देहरादून, 7 मार्च, 2025। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सांय वास्तुकला पहुँच स्वीकार्यता विषय पर एक विशेष कार्यक्रम किया गया.
भारत का राष्ट्रीय भवन संहिता पूरे देश में निर्माण मानक निर्धारित करता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित होती है और साथ ही भवन के सभी उपयोगकर्ताओं के लिए पहुँच की गारंटी भी मिलती है। आज सांय केंद्र के सभागार में एक विशेष व्याख्यान में, देहरादून में विकलांग बच्चों और वयस्कों के साथ काम करने वाली एक प्रसिद्ध गैर-लाभकारी संस्था लतिका की कार्यकारी निदेशक जो चोपड़ा ने भवन संहिता की सुंदरता और न केवल निर्मित पर्यावरण बल्कि दुनिया के लोगों के अनुभव को बदलने की इसकी क्षमता के बारे में बात की।
इस विषय पर जो चोपड़ा ने अपनी सार्थक वार्ता में जोर देकर कहा कि “अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई इमारतें, परिभाषा के अनुसार, सुलभ, सुरक्षित और आरामदायक होती हैं। इसका मतलब है कि लोग अपना सर्वश्रेष्ठ काम कर सकते हैं और समाज में सार्थक योगदान दे सकते हैं, बिना इस बात की चिंता किए कि इमारत गिर जाएगी या वे किसी आपात स्थिति में कैसे बचेंगे.”
उन्होंने आगे कहा कि जब भवन संहिता की अनदेखी की जाती है, चाहे वह अज्ञानता, उपेक्षा या जानबूझकर भ्रष्टाचार के कारण हो (जैसा कि निरीक्षकों को भुगतान किया जाता है), तो इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है: कुछ महीने पहले झांसी के एक अस्पताल की घटना का जिक्र किया जिसमें नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गयी थी, इस घटना के पीछे अग्नि सुरक्षा कानून (जो संहिता का अभिन्न अंग है) के उल्लंघन का मामला सामने आया था।
उल्लेखनीय है कि लतिका वर्तमान में देहरादून में सार्वभौमिक डिजाइन सिद्धांतों पर अपना परिसर का निर्माण कर रही है। जो चोपड़ा ने यह भी बताया कि वे किस तरह इस इमारत को विकलांगों, बुजुर्गों, किशोरों और परिवारों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बना रहे हैं , जो वास्तव में भवन संहिता से प्रेरित है।
उन्होंने उपस्थित लोगों के समक्ष कहा कि संहिता का सिद्धांत यह है कि एक इमारत को सभी के लिए काम करना चाहिए। एक बार जब आप इस तरह से सोचना शुरू करते हैं, तो आपका दिमाग आश्चर्यजनक तरीकों से खुलता है। यही कारण है कि हम बुजुर्ग पड़ोसियों को सुबह की सैर के लिए सुरक्षित जगह के रूप में हमारे रैंप का उपयोग करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं; यही कारण है कि हमारे पास नर्सिंग माताओं के लिए अपने बच्चों को खिलाने के लिए एक शांत जगह है और यही कारण है कि हमारा समावेशी खेल का मैदान इतना सुलभ है कि व्हीलचेयर पर बैठे बच्चे मैरी-गो-राउंड पर सवारी कर सकेंगे।
इस अवसर पर पूर्व प्रमुख सचिव विभापुरी दास, पर्यावरण विद डॉ. रवि चोपड़ा, चंद्रशेखर तिवारी, एलन सिली, शैलेन्द्र नौटियाल,के बी नैथानी, नमिता नंदा, राजीव गुप्ता, कल्याण बुटोला, वास्तुविद एस के दास,सुन्दर सिंह बिष्ट,नमिता नंदा सहित शहर के अनेक प्रबुद्धजन, वास्तुकार, सामाजिक कार्यकर्ता, युवा व अन्य लोग उपस्थित रहे.