
कमल बिष्ट।
श्रीनगर। उत्तराखंड के प्रसिद्ध सांस्कृतिक इतिहासकार डॉ. शिवप्रसाद नैथानी के निधन पर श्रीनगर गढ़वाल की आखर समिति ने किया शोक व्यक्त। श्रीनगर निवासी उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार, गढ़वाल की संस्कृति पर वृहद लेखन करने वाले उत्तराखंड की विभूति डॉ. शिव प्रसाद नैथानी जी के निधन पर आखर समिति ने शोक व्यक्त किया। आखर समिति के अध्यक्ष संदीप रावत ने कहा कि उत्तराखंड के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है और डॉ.शिव प्रसाद नैथानी के निधन से हम सभी ने यहाँ के सांस्कृतिक इतिहास, पुरातत्व पर शोधपरक एवं वृहद लेखन करने वाला एक अमूल्य रत्न को खो दिया है। डॉ.शिव प्रसाद नैथानी जी पौड़ी गढ़वाल के बिलखेत गाँव के मूल निवासी थे एवं गढ़वाल विश्व विद्यालय श्रीनगर गढ़वाल परिसर से इतिहास के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक थे।
डॉ.शिव प्रसाद नैथानी जी ने उत्तराखंड के सांस्कृतिक इतिहास, यहाँ के मंदिर, पुरातत्व सम्बंधी लगभग 12 शोधपरक पुस्तकें लिखकर लेखन के द्वारा उत्तराखंड के सांस्कृतिक एवं पुरात्वात्विक साहित्य में अपना अतुलनीय योगदान दिया। संदीप रावत बताते हैं कि अट्ठासी वर्ष की उम्र में भी गहन अध्ययन, कठिन परिश्रम, लेखन एवं शोधपरक कार्य के प्रति उनकी ऊर्जा एवं उत्साह प्रेरित कर जाता था। संदीप रावत ने बताया कि दिसंबर 2016 में आखर समिति की स्थापना के समय से ही डॉ. शिव प्रसाद नैथानी आखर समिति के संरक्षक थे।
आखर समिति द्वारा गढ़वाली लोक साहित्य के मूर्धन्य विद्वान डाॅ. गोविंद चातक की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम एवं प्रथम डाॅ. गोविंद चातक आखर साहित्य सम्मान वर्ष .2018 समारोह की अध्यक्षता इतिहासविद् डाॅ. शिव प्रसाद नैथानी ने ही की थी। उत्तराखंड के पौराणिक तीर्थों एवं ऐतिहासिक स्थलों एवं प्राचीन से लेकर आधुनिक संस्कृति का प्रमाणिकता के साथ गहन विवेचना करने वाले डॉ. प्रसाद नैथानी जी के निधन पर आखर समिति की टेलीफोनिक गोष्ठी के माध्यम से शोक व्यक्त करने वालों में संदीप रावत, उमा घिल्डियाल, मुकेश काला, बविता थपलियाल, अंजना घिल्डियाल, प्रभाकर बाबुलकर, सुशील पोखरियाल, सौरभ बिष्ट, रेखा चमोली, आरती पुंडीर, संगीता फरासी आदि शामिल थे।