डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
चमोली के रहने वाले आइएफएस अधिकारी आलोक अमिताभ डिमरी को विदेश मंत्रालय में नई जिम्मेदारी मिलेगी, वह अभी ब्रूनेई के राजदूत की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और अब उन्हें विदेश मंत्रालय में अपर सचिव नियुक्त किया गया है और अब जल्द ही उनकी नई पोस्टिंग होगी।
1998 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) के अधिकारी आलोक अमिताभ डिमरी को सितंबर 2018 में किर्गिस्तान में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह विदेश मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर थे। उसके बाद आलोक अमिताभ डिमरी को मार्च 2022 में ब्रूनेई का राजदूत नियुक्त किया गया। अब आलोक अमिताभ डिमरी को विदेश मंत्रालय में अपर सचिव नियुक्त किया गया और और अब जल्द ही उनकी नई तैनाती होग
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3-4 सितंबर को ब्रुनेई का दौरा किया था। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला ब्रुनेई दौरा था। इसी साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबधों के 40 साल पूरे हुए। मोदी के दो दिवसीय ब्रुनेई दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच रक्षा, सुरक्षा और द्विपक्षीय व्यापार निवेश में आपसी संबंधों को बढ़ाना देना था। सुन्नी बहुसंख्यक वाले इस देश में शरिया कानून चलता है। यहां इस्लाम के अलावा किसी और मजहब के प्रचार या धर्म परिवर्तन पर रोक है। करीब 15वीं सदी तक ब्रुनेई में हिंदू और बौद्ध आबादी अधिक थी। एशियाई उपमहाद्वीप ब्रुनेई की आबादी लगभग साढ़े चार लाख है। मलय भाषा बोलने वाले देश में छठीं सदी से हिंदू-बौद्ध साम्राज्य का राज था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रुनेई यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों और ब्रुनेई में भारतीय समुदाय के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया है। 40 साल पहले राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्रुनेई दारुस्सलाम की पहली आधिकारिक यात्रा है।
भारतीय प्रवासियों का ब्रुनेई से गहरा जुड़ाव
ब्रुनेई में भारतीय उच्चायुक्त आलोक अमिताभ डिमरी का कहना है कि दोनों देशों के बीच संबंध मधुर और मैत्रीपूर्ण हैं। भारतीय प्रवासी ब्रुनेई से गहराई से जुड़े हुए हैं। ब्रुनेई में तमिल, मलयाली, सिंधी, पंजाबी, मराठा और गुजराती सहित कई अलग-अलग समुदाय रहते हैं। छोटी अर्थव्यवस्था होने के बाद भी भारतीय प्रवासियों की यहां गहरी पैठ है। भारतीय समुदाय ने इस देश में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय व्यापारी, निर्यात और प्रवासी इस उपमहाद्वीप से गहराई से जुड़े हैं। भारत का ब्रुनेई में एक अंतरिक्ष स्टेशन भी है जो इसरो को कुछ प्रमुख प्रक्षेपणों में मदद करता है।
चमोली के रहने वाले हैं आलोक डिमरी
ब्रूनेई में भारतीय राजदूत आलोक अमिताभ डिमरी चमोली के डिम्मर गांव के रहने वाले हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तरकाशी से हुई है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हसंराज कॉलेज से बीएससी की है और उसके बाद जेएनयू से उच्च शिक्षा हासिल की है। आलोक अमिताभ डिमरी 1998 बैच के भारतीय विदेश सेवा, आइएफएस के अधिकारी हैं। इससे पहले वह किर्गिस्तान और ताइवान में भारत के राजदूत रह चुके हैं।
आलोक अमिताभ डिमरी के पिता जयानंद डिमरी शिक्षक और प्रधानाचार्य रह चुके हैं। गोपेश्वर इंटर कालेज में आलोक अमिताभ डिमरी के पिता जयानंद डिमरी प्रधानाचार्य थे। आलोक डिमरी का पहाड़ को लेकर काफी झुकाव है और उनके दिल में पहाड़ बसता है। उत्तराखंड में पर्यटन की संभावनाओं में डिमरी की काफी दिलचस्पी रही है। जब भी उनको मौका मिलता है तो वह अपने पैतृक गांव डिम्मर जरूर आते हैं।हैंलेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।