कार्यक्रम ऑनलाइन चलाए जाएंगे. साथ ही अगर किसी के साथ हेली
सेवा के टिकट बुकिंग के नाम पर धोखाधड़ी होती है, तो मुकदमा दर्ज करने का काम किया जाएगा और
प्रदेश के किसी भी थाने में इस संबंध में मुकदमा दर्ज होता है तो उसकी निगरानी करेगी. चारधाम यात्रा
की तैयारी के मद्देनज़र स्वास्थ्य सचिव ने रुद्रप्रयाग जनपद स्थित सिरोबगड़ और चमोली जनपद स्थित
कमेड़ा भूस्खलन क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया. उन्होंने दोनों संवेदनशील क्षेत्रों में सड़क की जर्जर स्थिति
और संभावित जोखिमों को देखते हुए कार्यदायी एजेंसियों को स्पष्ट शब्दों में निर्देश दिए कि लापरवाही
बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कमेड़ा में 20 दिन के भीतर डामरीकरण कार्य पूर्ण करने और
सिरोबगड़ में स्लाइडिंग जोन का स्थायी समाधान खोजने के लिए तत्काल प्रस्ताव शासन को भेजने के
निर्देश दिए. सचिव ने कहा कि चारधाम यात्रा जैसे महत्वपूर्ण आयोजन में एक भी अवरोध शासन को
अस्वीकार्य है. चारधाम यात्रा उत्तराखण्ड के लिए आस्था, पर्यटन और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है,
और सरकार इसे पूरी गंभीरता से ले रही है. इसीलिए स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ सड़क, आपदा प्रबंधन,
रजिस्ट्रेशन व्यवस्था और पर्यावरण संतुलन पर भी बराबर ध्यान दिया जा रहा है. तीर्थयात्रियों के सामने
आने वाली मुख्य चुनौतियों में से एक खड़ी और असमान ट्रैकिंग पथ है जो मंदिरों तक जाती है, लेकिन
उचित प्रशिक्षण और तैयारी के साथ, इन बाधाओं को सुरक्षित रूप से पार किया जा सकता है। एक और
चुनौती भारी बारिश और बर्फबारी सहित कठोर मौसम है, जो यात्रा योजनाओं को बाधित कर सकता है
और ट्रेकर्स के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। तीर्थयात्री मौसम के पूर्वानुमानों पर कड़ी नज़र रखकर और
यात्रा के दौरान आवश्यक सावधानी बरतकर इस जोखिम को कम कर सकते हैं। ऊंचाई की बीमारी के बारे
में जागरूक रहना महत्वपूर्ण है, क्योंकि मंदिर उच्च ऊंचाई पर स्थित हैं, और सुरक्षित यात्रा के लिए
अनुकूलन महत्वपूर्ण है। अंत में, दूरदराज के इलाकों में भोजन, पानी और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं
की व्यवस्था करना एक चुनौती हो सकती है, लेकिन पूर्व नियोजित यात्रा पैकेज चुनकर या स्थानीय
अधिकारियों से सहायता मांगकर इसे संबोधित किया जा सकता है। कुल मिलाकर, जबकि चार धाम यात्रा
अपनी तरह की चुनौतियाँ पेश करती है, सावधानीपूर्वक योजना और तैयारी के साथ, इन बाधाओं को दूर
किया जा सकता है, जिससे एक पूर्ण और यादगार तीर्थयात्रा का अनुभव प्राप्त किया जा सकता है।हालाँकि,
हाल के वर्षों में, तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा विभिन्न असुविधाओं और सुरक्षा चिंताओं से प्रभावित रही है।
इसने वर्तमान सरकार को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रेरित
किया है।केवल सरकार ही नहीं लोगों को भी इस दिशा में आगे कदम बढ़ाना होगा. *” लेखक ने अपने निजी विचार*
*व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*