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- प्रस्तावित हेलंग-मारवाडी वाईपास का बोर्ड।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। वाईपास के विरोध में लामबंद हो रहे है सीमंात नगरवासी। सोमवार को विशाल प्रदर्शन कर प्रस्तावित वाईपास का जोरदार विरोध किया जाऐगा। जोशीमठ बचाओ संधर्ष समिति,ब्यापार संगठन एवं पैनखंडा संघर्ष समिति ने सक्षम प्राधिकारी के सम्मुख आपत्तियाॅ दर्ज कराई।
आद्य जगदगुरू शंकराचार्य की तपस्थली और श्री बदरीनाथ यात्रा के मुख्य पडाव जोशीमठ को अलग-थलग कर प्रस्तावित हेलंग-मारवाडी वाईपास के विरोध मे पूरा सीमांत नगर लामबंद हो गया है। बीती आठ अगस्त को वाईपास निर्माण को लेकर भारत सरकार के सडक परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के बाद तो मामला और भी गरमा गया है। जिसका प्रमुख कारण यह भी है कि इससे पूर्व भी एनटीपीसी एवं टीएचडीसी द्वारा भूमि अर्जन के लिए इसी प्रकार की विज्ञप्ति प्रकाशित कर आपत्तियाॅ मांगी गई थी और उस प्रकरण मे भी जनसुनवाई हुई थी। लेकिन इन सब प्रक्रियाओ की खानापूर्ति के बाद एनटीपीसी व टीएचडीसी की परियोजनाएं बदस्तूर जारी हैं। ऐसा नही कि इन परियोजनाओ की जन सुनवाई के दौरान कोई आंदोलन अथवा विवाद न हुआ हो लेकिन सभी विवादों को दरकिनार कर परियोजनाओ का निर्माण जारी है।
परियोजनाओ मे हुई जनसुनवाई व आपत्तियों की प्रक्रियाओ के दौर से गुजर चुके सीमांत नगर वासी अब कोई चूक करने मे मूड मे नही दिख रहे है। हाॅलाकि वाईपास का मसला विद्युत परियोजनाओ से हटकर है। जोशीमठ से दस किमी0 पहले हेंलग नागक स्थान से वाईपास निर्माण होने से जहाॅ हजारो वर्षो की धार्मिक पंरपरा जिसके अनुसार श्री बदरीनाथ के दर्शनो से पूर्व आद्य जगदगुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापति भगवान नृसिंह के दर्शनो को आवश्यक बताया गया है पर कुठाराघात तो होगा ही,, एक बसे-बसाया नगर भी यात्रा मार्ग से पूरी तरह कटआफॅ हो जाऐगा। और भारत-चीन सीमा के नजदीक का एक सबसे बडे धार्मिक एव पर्यटन नगर से पलायन भी शुरू होगा।
दरसअल हेलंग-मारवाडी वाईपास का मसला कोई नया मसला नही है। इसकी शुरूवात वर्ष 1988-89 मे ही हो गई थी। जब सिचाॅई विभाग द्वारा विष्णुप्रयाग परियोजना का निर्माण कराया जा रहा था। तब परियोजना के सामग्री व उपकरण के लिए इस सडक का निर्माण प्रस्तावित था। तब क्योेकि ऋषिकेश से बदरीनाथ-माणा तक की पूरी सडक बीआरओ के अधीन थी। तो सिचांई विभाग ने भी इस सडक निर्माण के लिए बीआरओ को ही चुना था। लेकिन कई विरोधो के बाद जब बीआरओ ने सडक निर्माण का कार्य नही रोका और वाईपास सडक करीब-करीब तैयार हो ही गई थी। तब जोशीमठ के कुछ जागरूक नागरिको ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रूख किया और उच्च न्यायालय से वाईपास सडक निर्माण पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया। वर्ष 1991मे हुए स्टे के बाद से इस सडक पर निर्माण कार्य बंद हो गया था।
हाॅलाकि बीआरओ द्वारा कई बार वाईपास निर्माण की पैरवी की गई। लेकिन उसे सफलता नही मिल सकी। वर्ष 2010 से इस सडक के निर्माण की एक बार फिर तेजी से सुगबुगाहट हुई तो इसकी भनक लगते ही ब्यापार संगठन जोशीमठ द्वारा 17सिंतबर 2010को ब्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कर विरोध दर्ज कराया। ब्यापार संगठन जोशीमठ द्वारा 19दिसबंर 2011 तथा 9मई 2012 को भी विशाल आंदोलन कर ब्यापारिंक प्रतिष्ठान बंद किए गए। और जब वाईपास निर्माण पर रोक लगने की उम्मीद नही दिखी तो ब्यापार संगठन के सरंक्षक माधव प्रसाद सेमवाल के नेतृत्व मे ब्यापारियों के पदाधिकारियों ने नैनीताल हाईकोर्ट का रूख किया और सभी प्रमाण कोर्ट मे प्रस्तुत किए। कोर्ट ने भी अपने निर्णय मे स्पष्ट कहा कि जनता की सहमति से सडक का निर्माण किया जाना चाहिए। इस मसले पर जोशीमठ के प्रतिनिधियों द्वारा न केवल मुख्य मंत्री से भेंट की गई ब्लकि केंद्रीय संडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी भेंट कर अपना पक्ष रखा गया। इसके अलावा बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने भी सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, थल सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत, व सीमा सडक संगठन के महानिदेशक जनरल हरपाल सिंह को पत्र भेजकर वाईपास निर्माण का त्रीव विरोध दर्ज कराते हुए धार्मिक पक्ष से भी अवगत कराया है। इन सबके वावजूद जब बीती आठ अगस्त को उसी वाईपास के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी गई तो सीमांत क्षेत्र जोशीमठ मे उबाल आना स्वाभाविक ही था। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति इस मसले केा लेकर पूर्व मे भी करीब दो महीनो तक आंदोलन व अनशन कर चुकी है।
विज्ञप्ति प्रकाशन के बाद से नियमानुसार आपत्तियाॅ दर्ज तो की ही गई। नगर पालिकाध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार के नेतृत्व मे सर्वदलीय जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति एंव ब्यापार संगठन के पदाधिकारियों द्वारा प्रत्येक वार्ड मे बैठको का आयोजन कर दो सितबंर को आयोजित होने वाले विशाल प्रदर्शन की रूप रेखा तैयार कर ली गई है।
इधर पैनखंडा संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट रमेश च्रद सती ने अपर जिलाधिकारी/सक्षम प्राधिकारी के कार्यालय मे वाईपास के लेकर आपत्ति दर्ज करते हुए स्पष्ट किया है कि ग्राम जोशीमठ के खसरा नं0233 रकवा एक हैक्टेयर जिसे वाईपास के लिए अधिग्रहित किया जाना प्रस्तावित है। कहा कि उक्त भूमि ग्राम जोशीमठ की गौचर पनघट की भूमि है जिसे अधिग्रहण किए जाने पर घोर आपत्ति है। इसके अलावा जोशीमठ जिस टीले पर बसा हुआ है उसके नीचे की चटटान पर यदि छेड-छाड की गई तो न केवल वर्ष 1976 मे प्रस्तुत महेश च्रद मिश्रा आयोग की रिपोर्ट व चेतावनी का उल्लघंन होगा ब्लकि एक नगर हमेशा के लिए धराशाही हो जोएगां ।
अब देखना होगा कि सोमवार दो सितबंर को वाईपास के विरोध मे आयोजित विशाल रैली के बाद सरकारे अपना रूख बदलती है या नही! इस पर सीमांत नगर वासियों की निगाहे रहेगी।