हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली।
वर्षों से भूमिहीनों एवं समय, समय पर दैवी आपदा के दौरान ग्रामीणों को प्रशासन के द्वारा वन भूमि में बसाने के बाद अब वन विभाग के द्वारा वन भूमि को खाली करने का नोटिस वापस लेने एवं कब्जें वाली भूमि का मालिकाना हक दिए जाने की मांग को लेकर क्षेत्र का ग्रामीणों का धरना 10 वें दिन भी जारी रहा।
विकास खंड थराली के अंतर्गत ताल, घनियाधार एवं जौला गांव के ग्रामीणों ने भूमिहीन किसान संघर्ष समिति थराली के तहत वन भूमि को खाली करवाने के नोटिस वापस लेने एवं दशकों से इस भूमि पर रह रहे ग्रामीणों को उसका मालिकाना हक दिए जाने की मांग को लेकर गुरुवार को 10 वें दिन प्रदर्शन करते हुए धरना दिया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि वन भूमि पर दशकों से रह रहे अधिकांश ग्रामीणों के पास या तो भूमि ही नही है अथवा इतनी कम है कि इसमें आजीविका चला पाना कठिन है,इस लिए मजबूरन ग्रामीणों को वन भूमि में बसना पड़ा। इसके अलावा जोला गांव के लोगों को 1936,1989,1993,2013 की आपदाओं के दौरान जोला गांव में हुएं भूस्खलन एवं
भूमिधंसाव के बाद प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से जौला गांव की सुरक्षित वन भूमि के आलावा ताल एवं घनियाधार में बसाते हुए बकायदा आपदा पीड़ितों को तिरपाल,टैंट, बर्तन, खाद्य सामग्री भी दी किंतु पिछले वर्ष के आखिरी दिनों में उन्हें वन भूमि को खाली करने का जो फरमान भेजा गया उससे जहां ग्रामीण अपने भविष्य के प्रति चिंतित हैं, वही दोहरे मापदंड से कब्जा धारियों में शासन, प्रशासन के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है। धरने के 10 वें दिन प्रधुयन धिमान, बलवंत सिंह, हुक्कम सिंह,भूपाल सिंह,मदन राम, राकेश राम,दयाल राम, मुकेश कुमार, सुरेंद्र राम, प्रकाश राम, देवकी देवी, शोभा देवी,
गोविंदी देवी, मुन्नी देवी, शकुंतला देवी रेखा देवी, बिमला देवी आदि बैठें रहे।