दिवाली की रात देहरादून में वायु प्रदूषण सामान्य के मुकाबले 10 से 15 गुना तक बढ़ गया था। थिंक टैंक गति फाउंडेशन ने दीपावली की रात शहर के विभिन्न क्षेत्रों में एक खास मोबाइल मशीन के जरिए पीएम-2.5 और पीएम-10 को मापा, जिसमें चैंकाने वाले तथ्य सामने आये।
गति फाउंडेशन के सह संस्थापक आशुतोष कंडवाल ने बताया कि उनकी टीम की ओर से बल्लीवाला चैक, निरंजनपुर सब्जी मंडी, पटेलनगर, सहारनपुर चैक, झंडा चैक, खुड़बुड़ा मोहल्ला, गांधीग्राम, गोविंदगढ़ और घंटाघर में वायु प्रदूषण की स्थिति मापी गई।
इस दौरान घंटाघर जैसे खुले क्षेत्र की तुलना में घनी आबादी वाले पटेलनगर और गांधीग्राम जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर ज्यादा दर्ज किया गया। कंडवाल के अनुसार उम्मीद की जा रही थी कि इस साल विभिन्न जागरूकता अभियानों के कारण आतिशबाजी पिछले सालों की तुलना में कम होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लगभग पिछले साल के बराबर ही इस साल भी आतिशबाजी की गई।
जलते हुए पटाखे गिरने के कारण कई जगहों पर रात के समय कूड़ेदानों में भी आग लगी हुई नजर आई। इस आग ने भी प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने में योगदान किया। उन्होंने बताया कि प्रदूषण मापने वाली टीम को शहर में कई जगहों पर कुत्ते और गायें नजर आए, जो लगातार बजते पटाखों के कारण काफी भयभीत थे और इधर-उधर भाग रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि पटाखे छोड़ने के लिए रात 8 बजे से 10 बजे का समय तय किया था, लेकिन देहरादून में रात 12 बजे तक भी पटाखे छूटते रहे। कई मुख्य मार्गोंं पर तो रात को 11 बजे तक आतिशबाजी की दुकानें खुली हुई थी। कंडवाल ने बताया कि देहरादून शहर में प्रदूषण का स्तर मापने का कार्य 5 नवंबर को शुरू किया गया था।
दिवाली की रात भी दस अलग-अलग स्थानों पर पीएम-2.5 और पीएम-10 का स्तर मापा गया। अगले 2 दिनों तक भी प्रदूषण मापने का यह सिलसिला जारी रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि इस अभियान में निकले निष्कर्ष को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे संबंधित विभाग को सौंपा जाएगा।