डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड अपने गठन के 25 साल पूरे कर चुका है, उत्तराखण्ड में एक दशक से फैले भ्रष्टाचार पर प्रहार करने के लिए मुख्यमंत्री ने रात-दिन एक कर रखा है और उन्होंने दो टूक संदेश दे रखा है कि अगर किसी ने भी राज्य में भ्रष्टाचार करने का दुसाहस किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचारमुक्त उत्तराखण्ड के विजन को सरकारी महकमे के कुछ अफसर और कर्मचारी ही पलीता लगाने में जुटे हुये हैं जिसको लेकर अकसर यही बहस चल रही है कि भ्रष्टाचार मिटाना अभी सरकार के मुखिया के लिए एक बडी जंग जैसा ही दिखाई दे रहा है? सवाल खडे हो रहे हैं कि जब सरकारी महकमे का अफसर अपनी ही किसी कर्मचारी की उसकी इच्छानुसार पोस्टिंग को लेकर उससे रिश्वत ले रहा है तो उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचारी अधिकारियों और कर्मचारियों में अभी भी सरकार का कोई भय नहीं दिख रहा है, भले ही आये दिन छोटे-छोटे भ्रष्टाचारी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच रहे हैं।
उत्तराखण्ड के अन्दर नौ पूर्व मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल राज्य की जनता ने देखा और इस लम्बे कार्यकाल मंे भ्रष्टाचारी और घोटालेबाजों के मन मंे कभी भी सरकारों का कोई डर देखने को नहीं मिला। हैरानी वाली बात है कि राज्य में काफी राजनेता, सफेदपोश और भ्रष्ट अफसर भ्रष्टाचार करने का ऐसा खेल खेलते रहे कि उसे खेलते-खेलते वह अकूत सम्पत्ति के मालिक बन बैठे। उत्तराखण्ड की जनता भ्रष्टाचारियांे और घोटालेबाजों से हमेशा नफरत करती रही लेकिन पूर्व सरकारों को इससे कोई फर्क नहीं पडा और वह भ्रष्टाचारियों के सिंडिकेट के आगे चुप्पी साधकर बैठी रही और राज्य की जनता इनके चुंगल मंे अपने आपको कैद पाती रही। मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के खिलाफ बडा मिशन चलाने का संकल्प ले तो रखा है लेकिन राज्य में भ्रष्टाचार करने वाले बडे-बडे मगरमच्छ आज भी आजाद हैं और उनकी सम्पत्तियों को खंगालने के लिए कभी विजिलेंस और किसी बडी एजेंसी ने कोई काम धरातल पर किया हो ऐसा देखने को नहीं मिला है। भ्रष्टाचारी, घोटालेबाज और माफियातंत्र का राज्य के अन्दर आज भी एक बडा गठजोड पर्दे के पीछे से बना हुआ है और इस गठजोड को सरकार के मुखिया कब भेदंेगे यह तो आने वाले समय ही बतायेगा लेकिन यह बात शीशे की तरह साफ है कि मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार के खिलाफ लम्बा युद्ध लडना पडेगा? कुछ बडे राजनेताओं और कुछ अफसरों के द्वारा किये गये भ्रष्टाचार और घोटालों की गूंज राज्य के अन्दर गूंजती आ रही है और यह बहस चल रही है कि जब तक भ्रष्टाचार के बडे-बडे मगरमच्छ राज्य की जनता के सामने बेनकाब नहीं होंगे तब तक उत्तराखण्ड आदर्श राज्य बनने की रेस में आगे नहीं बढ पायेगा। उत्तराखण्ड में बाइस सालों से राज्य की जनता भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों की जंजीरों में खुद को कैद मानकर उनसे आजादी पाने का हमेशा सपना देखती रही लेकिन उनका यह सपना कभी पूरा नहीं हो पाया? उत्तराखण्ड के अन्दर कुछ बडे-बडे राजनेता, सफेदपोश और भ्रष्टाचार से दौलत कमाने वाले काफी अफसर आज भी आजाद नजर आ रहे हैं जिसके चलते राज्य के अन्दर बार-बार लोकायुक्त का गठन किये जाने की मांग उठती रही है। सबसे अह्म बात यह है कि जब पूर्व सरकारें यह ढोल बजाती रही कि जब राज्य के अन्दर पारदर्शी तरीके से काम हो रहा है तो फिर राज्य में लोकायुक्त की जरूरत क्या है? डबल इंजन पर सवार रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने सत्ता संभालने के बाद लोकायुक्त का गठन करने का सौ दिन के भीतर आवाम से वायदा किया और यह मामला जब विधानसभा में आया तो उसके लिए प्रवर समिति का गठन भी किया गया लेकिन उसमें की गई सिफारिश से पूर्व सरकार डर गई और उसने इस मुद्दे को फाइल में ही दफन कर उस पर खामोशी साध ली थी?उत्तराखण्ड के अन्दर अफसरों और कुछ राजनेताओं ने ऐसे-ऐसे हैरान करने वाले घोटालों को अंजाम दिया जिसे सुनकर भी आदमी सन्न रह जाये और जब यह घोटाले उठने लगे तो उस पर पूर्व सरकारांे ने हमेशा खामोशी साधकर उसे मैनेज करने का खूब खेल खेला था? उत्तराखण्ड की कमान पिछले कुछ अर्से से मुख्यमंत्री के हाथों में और उन्होंने भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों पर नकेल लगाने का खुला अल्टीमेटम दिया और उस पर उन्होंने काम भी किया जिसके चलते चुनिंदा भ्रष्टाचारी और घोटालेबाज जरूर सलाखों के पीछे पहुंचे लेकिन आज भी कुछ बडे-बडे राजनेता, सफेदपोश औीर भ्रष्ट अफसर ऐसे हैं जिन्हें भ्रष्टाचार का बडा मगरमच्छ माना जाता है और वह अभी तक सरकार की रडार पर नहीं आ पाये हैं उसी के चलते आवाम के मन में एक ही सवाल पैदा हो रखा है कि राज्य को बाइस सालों से दोनो हाथों से लूटने वाले सिंडिकेट को कब सरकार बेनकाब करेगी? मुख्यमंत्री ने एक बडे हौसले के साथ भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू करने का मिशन चलाया उसको लेकर राज्य की जनता उन्हें धाकड मुख्यमंत्री का तमका दे रही है लेकिन वह यह भी मानती है कि मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक लम्बा युद्ध लडना पडेगा तभी राज्य को भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों से आजादी मिल पायेगी?. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*












