लक्ष्मण सिंह नेगी
उरगम घाटी। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के सुरेई खेत में पर्यावरण वाले गुरुजी के नाम से जाने जाते हैं डॉ मोहन कांडपाल। वैसे तो रसायन विज्ञान के अध्यापक हैं, परंतु उन्होंने अपनी कर्मस्थली पर्यावरण को चुना।
वैसे अधिकतर नौजवान उत्तराखंड से रोजगार के लिए मैदानी क्षेत्रों में चले जाते हैं और वही के होकर रह जाते हैं। पिछले दिनों 5 और 6 जून २०२२ को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर एक मुलाकात गौरा देवी पर्यावरण मेले में हुई थी। पढ़ाई लिखाई कानपुर से करने के बाद वापस लौट कर पहाड़ आए और उन्होंने अशासकीय विद्यालय में अध्यापन का काम शुरू किया। वर्ष 1995 में सीड के नाम से संगठन पंजीकृत कराया। उसके वाद से सामाजिक चेतना के काम में लग गये।
पर्यावरण शिक्षा में लम्बे समय से काम कर रहे। इस वर्ष रक्षाबंधन के समय पर शिक्षक अभिभावक ने पेड़ों पर रक्षा सूत्र बांधकर पेड़ों को वचाने का संकल्प लिया। डॉ मोहन कांडपाल कहते हैं कि पौधारोपण एक अभियान की तरह सरकार संचालन तो कर रही है, किंतु पौधों के उनके संरक्षण के लिए कोई प्रयास नहीं है। इसलिए हम लोगों ने संकल्प लिया पोधो को लगाने तो ध्यान दिया जा रहा है। अधिक संरक्षण पर जोर दिया जाए। अभिभावक एवं बच्चों के साथ पेड़ों के संरक्षण के पेड़ों पर राखी बांध करके जो संकल्प पूरा करने का संकल्प लिया, उन्होंने कहा कि यह संकल्प के संबंध में 5 जून 2022 को उरगम घाटी की यात्रा के दौरान उत्तरकाशी से पुराने मित्र सुरेश भाई से मुलाकात के बाद यह संकल्प लिया गया। पर्यावरण वाले गुरु जी को वर्ष 2022 का घोड़ा देवी सम्मान से भी सम्मानित किया गया।