अल्मोड़ा 4 जुलाई : स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर रखने में जो योगदान दिया है। उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके विचार आज हमें अपनी कर्मशक्ति से समाज के साथ साथ अपने जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा दे रहे हैं।
स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर एसएसजे परिसर के योग विज्ञान विभाग में स्वामी विवेकानंद शोध एवं अध्ययन केंद्र के शुभारंभ मौके पर विवि के कुलपति प्रो. नरेंद्र भंडारी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का अल्मोड़ा से गहरा रिश्ता रहा है। वह कई बार यहां आए और उन्होंने यहां साधना भी की।
मुख्य वक्ता राम कृष्ण कुटीर के स्वामी धु्रवेशानंद ने कहा कि परिसर में स्वामी विवेकानंद को लेकर जिस अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है। वह सराहनीय है। उन्होंने कहा काकड़ीघाट में पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर उन्होंने साधना की और अल्मोड़ा आकर उन्हें ज्ञाप की प्राप्ति भी हुई। काकड़ीघाट से अल्मोड़ा आते वक्त उन्हें करबला के पास मूर्छा भी गई थी। जबकि अल्मोड़ा के रघुनाथ मंदिर के पास उन्होंने जनता को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि विवेकानंद ने पूरे विश्व में घूमकर भारतीय संस्कृति की अलख भी जगाई थी।
इस मौके पर डा. नवीन भट्ट, डा. ललित जलाल, प्रो. सोनू द्विवेदी, प्रो. शेखर जोशी, प्रो. जगत बिष्ट, मोनिका भैंसोड़ा, रोहिणी पंत, डा. डीएस बिष्ट, लियाकत अली, ललित जोशी, शेखर जोशी, नंदन सिंह, विपिन जोशी, विनीत कांडपाल, विनीत कांडपाल, देवेंद्र धामी, रवींद्र पाठक, लल्लन सिंह, देवेंद्र धामी, हेमलता अवस्थी आदि मौजूद रहे।