गुंजी (पिथौरागढ़)। 5 जून को पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा था, पिथौरागढ़ जिले के भारत-तिब्बत बार्डर पर स्थित अंतिम गांव गुंजी के लोग देवदार जैसी बहुमूल्य पेड़ों को काटने वाले ठेकेदारों के खिलाफ तुरंत एक्शन लेने की गुहार शासन प्रशासन से लगा रहे थे, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था।
भारत-तिब्बत सीमा पर पिथौरागढ़ जिले के अंतिम गांव गुंजी के प्रधान ने दो वीडियो भेजे हैं, एक में वह शासन प्रशासन से इस सीमांत और उच्च हिमालयी क्षेत्र में देवदार के सैकड़ों पेड़ों को अवैध तरीके से काटने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने और भविष्य में अवैध पातन रोकने की गुहार कर रहे हैं। अन्य वीडियो में उन्हें इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में देवदार के कटे सैकड़ों ठूठ दिखाए हैं।
उन्होंने सीधे तौर पर ठेकेदारों पर अवैध पातन के आरोप लगाए हैं। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या वन विभाग सोया हुआ है। बहुमूल्य देवदार के पेड़ अवैध रूप से सैकड़ों की संख्या में काटे जा रहे हैं, लेकिन वन विभाग सोया हुआ है, प्रधान की गुहार लगाने के बाद भी कोई कदम उठाने को तैयार नहीं है। क्या सीमांत क्षेत्र के जंगल इस तरह माफियाओं के हवाले कर दिए गए हैं। वन, विभाग, स्थानीय प्रशासन कहां सोए हुए हैं। एनटीजीटी, कोर्ट कचहरी जो इस तरह के मामलों में अत्यधिक संवेदनशीलता दिखाते हैं, सभी चुप क्यों हैं?
उत्तराखंड समाचार से बातचीत करते हुए प्रधान सूरज गुंज्याल ने बताया कि यह संपूर्ण क्षेत्र जाड़ों में बर्फ से ढका रहता है। पेड़ों का कटान इसी दौरान किया गया है। इसकी शिकायत उन्होंने वन विभाग को भी की है, वन विभाग की टीम उस क्षेत्र का दौरा भी कर आई है, लेकिन अभी कोई एक्शन नहीं दिखाई दिया है। इस पूरे वन क्षेत्र में उनके अनुसार डेढ़ हजार के करीब पेड़ काटे गए हैं। यह गंभीर अपराध नहीं रोका गया, अपराधियों के खिलाफ एक्शन नहीं किया गया तो इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में वनों का सफाया हो जाएगा।











