उर्गम(लक्ष्मण सिंह नेगी) जोशीमठ में लगातार हो रही भूधसांव की स्थिति बड़ी भयावह होती जा रही है लगातार जोशीमठ मारवाड़ी रविग्राम ,मनोहर वांग ,टीसीपी बाजार जोशीमठ ,डांडो गांव सिंघार सुनील की तरफ लोगों की मकानों पर दरारे बढ़ गई हैं लगभग 570 मकानों पर दरारें देखी गयी है।
मारवाड़ी के पास जेपी कंपनी के पास ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर पानी का स्रोत फूटकर कर बाहर निकल रहा है। गत 2 दिन पूर्व रात्रि को जोर से आवाज आने के बाद उस स्थान से पहले मट मेला पानी आने लगा उसकी बात सड़क पर धसांव हो गया है। लगभग 4 परिवारों को उनकी मकानों से हटाकर नगर पालिका की रेन बसेरा ब्लॉक प्रांगण में कमरों पर शरण दी गई है। जोशीमठ मैं सभी भूस्वामी मकान मालिक डरे और सहमे हुए हैं। कुछ घरों पर रात्रि में दरार आने के कारण घरों के शीशे चटक गए हैं। उसके बाद लोग मजबूर होकर घर से बाहर निकल गए। प्रशासन की टीम भी क्षेत्र का भ्रमण कर रही है और आपदा का आकलन किया जा रहा है। साथ ही जोशीमठ से दो प्रतिनिधिमंडल सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर धाम इसे मिल करके उन्होंने लगातार हो रहे धंसाव के बारे में उच्च स्तरीय जांच वैज्ञानिकों से कराने की बात उन्होंने रखी।
उन्होंने कहा है कि इस समस्या के बारे में शीघ्र समाधान किया जाना चाहिए दूसरी तरफ जोशीमठ के बारे में गढ़वाल कमिश्नर के द्वारा 1976 में भूगर्भीय जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी के सदस्य विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन के नेता पद्म भूषण चंडी प्रसाद भट्ट भी थे। कमेटी के द्वारा सुझाव दिया गया था कि जोशीमठ एक ग्लेशियर के मलवे पर स्थित है। यहां पर 2 मंजिले से ऊंचे भवन नहीं बनाये जाने चाहिए तथा अलकनंदा नदी के तटों पर बाढ़ नियंत्रण के लिए दीवार बनाई जानी चाहिए। साथ ही यहां पर भारी भरकम निर्माण पर रोक लगाने की बात की गई थी। इन सब सिफारिशों को दर किनारा करते हुए जोशीमठ मैं लगातार बहुमंजिला भवनों का निर्माण बेरोकटोक ढंग से होता रहा जिसके कारण है। यहां पर भूधसांव की समस्या पैदा हो गई है। साथ ही वर्ष 2021 में धोली गंगा पर आई बाढ़ के कारण जोशीमठ में मकानों पर दरारें बढ़ने का सिलसिला उसी समय से अधिक हुआ।
स्थानीय लोगों के द्वारा समय-समय पर यह बात उठाई जाती रही किंतु किसी ने इन बिंदुओं पर विचार नहीं किया अब स्थिति भयानक रूप धारण कर चुकी है लगातार नई-नई घरों पर दरारे आ रही है। इस स्थिति में प्रशासन एवं स्थानीय लोग भी समझ नहीं पा रहे हैं। क्या कार्रवाई की जाए कुछ ग्रामीणों का कहना है कि विष्णुगाढ़ तपोवन 520 मेगावाट जल विद्युत परियोजना की टनल के कारण यो यह स्थिति पैदा हो रही है और कंपनी के खिलाफ लोग आक्रोशित भी हैं। दूसरी तरफ एनटीपीसी से जुड़े हुए कर्मचारी अधिकारी का मानना है कि कंपनी की टनल जोशीमठ शहर से डेढ़ सौ मीटर नीचे से जारी है। इससे कोई खतरा नहीं है यह तो जांच का विषय है कि किन कारणों से शहर मैं यह स्थिति पैदा हुई है पिछले दिनों जोशीमठ में एक बड़ी जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में जोशीमठ शहर की हजारों लोगों ने भाग लिया था। इसी के साथ जिलाधिकारी चमोली के द्वारा भी क्षेत्र का निरीक्षण किया गया और उन्होंने कहा कि जोशीमठ मैं नालियों को सुव्यवस्थित तैयार करने सीवरेज के पानी को ठीक करने के साथ नालों के ट्रीटमेंट अलकनंदा के तट पर तटबंध बनाने की बात उन्होंने कहा था और पूरे क्षेत्र की जांच करने की बात उन्होंने रखी थी, जिसमें क्षेत्र के लोगों ने उनके सम्मुख अपना आक्रोश भी व्यक्त किया था।