रैणी के लोगों ने याद किया गौरा देवी को और चिपको के 51 वर्ष पूरा होने पर भव्य सांस्कृतिक कार्यों की प्रस्तुति दी। ज्योतिरमठ चमोली विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन जो जंगलों के पर लोगों के अधिकार और बनवासियों को हक मिलने के लिए 1974 की दशक में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा वनों का व्यावसायिक दोहन जो साइमन कंपनी के भलला भाइयों को रैणी के अंगू के जंगल को काटने के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी गई 26 मार्च 1974 को रैणी गांव में साइमन कंपनी के ठेकेदार जंगल को काटने के लिए जंगल जा रहे थे उसे दिन बद्रीनाथ नीति मोटर मार्ग का मुआवजा भुगतान चमोली तहसील में किया जा रहा था। सभी पुरुष वहां चले गये। तत्कालीन ब्लॉक प्रमुख जोशीमठ गोविंद सिंह रावत को मालूम था कि इस तरह का षड्यंत्र लोगों के साथ किया जा रहा है उन्होंने महिलाओं को तैयार किया था कि इस तरह की कोशिश सरकार के द्वारा की जाएगी तो उसका भरपूर विरोध किया जाएगा। उन दिनों उत्तराखंड में भी छोटे कास्ट उद्योग के लिए सरकार के द्वारा दो पेड़ दिए जाते थे। जिससे फर्नीचर बनाने का काम सर्वोदय संस्थाएं करती थी और मल्ला नागपुर सहकारिता समिति का संचालन सर्वोदय संगठन के द्वारा किया जाता था इस तरह टिहरी में भी इस तरह का कास्ट कला का काम सुंदरलाल बहुगुणा से जुड़े हुए कार्य करते थे और चमोली में पद्म विभूषण चंडी प्रसाद भट्ट स्वयं इस काम को करते थे ऐसी जानकारी चिपको आंदोलन से जुड़े हुए स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट के द्वारा कही गई बातें हैं। उनके द्वारा चिपको के सिपाही स्वर्गीय गोविंद सिंह रावत के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। दसौली ग्राम स्वराज मंडल गोपेश्वर मालला नागपुर सहकारिता समिति दोनों संस्थाओं का संचालन यह लोग करते थे। बाद में स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट के द्वारा जागेश्वर शिक्षण संस्थान का गठन किया गया और वह दशोली ग्राम स्वराज मंडल से पृथक हों गये। इस तरह से उत्तराखंड में जहां कुछ लोग काष्ट उद्योग के माध्यम से अपना व्यवसाय करते थे। वनों के व्यवसायिक की दोहन के कारण इन सब लोगों की रोजगार के साधन भी छिनने लगे और यह लोग भी ऐसा मौका देख रहे थे कि सरकार के खिलाफ एक जन आंदोलन छेड़ दिया जाए उसे समय रैणी गांव में 26 मार्च 1974 के दशक में सभी लोग रोड का मुवाजा पाने के लिए चमोली गई थे। घर में महिलाएं रही और गौरा देवी रही जब गौरा देवी को मालूम चला हमारे जंगल में साइमन कंपनी के लोग पेड़ काटने के लिए जा रहे हैं वह साथ पीछे-पीछे जंगल चले गये भल्ला भाइयों को जंगल नहीं काटने दिया इस पूरी कहानी के पीछे स्वर्गीय गोविंद सिंह रावत का योगदान अमूल्य रहा उन्होंने जन जागरण के माध्यम से पोस्टर परचो के माध्यम से इस जानकारी को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया उनके घर में आज भी 1973 74 में छपा हुआ केशव प्रिंटिंग प्रेस गोपेश्वर का एक लाल सलाम चिपको आंदोलन जिंदाबाद नारों से सरकार के खिलाफ आंदोलन की पूरी रूपरेखा है जो उनके घर जोशीमठ में उनकी पत्नी के द्वारा सुरक्षित रखा गया है। 26 मार्च को महिलाओं ने साइमन कंपनी के ठेकेदारों को जंगल में डेरा डालना नहीं दिया और जंगल काटने से मना कर दिया उनको जंगल से खदेड़ दिया। ऐसी जानकारी बताई जाती है कि इसमें 30 महिलाएं सम्मिलित थी। और लंबे समय तक जोशीमठ क्षेत्र उत्तराखंड में यह आंदोलन चला रहा बाद में इस आंदोलन को संचालन करने में चिपको आंदोलन के अग्रज नेता श्री चंडी प्रसाद भट्ट ने इसको विश्व स्तर पर फैलाने में अपना अहम योगदान दिया जिससे यह आंदोलन सफल हो सका। आज आज जोशीमठ के रैणी रवि ग्राम जोशीमठ में चिपको आंदोलन के 51 वर्षगांठ पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जोशीमठ के उप जिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ एवं जनप्रतिनिधीकरण उपस्थित थे चिपको आंदोलन से जुड़े हुए लोगों को सम्मानित किया गया भूटिया समाज के लोगों के द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधान जिला पंचायत सदस्य समाजसेवी राजनेता गण कई लोगों ने प्रतिभाग किया रेंणी गांव के पूर्व प्रधान भगवान सिंह, सुखी भल्ला गांवके प्रधान लक्ष्मण सिंह बुटोला सहित कई लोग उपस्थित हरीश परमार जी लक्ष्मण सिंह बुटोला भवान राणा गौरा देवी पुत्र चंद्र सिंह सुपया राणा जी धीरेन्द्र गरुड़िया तिल्ली रावत नरेंद्र रावत जी क्षेत्र पंचायत पुष्कर राणा महिला मंगल दल बिना देवी आनंद सिंह जी सग्राम सिंह ओम प्रकाश डोभाल अध्यक्ष रेड क्रॉस समिति चमोली थे।