चकराता से कुलदीप चौहान की रिपोर्ट
असोज महीना प्रारम्भ हुआ और भादो महीना बीत गया है! जौनसार बावर क्षेत्र की संस्कृति और रिति.परम्पराओं के आधार पर ओसोज महीने के प्रथम दिन असोज महीने की पिनीयात संगरांद के रूप में मनाया जाता है! इस पावन त्यौहार में हमारे जौनसार बावर के विभिन्न क्षेत्रों में कोदों झंगोंरा के आटे के पिनवे, हुलवे बनाये जाते है! धीरे.धीरे ये सब रिति.रिवाज और संस्कृति हमारे जौनसार बावर क्षेत्र में विलुप्त होने के कगार तक पहुंच चुकी है!
यह सब स्थिति क्षेत्र में दिन प्रतिदिन पलायन के बढ़ते हुए कारण से समाज की संस्कृति को बड़ा खतरा उत्पन्न साबित हो रहा है! जिसको बचाना असम्भव हो गया है! ऐसे में समाज की संस्कृति और रिति.रिवाजों और परम्पराओं की विचारधाराओं को जीवित रखने के लिए समस्त क्षेत्रवासियों के लोगों में यह विषय बड़ा ही शोचनीय और गंभीर विषय बन गया है! हमारे पूर्वजों की संजोयी संस्कृति पर हर दिन हर रोज संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं! जो हम सबके लिए वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के लिए चिन्ता का बड़ा विषय है!