देहरादून। भारत के सर्वोच्च न्यायलय की खंडपीठ ने अनामिका (काल्पनिक नाम) बलात्कार एवं हत्याकांड मामले मे तीन फांसी के अभियुक्तों को दोषमुक्त किया है। माननीय सर्वोच्च न्यायलय के फैसले के द्वारा वर्ष 2012 मे 19 साल की उत्तराखंड की रहने वाली अनामिका का अपहरण कर बलात्कार व क्षत विक्षप्त कर हत्या के आरोप मे निचली अदालत एवं हाई कोर्ट द्वारा फांसी की सजा काट रहे तीन आरोपियों राहुल, विनोद, रवि को बरी करने का आदेश दिया है।
उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ (पंजी0) ने अपनी त्वरित प्रतिक्रिया जारी करते हुए इस निर्णय पर तुरंत पुनर्विचार करने का अनुरोध सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश से की है। उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ (पंजी0) के संरक्षक एवं संस्थापक सदस्य ‘सैनिक शिरोमणि’ मनोज ध्यानी ने कहा है कि आज के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारतीय समाज मे न्याय के प्रति सम्मान रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति आहत हुआ होगा। श्री ध्यानी ने कहा कि जरूर किसी बडी खामी व कमजोर पैरवी के कारण सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश आया होगा। पंरतु माननीय सर्वोच्च न्यायलय के फैसले से विवेचना व जाँच करने वाले पुलिस कर्मियों, अधिकारियों से लेकर निचली अदालत व माननीय उच्च न्यायलयों मे चली लम्बी पैरवियों पर भी प्रश्नचिन्ह लग चुका है।
श्री ध्यानी ने कहा कि अभी दो दिन पूर्व 30 प्रतिशत क्षेेतिज आरक्षण पर जहाँ सर्वोच्च न्यायलय को न्याय के वास्तविक मंदिर के रुप मे स्थान मिल रहा था, वह बलात्कार व हत्या के दोषियों को छोड देने से जरूर क्षीण होने वाला है। श्री ध्यानी ने अनामिका के माता पिता व भाइयों को अविलम्ब कडी सुरक्षा देने की मांग की है। व साथ मे यह मांग भी उठाई है कि यदि जिन अपराधियों को छोड़ा गया है वह यदि न्यायालय कहता है कि निर्दोष हैं तो असली अपराधी कौन है? इसकी स्वयं सुप्रीम कोर्ट जाँच भी करवाए एवं पीड़ित पक्ष को न्याय प्रदान करे। श्री ध्यानी ने कहा कि आज उत्तराखंड मे अंकिता भंडारी हत्याकांड मे बड़े रसूखदार लोगों को दंडित करवाने हेतु यहाँ उत्तराखंड मे पीड़िता के परिजन एवं स्वयं अवाम भी लडाई लड़ रही है, परन्तु जिस प्रकार का फैसला आज आया है, उससे समाजिक न्याय की लडाई लडने वालों का भी मनोबल कमजोर पड़ेगा।
इससे अपराधियों का दुःसाहस बढ़ेगा और महिलाओँ व न्यायप्रिय लोगों मे भय का वातावरण व्याप्त होगा। एवं व्यवस्था की न्याय पद्द्ति पर विश्वास घटेगा। श्री ध्यानी ने केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के मुखिया से भी अनुरोध किया है कि वह न्यायलयों मे कमजोर पैरवी करने वाले सरकारी अधिवक्ताओं से छुटकारा पाना प्रारम्भ करें। श्री ध्यानी ने सभी सामाजिक संगठनों से अपील की है कि वह आपसी राजनीती व मतभेद भूलकर इस विषय पर एकजुट हो न्याय हेतु अनामिका व अंकिता के परिजनों के साथ खडे हों। उन्होंने भारत की अवाम से भी यह अनुरोध किया कि बलात्कार, हत्या जैसे जघन्य अपराधों को वह पंथ, जातिवादी, क्षेत्रवाद की दृष्टि से देखना और विचारना बन्द करें, ताकि समाज मे न्यायप्रिय माहौल सृजित हो।
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