देहरादून। नेताओं, जनप्रतिनिधियों, ठेकेदारों, बिचैलियों और सरकारी अफसरों-कर्मचारियों हवाले कर दिए गए इस राज्य में विकास के नाम पर सिर्फ लूट मची हुई है। विधायक-सांसद निधि में 30 प्रतिशत से अधिक कमीशन की मलाई अब पंचायत तथा निकायों के प्रतिनिधियों को भी इसीलिए लुभा रही है, इसीलिए उनकी तरफ से भी निधि के गठन की मांग जोर-शोर से उठ रही है। इसका परिणाम विकास के इन विदू्रप रूप में हमारे सामने है।
नवक्रांति स्वराज मोर्चा के जागरूक कार्यकर्ता गजेंद्र जोशी ने यह फोटो सोशल मीडिया के जरिये आम आदमी तक पहुंचाने का प्रयास किया है। जिसमें एक कार्यकर्ता सड़क पर बिछाए गए कोलतार की परत को दिखा रहा है, जो हाथों से ही उखड़ रही है। क्या सड़क पर कोलतार बिछाने के कोई मानक नहीं है? यदि हैं तो उनका अनुपालन क्यों नहीं किया जा रहा है। एक ठेकेदार यदि विकास के नाम पर इस तरह के घटिया काम करता है तो उसके सिर पर किसी नेता-अफसर का हाथ होता है, इसीलिए वह विकास के नाम पर इस तरह के काम करने से झिझकता नहीं है।
सांसद निधि देश के प्रधानमंत्री रहे नरसिंम्हाराव की देन है। जो अपनी सरकार को बचाने के लिए सांसदों की खरीद फरोख्त करते हुए पकड़े गए थे। सांसद निधि भी सांसदों को उसी तरह की घूस थी, जिसमें पहले ही तय कर दिया गया था कि यदि प्रतिनिधि चाहे तो निधि का एक हिस्सा कमीशन के तौर पर ले सकता है। कुछ गिने चुने जनप्रतिनिधि ऐसे भी हो सकते हैं, जो कमीशन नहीं लेते, लेकिन उनकी संख्या अंगुलियों में गिनने लायक ही होगी। इसी की देखा देखी विधायक निधि भी आ गई। अब ब्लाक प्रमुख तथा अन्य पंचायत प्रतिनिधि तथा नगर निकायों के पार्षद भी निधि के गठन की मांग उठा रहे हैं। इसके पीछे विकास की मंशा कम कमीशन की उत्कंठा अधिक दिखाई देती है।
यह राज्य जनप्रतिनिधियों, ठेकेदारों, दलालों, अफसरों के काॅकस में फंसकर रह गया है। इसलिए विकास के मानकों को खूंटी पर टांग कर रख दिया गया है। अपने आंकाओं की आड़ में ठेकेदार बेशर्मी की हद तक जाकर विकास का पैसा हड़प रहे हैं। यह तय है कि राज्य को इस काॅकस से बाहर लाने में तभी सफलता मिल सकती है, जब राज्य की जनता जागरूक हो, इस तरह के काम जहां होते हुए दिखाई दें, बिना किसी प्रलोभन में आए उसका विरोध करें और उसके खिलाफ मजबूती से उठ खड़े हों। नवक्रांति स्वराज मोर्चा एक सीमित क्षेत्र में ही सही ऐसी पहल करते हुए दिखाई देता है।