
कमल बिष्ट/उत्तराखंड समाचार।
कोटद्वार। डॉ० पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल हिमालियन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में इतिहास विभाग एवं महाविद्यालय की कैरियर काउंसलिंग सेल के संयुक्त तत्वावधान में सिविल सेवाओं की तैयारी पर एक महत्वपूर्ण व ज्ञानवर्धक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य रिसोर्स पर्सन महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज, जयपुर के इतिहास विभाग के प्रोफेसर (डॉ०) विकास नौटियाल द्वारा विद्यार्थियों एवं शोध छात्रों को सिविल सेवा परीक्षा, अधिनस्त सेवा चयन आयोग तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारीयों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत करवाया।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डी.एस. नेगी ने अपने स्वागत उत्बोधन में कहा कि “हमें आज बहुत खुशी है कि हमारे इस कॉलेज के पूर्व छात्र प्रोफेसर नौटियाल अब विद्यार्थियों और शिक्षक दोनों के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर पुनः हमारे बीच उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के वक्ताओं और उनके व्याख्यानों से विद्यार्थी एव समाज लाभान्वित होते रहते हैं, जिससे उनके बहुआयामी ज्ञान में वृद्धि होती है।
इस अवसर पर प्रोफेसर विकास नौटियाल ने अपने वक्तव्य में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के विभिन्न दृष्टिकोणों से छात्रों को अवगत करवाया तथा उनसे संवाद किया। उन्होंने ब्रिटिश काल से लेकर आधुनिक भारत तक की सिविल सेवाओं के इतिहास, शीर्ष सेवाओं तथा मूल्य-नैतिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ० नौटियाल ने जीवन, कैरियर, व्यक्तिव्व विकास और दायित्वों पर विशेष रूप से चर्चा की, उन्होंने कहा कि “हर व्यक्ति को कोई न कोई दायित्व मिला होता है जैसे सरकारी, स्वयं का व्यवसाय, कॉरपोरेट या गृहिणी, किंतु इन सभी का अर्थव्यवस्था में समान महत्व है, अत: प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मन की इच्छा तथा सामर्थ्य के अनुरूप कार्य चुनना चाहिए, उन्होंने फिल्म 3 इडियट्स का उदाहरण देते हुए छात्रों को अपने मन का कार्य चुनने की प्रेरणा दी। छात्रों के परीक्षा, रोटेशन और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित कठिन प्रश्नों का भी प्रोफेसर नौटियाल ने बड़ी सहजता से उत्तर देकर विद्यार्थियों को लाभान्वित किया। छात्रों द्वारा NCERT एवं NEP के पाठ्यक्रम एवं किताबों, शिक्षा के बदलते स्वरूप के अनुसार उनमें संशोधन से संबंधित अनेक प्रश्न पूछे गए। जिसके संदर्भ में डॉ० नौटियाल ने बताया कि NEP 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रोफेशनल कोर्स का सिलेबस हर छह महीने में और विश्वविद्यालयों का पाठ्यक्रम हर तीन वर्ष में परिवर्तन करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी, जेएनयू और कई निजी विश्वविद्यालय पहले ही इस दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं, और आने वाले समय में NCERT भी इस ढांचे के अनुरूप अपने पाठ्यक्रम में आवश्यक परिवर्तन करेगा। प्रोफेसर नौटियाल भी विद्यार्थियों के इस प्रकार के प्रश्नों, जिज्ञासा और उत्साह देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए । प्रो नौटियाल द्वारा छात्रों के कैरियर उन्नयन एवं व्यक्तिव विकास के लिए एक्टिविटी भी कराई। अपने संबोधन के समापन पर डॉ० नौटियाल ने समय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “समय सबको बराबर मिलता है, महत्वपूर्ण यह है कि हम उसका निवेश कैसे करते हैं।”
कार्यक्रम के अंत में इतिहास विभाग प्रभारी डॉ० प्रवीन जोशी द्वारा प्रोफेसर नौटियाल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी को आज जो ज्ञान प्रोफेसर नौटियाल से मिला वह अतुल्य है अत: भविष्य में हम प्रोफेसर नौटियाल को पुनः आमंत्रित करना चाहेंगे, क्योंकि उनके विचारों से न केवल छात्र बल्कि शिक्षक भी प्रभावित हुये हैं। उन्होंने कार्यक्रम के सफलता पूर्ण आयोजन के लिए प्राचार्य प्रोफेसर डॉ० डी. एस. नेगी, प्रोफेसर वसंतिका कश्यप, कैरियर काउंसलिंग सेल की संयोजक डॉ० ऋचा जैन, डॉ० जुनीश कुमार, डॉ० नवरत्न सिंह सहित विभाग के शोधार्थियों एव स्नातकोत्तर की छात्राओं का भी आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफलता पूर्वक संचालन इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जुनीश कुमार द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में छात्राओं, शोधार्थियों के अतिरिक्त डॉ० भगवत रावत, डॉ० संजय मदान, डॉ० संदीप कुमार, डॉ० महावीर शर्मा, डॉ० प्रियंका अग्रवाल, डॉ० सुनीता नौटियाल, डॉ० प्रमोद सिंह,शोधार्थी श्री मनोज खुल्बे, सूरज भाकुनी, शिवा, अंकित कुमार आदि मौजूद थे ।











